गौरेला पेंड्रा मरवाही : शैक्षणिक संस्था और शासकीय भवनों में आपको स्वच्छ भारत श्रेष्ठ भारत जैसे स्लोगन दीवारों में जरूर देखने को मिल जाएगा. देशभर में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घर घर शौचालय का दावा सरकार की ओर से किया जाता है. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही देखने को मिल रही है. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के जोगीसार हाई स्कूल आज भी शौचालय विहीन है.
शौचालय विहीन है जोगीसार स्कूल : गौरेला ब्लॉक स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जोगीसार पिछले 5 सालों से शौचालय विहीन है. स्कूल में लगभग डेढ़ सौ बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिसमें 70 से 80 केवल छात्राएं हैं. यहां पर कक्षा 6वीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्र छात्राओं की पढ़ाई होती है. लेकिन यहां पर बनाया जा रहा शौचालय सालों से आधा अधूरा पड़ा है, इस वजह से यहां पढ़ने वाले बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
यहां बाथरूम अच्छे से नहीं है. वहां जाते हैं तो गंदगी बहुत है, सफाई भी नहीं होता है. उपर वाला बाथरूम पिछले 4-5 साल से बन रहा है. अभी तक कंप्लीट नहीं हुआ है. बाथरूम जाने के लिए बहुत ज्यादा समस्या होती है : नंदनी कंवर, छात्रा
दूसरे स्कूल का बाथरूम कर रहे उपयोग : जानकारी के मुताबिक, स्कूल बिल्डिंग के पहले माले में 1 शौचालय बन रहा है. लेकिन हैरानी की बात है कि शौचालय निर्माण कार्य पिछले 5 सालों से पूरा नहीं हुआ है. पिछले दिनों जब जिले की कलेक्टर ने स्कूल निरीक्षण किया, उससे पहले आधे अधूरे शौचालय में दरवाजा जरूर लगवा दिया था. उसके बाद भी पूरे स्कूल बिल्डिंग में छात्र छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है. जिसकी वजह से स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को प्रायमरी स्कूल के प्रसाधन केंद्र का उपयोग करना पड़ता है.
इस स्कूल में सुविधाएं तो कुछ है ही नहीं. गर्ल्स टॉयलेट हमारे स्कूल की सबसे बड़ी प्राथमिकता है, जो अभी तक नहीं मिली है. पिछले 5 साल हो गया,. लेकिन यहां टॉयलेट निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है. पुराना एक बाथरूम है, उसी को जैसे तैसे बच्चियां उपयोग कर रही हैं. इसके लिए सकूल से हर साल उच्च अधिकारियों के पत्र लिखा जाता है, लेकिन 2-4 दिन काम शुरु होता है, फिर काम अधूरा पड़ा रहता है : काशी दास सूर्या, शिक्षक, हाई स्कूल जोगीसार
टॉयलेट का कार्य पूरा कराने दिया भरोसा : इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि मामले में अति आवश्यक कोटे की राशि से स्कूल के टॉयलेट का कार्य पूरा कराकर उसे शुरू किया जाएगा. अ देखना होगा कि बीते 4 से 5 साल अधूरा पड़ा शौचालय कब तक बनकर तैयार होता है.