सरगुजा: प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम रहे टीएस सिंह देव आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. सरगुजा राजघराने से आने वाले सिंहदेव की पहचान खरा बोलने वाले नेताओं में की जाती है. सियासत से लेकर आम जिंदगी में भी बिना घुमाव फिराव के बोलने वाले आदमी माने जाते हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में सिंहदेव ने बताया कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल के परिवार उनके परिवार का रिश्ता काफी अच्छा था. सिर्फ मेल मिलाप नहीं बल्कि परिवार के बीच आना जाना भी था. लेकिन वक्त के सात हालात बदले और एक समय ये भी आया जब परिवार के बीच दूरियां बढ़ने लगी.
'कभी शुक्ल परिवार से थी नजदीकी बात में बढ़ी दूरियां': पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ की राजनीति से जुड़े पुराने किस्सों को बताते हुए कहा कि ''कभी हम क्रिकेट का मैच देखने के लिए उनके घर पहुंच जाते थे. ऐसा लगता नहीं था कि हम कहीं और चले आए हैं. रिश्ते बहुत बेहतर थे. जब भी मिलते थे बड़े ही प्रेम से सबका हाल चाल लेते थे. लेकिन पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि बाद में रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगी. समझ ही नहीं आया कि कहां क्या गलती हुई जिसे सुधारा जाए. जाने क्या उनको बुरा लगा ये पता नहीं चला''.
''एक दिन ट्रेन में जा रहा था और जोगी जी से मेरी मुलाक़ात हुई. मेरी उनसे ऐसे ही बात हुई. उस मुलाकात के बाद पता नहीं किया वजह रही कि उस चुनाव में टिकट बंटवारे पर हमने जो नाम सुझाए उसे हटा दिए गए. तब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे. मेरा नाम अध्यक्ष पद के लिए चल रहा था. इससे पहले एक बार अध्यक्ष रहा भी था. साल 84 की बात है दिग्विजय सिंह जी का फोन आया हम लोग घर में थे. मम्मी डैडी से उन्होंने कहा की नगर पालिका में 11 टिकट आप लोग ले लीजिए 16 टिकट शुक्ला ग्रुप को दे देते हैं. मेरा नाम चल रहा था अध्यक्ष के लिए तो डैडी ने पूछा तो मैंने कहा कोई दिक्कत नहीं है. अगर दादा भाई को कोई दिक्क्त हो रही है और वहां की स्थिति ऐसी बनी है तो मैं नहीं बनूंगा अध्यक्ष. मुझे लालसा नहीं है जैसा वो बोल रहे हैं वैसा हम कर लेंगे''. - टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम, छत्तीसगढ़
'सरगुजा राजपरिवार से जोगी परिवार का रिश्ता था पहले बेहतर': टीएस सिंहदेव ने बताया कि पहले हमारे परिवार का जोगी परिवार से रिश्ता बेहतर था. घर पर आना जान भी रहा. नगर पालिका के चुनाव में जिन लोगों को नाम आगे नहीं बढ़ाया गया था उनको ही बाद में आगे कर दिया गया. सिंहदेव कहते हैं कि ऐसा क्यूं हुआ क्या वजह रही पता नहीं.
''थोड़ी देर बाद फोन आया की नहीं 16 या 18 सीट आपके लोगों को और बाकी की टिकट शुक्ला ग्रुप में दे देते हैं. उस समय मल्लू (वर्तमान में सिंहदेव के बेहद करीबी, बाल कृष्ण पाठक) ही उधर थे. उनको सादे बी फ़ार्म मिल गए और उन्होंने 27 की 27 सीटों पर कांग्रेस से अपने उम्मीदवारों का फ़ार्म जमा कर दिया. तब हम लोग निर्दलीय चुनाव लड़े और खुद जोगी जी उनका प्रचार करने मैदान में उतरे. हमारे कार्यकर्ता उनकी गाड़ी के आगे लेट गए. उस वक्त मैं वहां नहीं मौजूद था. उनको शायद ऐसा लगा होगा कि मैंने ये करवाया है.'' - टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम, छत्तीसगढ़
''जब जोगी जी उतर आए प्रचार के लिए'': टीएस सिंहदेव ने कहा कि ''चुनाव के दौरान हम लोग बताए गए निर्देशों के हिसाब से निर्दलीय लड़ने के लिए उतरे. मैदान में बाल कृष्ण पाठक भी दूसरी ओर से ताल ठोक रहे थे. हम लोगों को आश्चर्य तब हुआ जब खुद अजीत जोगी उनके लिए मैदान में प्रचार करने उतर आए''. सिंहदेव बताते हैं कि उस वक्त उनको बड़ा आश्चर्य हुआ. वो समझ नहीं पाए कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि वो उनकी ओर से प्रचार के मैदान में कूदे.