पटना : अगर कोई कबाड़ीवाला करोड़पति बन जाए तो क्या कहेंगे. कुछ ऐसा ही सफर कटिहार के नौशाद का है. नौशाद का जन्म 1981 में कटिहार के विनोदपुर में चौधरी शमसुद्दीन के घर हुआ. नौशाद के पिता शमसुद्दीन कटिहार में कबाड़ी का काम करते थे. 11 आदमी का परिवार चलाने के लिए आय का मुख्यश्रोत कबाड़ी का ही काम था.
9वीं तक ही पढ़ सके नौशाद: नौशाद के पिता चौधरी शमसुद्दीन 1975 से कटिहार में कबाड़ी का काम करते थे. नौशाद की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई. गांव के ही हाईस्कूल में उनका नामांकन हुआ लेकिन पिता के साथ कबाड़ी का काम करने के कारण वह कक्षा 9वीं से आगे की पढ़ाई नहीं कर सके. पिता के कामों में हाथ बंटाते थे.
11 साल में पिता का हाथ बंटाने लगा : नौशाद का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता. जब नौशाद 11 साल के हुए तो उसी समय से वह अपने पिता के साथ कबाड़ी का काम करने लगे. गरीबी के कारण कटिहार के शहर से लेकर गांव तक अपने पिता के साथ पैदल ही घूम घूमकर टूटा हुआ घरेलू सामान खरीदता था.
पिता की डांट से खुली किस्मत : ईटीवी भारत से बातचीत में नौशाद ने अपनी पुरानी बातों को साझा किया. नौशाद ने बताया कि 2008 के दिसंबर महीने में 3 दोस्तों ने साथ कोलकाता घूमने का प्लान बनाया. 2000 रुपये सभी दोस्तों को जमा करना था. इन्होंने अपने पिताजी से रुपया मांगा, लेकिन पिताजी ने कहा कि घूमने का इतना ही शौक है तो खुद काम कर देखो कि कितनी मेहनत करनी पड़ती है?
पिता की बात दिल पर लगीः नौशाद बताते हैं कि पिता की बात उनके दिल पर लग गई. कोलकाता घूमने का प्लान कैंसिल किया. तीन-चार दिनों तक वह घर में रूठा रहा. अम्मी ने सलाह दी कि क्यों नहीं जो काम तुम्हारे अब्बा करते हैं तुम भी शुरू करो. नौशाद ने अलग होकर कुछ दिन तक कबाड़ी का धंधा किया.
व्यापार शुरू करने का फैसला: प्लास्टिक से जुड़े हुए काम करने वाले नौशाद ने नया बिजनेस करने का प्लान किया. लेकिन पास में पैसे नहीं थे. इसी बीच सिलीगुड़ी के एक दोस्त वासुदेव अग्रवाल से उसने व्यापार शुरू करने की बात को साझा की. दोस्त ने भी उसको उत्साहित किया और डेढ़ लाख रुपए वासुदेव अग्रवाल ने दी. इसके अलावा 5% महीना ब्याज पर 2 लाख रुपया महाजन से उठाया. फिर उसने प्लास्टिक के वेस्टेज से प्लास्टिक बनाने की मशीन खरीदी. इस तरह उसने अपने दम पर पहले धंधे को शुरू किया.
जीनत प्लास्टिक इंडस्ट्रीज की शुरुआत: 1 साल तक इस धंधा को करने के बाद नौशाद ने कुछ बड़ा करने का फैसला किया. 2010 में नौशाद ने प्लास्टिक की बड़ी कंपनी खोलने का फैसला किया. कई बैंकों का चक्कर शुरू हुआ. 6 महीने तक भाग दौड़ के बाद बैंक ने उसके प्रोजेक्ट के लिए 25 लाख का लोन स्वीकार किया. PMYGP योजना के तहत यह लोन मिला जिसमें सरकार की तरफ से 6 लाख की सब्सिडी थी. नौशाद ने कटिहार में ही जीनत प्लास्टिक इंडस्टरीज की शुरुआत की. कोलकाता से मशीन मंगवायी और 2 महीने की मेहनत के बाद प्रोडक्शन शुरू हो गया.
प्रोडक्ट की मार्केटिंग की समस्या : नौशाद ने बताया कि उनकी कंपनी में प्लास्टिक के PVC पाइप, SDPE पाइप, बिजली वायरिंग पाइप, चापाकल का पाइप और बोडिंग पाइप का निर्माण होने लगा. अब उनके सामने चुनौती थी कि इसको बाजार कैसे मिले. नौशाद ने कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा इन तमाम इलाकों के एक-एक व्यापारी से जाकर अपने प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दी. इनकी प्रोडक्ट की क्वालिटी को देखते हुए कुछ जगहों से ऑर्डर भी आने लगे.
''मुझे मालूम था कि इस फील्ड में बड़ी-बड़ी कंपनियां जो बड़े ब्रांड के हैं वह बाजार में है. इसलिए बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट के हिसाब से ही अपना प्रोडक्ट बनाना शुरू किया, ताकि बाजार में हमारी कंपनी की पहचान हो सके. धीरे-धीरे कंपनी के द्वारा बनाए हुए पाइप लोगों को और दुकानदारों को भी पसंद आने लगा.''-नौशाद, युवा उद्यमी
5 साल में 3 कंपनी शुरू : जीनत प्लास्टिक इंडस्टरीज की शुरुआत करने के बाद नौशाद का मेहनत रंग लाने लगा. 5 वर्षों के बाद उसने जीनत पॉलीमर नाम से दूसरी कंपनी शुरू करने का फैसला किया. नौशाद ने बताया कि एक यूनिट से उनके सप्लाई की मांग पूरी नहीं हो पा रही थी. इसीलिए उसने जीनत पॉलीमर नाम से दूसरी यूनिट शुरू की. इसके साथ ही कुछ दिन के साथ एक दोस्त के साथ मिलकर विजय प्लास्टिक नाम से तीसरी यूनिट खोला. अपनी मेहनत के बल पर नौशाद कबाड़ी का धंधा करने वाला आज 3 कंपनी के मालिक हैं.
'100 टन प्रोडक्ट बनाने का लक्ष्य' : नौशाद की कंपनी में प्रति माह 30 टन प्लास्टिक के पाइप का निर्माण हो रहा है. जिसकी सप्लाई सीमांचल कोसी एवं मिथिला के एक दर्जन से अधिक जिलों में हो रहा है. कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, और बंगाल से सटे हुए कुछ इलाकों में उनके प्रोडक्ट की बिक्री हो रही है. पांच बड़े स्टॉकिस्ट अब इनकी कंपनी का प्रोडक्ट बाजार में बेच रहे हैं. नौशाद ने बताया कि इसी साल वह एक और बड़ी मशीन बैठा रहा है, जिससे प्रति महीना लगभग 100 टन पाइप का निर्माण होने लगेगा.
''तीनों कंपनियां में अब अच्छे से प्रोडक्शन शुरू हो गया है. तीनों कंपनी मिलाकर करीब चार करोड़ का टर्नओवर 2023 में हुआ था. इस वर्ष भी तीनों कंपनियों से बिक्री अच्छी हुई है और उम्मीद है कि इस बार टर्नओवर कुछ बढ़ेगा.'' - नौशाद, युवा उद्यमी
'दूसरे राज्यों में प्रोडक्ट लॉन्च करेंगे' : नौशाद ने बताया कि जब उसने कंपनी शुरू की थी तो उनका लक्ष्य या सीमांचल का एरिया था. लेकिन ऊपर वाली की मेहरबानी से बिहार के दर्जन भर जिले में उनके प्रोडक्ट की मांग है. 2024 के अंत तक वह झारखंड पश्चिम बंगाल में अपना प्रोडक्ट लॉन्च करेंगे. इसके अलावा बिहार के अन्य जिलों में भी वह अपने प्रोडक्ट को पहुंचाने का लक्ष्य रखे हैं.
45 लोगों को रोजगार दियाः नौशाद की तीन कंपनी में आज 45 स्थाई कर्मचारी हैं. दो दर्जन से अधिक रोजाना वाले मजदूर हैं. सभी कर्मचारी कटिहार और उसके आसपास के जिलों के हैं. खुशी है कि उनकी मेहनत के कारण करीब 60,70 लोगों का परिवार चल रहा है. प्रति महीने वेतन के रूप में 5 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो रहे है. 4 लाख 50 हजार के करीब बिजली का बिल वह चुका रहे हैं.
कोलकता से बिहार आ गए कर्मचारीः नौशाद की कंपनी में काम करने वाले परमेश्वर यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वह शुरू में कोलकाता में प्लास्टिक कंपनी में ही काम करते थे. 8000 रु वहां उनका वेतन मिलता था. लेकिन जब उनको पता चला कि कटिहार में भी एक प्लास्टिक पाइप बनाने वाली कंपनी खुली है तो उन्होंने यहां आकर इसे बातचीत की और नौशाद भाई की कंपनी में उन्हें नौकरी पर रख लिया गया.
"अपने घर में रहकर नौकरी कर रहे हैं और 16000 रुपए वेतन के रूप में यहां मिल रहा है. वह बहुत खुश हैं कि अपने घर पर रहकर यहां नौकरी कर रहे हैं. अब उनको बाहर जाकर मेहनत करने की जरूरत नहीं है. आज उनका पूरा परिवार एक साथ रहकर खुश है." -परमेश्वर यादव, कर्मचारी
सरकारी विभाग भी कंपनी से खुशः कटिहार वियाडा के नोडल पदाधिकारी बद्री राम ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि नौशाद की कंपनियां जिले में बहुत अच्छे से कम कर रही है. उनके प्रोडक्ट को लेकर कहीं से कोई शिकायत नहीं मिली है. जिस तरीके से इनके यूनिट से प्रोडक्शन बढ़ रहा है उम्मीद है कि जीनत पॉलीमर ब्रांड मार्केट में अलग पहचान बनाएगी.
"उद्योग विभाग द्वारा जो भी व्यापार को लेकर गाइडलाइन दिया जाता है. उस गाइडलाइन को पूरी तरीके से पालन कर रहे हैं. आज जीनत इस एरिया का एक जाना पहचाना ब्रांड बन गया है." -बद्री राम, नोडल पदाधिकारी, कटिहार वियाडा
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