सरगुजा: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार में बनाए गए गौठानों की हालत बदतर हो चुकी है. देखरेख के अभाव में गौठान जर्जर हो रहे हैं. अब एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. गांव के सरपंच ने गौठान में लगे शेड, पाइप, पंप और दूसरे सामानों को औने पौने दामों में बेच दिया.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब कुछ लोग गौठान का सामान खोलकर लेकर जाने लगे. ऐसे में ग्रामीणों ने सरपंच को घेर लिया. इस घटना को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. उन्होंने इस मामले में दोषी सरपंच और सचिव पर मिलीभगत का आरोप लगाकर कार्रवाई की मांग की है. इस घटना के बाद पूरा गौठान वीरान और उजाड़ पड़ा हुआ है.
सीतापुर में वीरान हुए गौठान: यह मामला सीतापुर विकासखंड के ग्राम पंचायत भुषु का है. यहां पूर्व की कांग्रेस सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना नरवा गुरवा घुरवा और बाड़ी के तहत गांव गांव में गौठानों का निर्माण किया था. लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए गौठान का उद्देश्य पशुधन संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देना था. इसके साथ ही पशुपालकों से गोबर खरीदी कर जैविक खाद बनाने का काम किया जा रहा था. गौठानों के जरिए स्वयं सहायता समूहों के जीविकोपार्जन के लिए कई कुटीर उद्योग भी लगाए गए लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए गौठान वीरान पड़े हैं.
गांव वालों ने गौठानों की दुर्दशा का आरोप सरपंच पर लगाया: ग्रामीणों का आरोप है कि देखरेख के अभाव में बेकार पड़े गौठान का फायदा गांव के सरपंच ने उठाया. सरपंच ने गौठानों में रखे सामानों को बेचना शुरू कर दिया था और धीरे धीरे कर वह गौठान के सभी सामान बेच रहा था. गौठान में लगे सीमेंट के शेड, लोहे का पाइप, सबमर्सिबल पंप को उसने किसी को बेच दिया. जब वह व्यक्ति सरपंच की मौजूदगी में सामान निकालकर ले जा रहा था तो ग्रामीणों ने उसे घेर लिया.
ग्रामीणों के विरोध पर सरपंच का आश्वासन: ग्रामीणों का आक्रोश देखते हुए सरपंच ने उन्हें एक माह में सामान वापसी और गौठान को दोबारा ठीक करने का आश्वासन दिया था. ऐसे में ग्रामीणों की मौजूदगी में 14 मई को पंचनामा तैयार किया गया. पंचनामा में 40 नग शीट,14 नग पाइप को सरपंच द्वारा अपने घर ले जाने की बात स्वीकार की गई और एक माह में पुनः गौठान निर्माण का वादा किया गया था.
अब ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच द्वारा दिए गए समय अवधि में ना ही गौठान का निर्माण किया गया और ना ही सामान लौटाया गया. ग्रामीणों का आरोप है कि इस पूरे मामले में सचिव ने भी चुप्पी साध ली है. अब ग्रामीण सचिव की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे है और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
"गौठान में जैविक खाद बनाने के लिए गांव के किसानों से गोबर की खरीदी की गई थी. गांव के कई किसानों ने इस उम्मीद के साथ गोठान में अपना गोबर बेचा था कि इसके बदले उन्हें अच्छी खासी कमाई हो जाएगी लेकिन किसानों की उम्मीद पर पानी फिर गया. सरपंच सचिव की लापरवाही के कारण मेरा और उमेश यादव, दिनेश यादव, हरि यादव समेत अन्य किसान के पैसे डूब गए." पंकज यादव, ग्रामीण
सरपंच पर गबन का आरोप: ग्रामीणों का आरोप है कि ''सरपंच को नशे की लत है और अक्सर वह शराब के नशे में रहता है और अपने नशे की लत को पूरा करने के लिए ही उसने गौठान के सामान को बेच दिया. गोबर की राशि को भी इन दोनों ने गबन कर लिया है."
"कई बार सरपंच सचिव से अपने गोबर के पैसों की मांग की लेकिन सरपंच और सचिव ने उनकी बात नहीं सुनी और राशि का भुगतान नहीं किया.'' उमेश यादव, ग्रामीण
इस पूरे मामले की जानकारी जब जनपद सीईओ एसके मरकाम को दी गई तो उन्होंने कहा कि "इस मामले की जांच कराई जाएगी जांच के बाद जो भी दोषी पाए जाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी."