रायगढ़: चक्रधर समारोह में शामिल होने आए कलाकारों ने एक बार कला के रंगों का जोरदार समां बांधा. अभिनेत्री और नृत्यांगना मिनाक्षी शेषाद्रि ने जहां अपने पर्फार्मेंस से जमकर तालियां बटोरी वहीं पंचदेव आराधना ने भरतनाट्यम शैली में भाव विभोर कर देने वाला पर्फार्मेंस पेश किया. करीब बीस सालों के बाद अदाकार मीनाक्षी शेषाद्रि शास्त्रीय नृत्य पेश करने रायगढ़ पहुंचीं. सूफी गजल गायकों ने भी जोरदार प्रदर्शन किया. तबले पर जिस तरह से रायगढ़ की सौम्या नामदेव का हाथ थाप दे रहा था उसे देखकर दर्शक दंग रहे गए.
कलाकारों ने जमाया रंग: चक्रधर समारोह की पांचवीं संगीत संध्या पर मुम्बई की प्रसिद्ध अभिनेत्री और विख्यात नृत्यांगना मीनाक्षी शेषाद्रि ने ''घुंघरू को समर्पित'' करते हुए भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना पर भावुक प्रस्तुति दी. रायगढ़ के कला मंच पर संगीत की सुरीली शाम में राकेश और निशा के सूफी गजलों ने समां बांध दिया. कथक नृत्यांगना दीप माला सिंह ने अपनी मनभावन अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत लिया. धमतरी की उपासना भास्कर ने शिव स्तुति पर मनमोहक कथक नृत्य पेश किया.
सौम्या नामदेव ने बटोरी तालियां: कार्यक्रम की पहली कड़ी में रायगढ़ की नन्ही कलाकार सौम्या नामदेव ने कथक नृत्य पर आकर्षक प्रस्तुति दी. तबले की थाप और वाद्य यंत्रों के बेहतर संयोजन के साथ कथक नृत्यांगना सौम्या नामदेव ने अपनी भाव भंगिमाओं के बेहतर तालमेल से शानदार प्रस्तुति दी. कथक नृत्यांगना दीपमाला ने अपनी अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इंदिरा संगीत कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ से स्नातक की उपाधि हासिल करने वाली दीप माला सिंह के कथक नृत्य को न केवल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है बल्कि उन्हें कला रत्न सहित अनेक सम्मान से नवाजा गया है.
''मोसे नैना मिलाई के'': समारोह की अगली कड़ी में रीति लाल ने अमीर खुसरो के प्रसिद्ध ''मोसे नैना मिलाई के'' गीत पर नृत्य और भाव को बहुत ही सुंदर पेश किया. ''छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाई के'' गीत के स्वर अनिलभान भट्टाचार्य और कंपोजिशन अनुरेखा घोष जो कोलकाता आई हैं उनकी ओर से दिया गया. रितीलाल को अनेक राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय पुरुस्कार से नवाजा जा चुका है. सुश्री रीति लाल तरुण शर्मा की शिष्य हैं.
सेनिया घराने की अनुष्का सोनी ने भी जीता दर्शकों का दिल: चक्रधर समारोह की सांगीतिक यात्रा के अगली कड़ी में जबलपुर की सेनिया घराने से आने वाली अनुष्का सोनी ने सुरीली सितार वादन की मनमोहक प्रस्तुति दी. अनुष्का सोनी चौथी पीढ़ी की विख्यात प्रतिष्ठित सितार वादिका हैं. अनुष्का सोनी बचपन से ही संगीत की शिक्षा ले रही हैं. कार्यक्रम में रूप कुमार सोनी ने भी प्रस्तुति दी. रूप कुमार सोनी अंतर्राष्ट्रीय सीतार वादक हैं साथ ही प्रसिद्ध बांसुरी वादक भी हैं. अनुष्का सोनी ने राज्य स्तरीय युवा महोत्सव ग्वालियर में प्रथम स्थान, संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित कला उत्सव में प्रथम स्थान, भारत संस्कृति उत्सव में प्रथम स्थान सहित अनेक पुरुस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं.
9 साल की उम्र सीख रहीं कथक उपासना भास्कर: धमतरी की उपासना भास्कर ने शिव स्तुति पर आधारित मनमोहक कथक नृत्य पेश किया. उपासना ने महज 9 वर्ष की उम्र में ही गुरु मनुराज से कथक की बारीकियों को सीखा. उनका कथक नृत्य मुख्यतः राधा कृष्ण के प्रणय पर आधारित था. उपासना ने देश के विभिन्न प्रतिष्ठित कला मंचों पर अपने प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं. उपासना को नाट्य नर्तक, नृत्यानुभूति सहित अनेक सम्मानों से नवाजा जा चुका है.
महिषासुर वध पर ओडिशी डांस: सक्ती जिले की विधिसेन गुप्ता ने महिषासुर वध और मां दुर्गा के विहंगम रूप का ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया. विधिसेन ने अपने मंचन में दिखाया कि कैसे श्री कृष्ण द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी गरिमा की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं. विधिसेन गुप्ता की प्रारंभिक शिक्षा सक्ती जिले में हुई और उच्च शिक्षा गुरु घासीदास केंद्र विश्वविद्यालय में प्राप्त किया. विधिसेन गुप्ता ने अपने गुरु गजेंद्र पंडा से ओडिशी की शिक्षा प्राप्त की. विधिसेन न केवल भारत बल्कि सिंगापुर मलेशिया जैसे देशों में अपने नृत्य का प्रदर्शन कर चुकी हैं.
मीनाक्षी शेषाद्रि का बेस्ट पर्फार्मेंस: फिल्म जगत की प्रसिद्ध अदाकारा और भरतनाट्यम की विख्यात नृत्यांगना मीनाक्षी शेषाद्रि ने बहुत ही सुंदर भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी. बीस साल बाद मीनाक्षी शेषाद्रि ने शास्त्रीय नृत्य का सफर रायगढ़ की सांगीतिक धरा से फिर से शुरू किया. मीनाक्षी शेषाद्रि नेे भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का बेहतरीन प्रस्तुतिकरण किया जिससे चक्रधर समारोह में उपस्थित सभी लोगों के मन में देवी-देवताओं के पांचों रूप का भावविभोर करने वाला रूप प्रस्तुत हुआ. मीनाक्षी शेषाद्रि ने यूएसए से भारत वापसी के बाद बीस साल के बाद रायगढ़ की सांगीतिक धरा में भरतनाट्यम की पहली बार प्रस्तुति दी.
सूफी गायकों के नाम रही शाम: कला के मंच पर संगीत की सुरीली शाम में राकेश और निशा के सूफी गजलों ने समां बांध दिया. प्रेम और रस से परिपूर्ण उनकी गजलों की खुशबू से पूरा माहौल महक गया. रायगढ़ में जन्में राकेश ने 1996 से अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत की. भारत के विभिन्न मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सूफी का परचम लहराया. राकेश शर्मा को प्रसिद्धि निजी टीवी चैनल के शो के संगीत प्रतियोगिता से मिली. राकेश ने अब्बड मया करथो गीत में बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवार्ड जीता है. उनका सूफियाना गीत के प्रति शोध कार्य अभी भी जारी है. उनकी पत्नी निशा शर्मा रायगढ़ राजघराने के राजाराम गुरु की प्रपौत्री हैं और अपने पति राकेश शर्मा के साथ सूफी गायन करती हैं.