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बोनस अंक व आयु सीमा में छूट देने को सुप्रीम कोर्ट ने माना सही, एसएलपी की खारिज - Supreme Court - SUPREME COURT

एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रबोधक भर्ती-2008 में राज्य सरकार की ओर सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में काम कर चुके अभ्यर्थियों को बोनस अंक व आयु सीमा में छूट देने के प्रावधान को सही माना है.

अभ्यर्थियों को बोनस अंक को माना सही
अभ्यर्थियों को बोनस अंक को माना सही (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 8, 2024, 8:51 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने प्रबोधक भर्ती-2008 में राज्य सरकार की ओर सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में काम कर चुके अभ्यर्थियों को बोनस अंक व आयु सीमा में छूट देने के प्रावधान को सही माना है. वहीं, इस संबंध में हाईकोर्ट की ओर से 21 मई, 2010 को दिए आदेश को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश महेश चन्द बारेठ व अन्य की एसएलपी को खारिज करते हुए दिए.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में शिक्षकों को बोनस अंक व आयु में छूट देने का राजस्थान सरकार का फैसला उचित था और ऐसे में खंडपीठ के आदेश में किसी भी तरह का दखल देने की जरूरत नहीं है. एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें एकल पीठ के 7 जनवरी, 2009 के आदेश को बरकरार रखते हुए खंडपीठ ने अपील खारिज कर दी थी.

इसे भी पढ़ें- Rajasthan High Court : परिवीक्षा काल में दिए वेतन की रिकवरी पर रोक, मांगा जवाब

अभ्यर्थियों ने राजस्थान पंचायती राज प्रबोधक सेवा नियम 2008 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा था कि राज्य सरकार भर्ती नियमों में सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में काम कर चुके अभ्यर्थियों को बोनस अंक व आयु सीमा में छूट का लाभ नहीं दे सकती. ऐसा करना संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है. राज्य सरकार ने इस भर्ती में रोजगार के आधार पर शिक्षकों को अलग-अलग बोनस अंक और आयु में छूट का लाभ देकर संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 की अवहेलना की है. इसलिए इस प्रावधान को रद्द किया जाए.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने प्रबोधक भर्ती-2008 में राज्य सरकार की ओर सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में काम कर चुके अभ्यर्थियों को बोनस अंक व आयु सीमा में छूट देने के प्रावधान को सही माना है. वहीं, इस संबंध में हाईकोर्ट की ओर से 21 मई, 2010 को दिए आदेश को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश महेश चन्द बारेठ व अन्य की एसएलपी को खारिज करते हुए दिए.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में शिक्षकों को बोनस अंक व आयु में छूट देने का राजस्थान सरकार का फैसला उचित था और ऐसे में खंडपीठ के आदेश में किसी भी तरह का दखल देने की जरूरत नहीं है. एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें एकल पीठ के 7 जनवरी, 2009 के आदेश को बरकरार रखते हुए खंडपीठ ने अपील खारिज कर दी थी.

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अभ्यर्थियों ने राजस्थान पंचायती राज प्रबोधक सेवा नियम 2008 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कहा था कि राज्य सरकार भर्ती नियमों में सरकारी शैक्षणिक परियोजनाओं में काम कर चुके अभ्यर्थियों को बोनस अंक व आयु सीमा में छूट का लाभ नहीं दे सकती. ऐसा करना संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है. राज्य सरकार ने इस भर्ती में रोजगार के आधार पर शिक्षकों को अलग-अलग बोनस अंक और आयु में छूट का लाभ देकर संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 की अवहेलना की है. इसलिए इस प्रावधान को रद्द किया जाए.

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