बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ सुपेला थाने में दर्ज एफआईआर पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी है. निलंबित आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ कांग्रेस शासन काल में अलग अलग मामले में केस दर्ज किया गया था, जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. इन केस के खिलाफ जीपी सिंह ने कैट में अपील पेश की थी. कैट ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए राज्य शासन को उनके खिलाफ दर्ज सभी केस को चार सप्ताह में निरस्त कर जीपी सिंह को बहाल करने का आदेश दिया है.
निलंबित आईपीएस जीपी सिंह को हाईकोर्ट से राहत : हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डीविजन बेंच में मामले कि सुनवाई हुई. कोर्ट ने यह माना कि 6 साल बाद शिकायतकर्ता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है, जो काफी लम्बा समय होता है. इसके साथ ही किसी लोक सेवक के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने धारा 197 में अनुमति लेनी होती है, जो नहीं किया गया था. इस आधार पर हाईकोर्ट ने जीपी सिंह के खिलाफ एफआईआर पर रोक लगाई है.
जीपी सिंह की पुलिस विभाग में वापसी तय: इस फैसले के बाद जीपी सिंह की वापसी तय हो गई है. सिंगल बेंच ने माना कि नियमों को दरकिनार कर उनके खिलाफ केस दर्ज किया था. इसके साथ ही एफआईआर भी 6 साल बाद किया गया था, जो लंबा समय हो गया था, जिससे षडयंत्र किया जाना माना गया है. इससे पहले उनकी याचिका को सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया था.
जीपी सिंह को क्यों किया निलंबित? : जानकारी के अनुसार, साल 2015 में दुर्ग निवासी कमल सेन का बिल्डर सिंघानिया से व्यावसायिक लेन देन को लेकर विवाद हुआ था. इस दौरान सिंघानिया ने सेन के सामने आईपीएस जीपी सिंह को फोन करने की बात कही, मगर फोन पर कोई बात नहीं हुई थी. इसके 6 साल बाद 2021 में कमल सेन ने सुपेला थाने में एक एफआईआर दर्ज कराया गया. कहा गया कि जीपी सिंह ने उनसे 20 लाख की मांग करते हुए धमकी दी है. कमल सेन के आवेदन पर सुपेला थाना में जीपी सिंह के खिलाफ भयादोहन का अपराध दर्ज किया गया था. इस एफआईआर को निरस्त करने आईपीएस सिंह ने हाईकोर्ट में एडवोकेट हिमांशु पाण्डेय के माध्यम से याचिका दायर की थी.