पटना: बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा खादी ग्राम उद्योग से जुड़ी उद्यमिता के संबंध में नई विधि के बारे में जानकारी देने और रोजगार उत्पन्न करने के उद्देश्य से एक माह के लिए समर कैंप का आयोजन किया गया है. यह आयोजन खादी मॉल में किया गया है.
मोमबत्ती निर्माण की प्रक्रिया बताई गई: बिहार सरकार द्वारा आयोजित समर कैंप के दूसरे दिन प्रतिभागियों को मोमबत्ती बनाने की कला सिखाई गई. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन क्राफ्ट एज स्टार्टअप की संस्थापक रितिका ने किया. रितिका ने ग्रामीण उद्यमिता पर आधारित प्रशिक्षण के तहत मोमबत्ती निर्माण की प्रक्रिया को स्कूली छात्रों को विस्तृत रूप से बताया. रितिका ने प्रतिभागियों को मोमबत्ती निर्माण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री और विभिन्न किस्म की मोमबत्तियों के लिए अलग-अलग कांबिनेशन के बारे में भी जानकारी दी.
डिजाइनर कैंडल्स की बढ़ी मांग: रितिका ने बताया कि मोमबत्ती निर्माण एक गृह उद्योग है, जिसे आवश्यक मशीनों की व्यवस्था और प्रशिक्षण प्राप्त करके शुरू किया जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि आजकल शहरों में डिजाइनर कैंडल्स की मांग ज्यादा है, इसलिए डिजाइनर कैंडल बनाने की कला सीखना भी महत्वपूर्ण है.
"मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि अभिभावक और बच्चे दोनों ही इस कठिन समय में भी समर कैंप में भाग ले रहे हैं. यह कैंप न केवल कौशल विकास के लिए बल्कि बच्चों और माता-पिता के बीच बेहतर समझ विकसित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसी गतिविधि है जो सभी को एकजुट कर रही है और एक नई कला का अन्वेषण कर रही है." - रितिका, संस्थापक, क्राफ्ट एज स्टार्टअप
बिहार स्टार्टअप नीति बनाई गई: बता दें कि स्टार्टअप उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए बिहार स्टार्टअप नीति बनाई गई है. बिहार स्टार्टअप पॉलिसी 2022 के तहत 10 वर्षों के लिए 10 लाख रुपए तक की ब्याज रहित सीड फंडिंग के लिए व्यवस्था की गई है. महिलाओं द्वारा प्रारंभ स्टार्टअप का 5% तथा अनुसूचित जाति जनजाति तथा दिव्यांगों द्वारा स्टार्टअप का 15% राशि सीधे सीड फंड के रूप में देने का प्रावधान है.
पटना के प्राइवेट स्कूल के बच्चे हुए शामिल: इस समर कैंप में कई विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिनमें केन्द्रीय विद्यालय के साथ-साथ पटना के कई प्राइवेट स्कूल के बच्चे शामिल हुए. साथ ही नालंदा जिले के भी युवा इस कैंप का हिस्सा बने. बता दें कि इस समर कैंप का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें नए कौशल सिखाना था, जिससे वे भविष्य में स्वावलंबी बन सकें और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा दे सकें.
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