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सक्सेस स्टोरी: मुख्यमंत्री नोनीबाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना से रूबीना को मिली उच्च शिक्षा - SUCCESS STORY OF RUBINA

मुख्यमंत्री नोनीबाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना से रूबीना को उच्च शिक्षा में मदद मिली है.

Success Story Of Rubina
सक्सेस स्टोरी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 10, 2024, 8:20 PM IST

रायपुर: दुर्ग शहर में रहने वाली निर्माणी श्रमिक जरीना बेगम की बिटिया रूबीना अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी कर ली है. इसके साथ ही कौशल विकास का प्रशिक्षण प्राप्त कर राजस्थान की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में इंटर्नशिप भी पूरी कर ली है. आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार से ताल्लुक रखने वाली जरीना को उच्च शिक्षा हासिल करने और कैरियर बनाने में छत्तीसगढ़ सरकार की मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना मददगार बनी है.

श्रमिकों के बच्चों को सरकार देती है पैसा: मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के तहत छत्तीसगढ़ भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल की ओर से पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों के मेधावी बच्चों की मदद की जाती है. 10वीं कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर और व्यवसायिक पाठ्यक्रम में 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक लाने पर 5 हजार रुपए से लेकर 12 हजार 500 रुपए तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना के तहत पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों के बच्चे, जो छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में टॉप-10 में स्थान प्राप्त करते हैं, उन्हें एक लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. साथ ही दोपहिया वाहन खरीदने के लिए एक लाख रुपया दिया जाता है.

व्यावसायिक पाठ्यक्रम वाले स्टूडेंट को मिलती है ये सुविधा: इसके अलवा व्यवसायिक पाठ्यक्रम में पढ़ रहे शैक्षणिक शुल्क हॉस्टल और मेस फीस के साथ-साथ स्टेशनरी के लिए 2 हजार रुपया प्रतिवर्ष दिए जाने का प्रावधान है. यदि किसी निर्माणी श्रमिक का मेधावी बच्चा विदेश में पढ़ने के लिए सेलेक्ट होता है तो उसके पढ़ाई के लिए वास्तविक व्यय या अधिकतम 50 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाती है.

जरीना के बेटी को मिली मदद: निर्माणी श्रमिक जरीना बेगम ने जब अपनी बिटिया की पढ़ाई के लिए मुख्यमंत्री नोनीबाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत आवेदन के लिए श्रमिक सहायता केन्द्र से संपर्क किया, तो उन्हें नहीं पता था कि इस योजना अंतर्गत क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं. निर्माणी श्रमिक जरीना के आवेदन पर उसे बिटिया के आगे की शिक्षा के लिए योजना अंतर्गत मदद मिली.

मास्टर डिग्री हासिल करना है लक्ष्य: वहीं, श्रमिक माता-पिता के संघर्ष और त्याग को ध्यान में रखते हुए रुबीना ने खुद को पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया. रुबीना स्नातक होने के बाद, कौशल विकास कार्यक्रम और राजस्थान में एक ऑटो वाहन कंपनी में अल्पकालिक इंटर्नशिप की. राजस्थान में रहना और काम करना रुबीना के लिए जीवन बदलने वाला अनुभव बन गया. रुबीना ने कहा कि मुझे एहसास हुआ कि शिक्षा हमारे जैसे गरीब परिवारों के लिए एक नई और बेहतर दुनिया के द्वार खोलती है. रूबीना की इच्छा मास्टर डिग्री हासिल करना है और वह अपने सपने को पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से जुटी है.

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श्रमिकों के बच्चों को सरकार देती है पैसा: मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के तहत छत्तीसगढ़ भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल की ओर से पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों के मेधावी बच्चों की मदद की जाती है. 10वीं कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर और व्यवसायिक पाठ्यक्रम में 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक लाने पर 5 हजार रुपए से लेकर 12 हजार 500 रुपए तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना के तहत पंजीकृत निर्माणी श्रमिकों के बच्चे, जो छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में टॉप-10 में स्थान प्राप्त करते हैं, उन्हें एक लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. साथ ही दोपहिया वाहन खरीदने के लिए एक लाख रुपया दिया जाता है.

व्यावसायिक पाठ्यक्रम वाले स्टूडेंट को मिलती है ये सुविधा: इसके अलवा व्यवसायिक पाठ्यक्रम में पढ़ रहे शैक्षणिक शुल्क हॉस्टल और मेस फीस के साथ-साथ स्टेशनरी के लिए 2 हजार रुपया प्रतिवर्ष दिए जाने का प्रावधान है. यदि किसी निर्माणी श्रमिक का मेधावी बच्चा विदेश में पढ़ने के लिए सेलेक्ट होता है तो उसके पढ़ाई के लिए वास्तविक व्यय या अधिकतम 50 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाती है.

जरीना के बेटी को मिली मदद: निर्माणी श्रमिक जरीना बेगम ने जब अपनी बिटिया की पढ़ाई के लिए मुख्यमंत्री नोनीबाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत आवेदन के लिए श्रमिक सहायता केन्द्र से संपर्क किया, तो उन्हें नहीं पता था कि इस योजना अंतर्गत क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं. निर्माणी श्रमिक जरीना के आवेदन पर उसे बिटिया के आगे की शिक्षा के लिए योजना अंतर्गत मदद मिली.

मास्टर डिग्री हासिल करना है लक्ष्य: वहीं, श्रमिक माता-पिता के संघर्ष और त्याग को ध्यान में रखते हुए रुबीना ने खुद को पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया. रुबीना स्नातक होने के बाद, कौशल विकास कार्यक्रम और राजस्थान में एक ऑटो वाहन कंपनी में अल्पकालिक इंटर्नशिप की. राजस्थान में रहना और काम करना रुबीना के लिए जीवन बदलने वाला अनुभव बन गया. रुबीना ने कहा कि मुझे एहसास हुआ कि शिक्षा हमारे जैसे गरीब परिवारों के लिए एक नई और बेहतर दुनिया के द्वार खोलती है. रूबीना की इच्छा मास्टर डिग्री हासिल करना है और वह अपने सपने को पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से जुटी है.

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