बलौदाबाजार: जीवन में अगर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो और लक्ष्य निर्धारित हो, तो गरीबी और अभाव बाधा नहीं बनती. इसे साबित किया है जिले के छोटे से गांव करही बाजार में रहने वाले गरीब मजदूर परिवार की बेटी प्रीति यादव. दरअसल, प्रीति यादव ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा में पूरे छत्तीसगढ़ में तीसरा स्थान हासिल किया है. प्रीति की इस सफलता से सिर्फ अपने माता-पिता बल्कि शिक्षकों के साथ-साथ जिले का भी मान बढ़ा है. ETV भारत से खास बात में प्रीति से खास बातचीत की और जाना कि आखिर कैसे प्रीति यादव ने टॉप टेन में अपना स्थान बनाया. जानिए गरीब मजदूर की बेटी की सफल होने की कहानी.
"कॉपी खरीदने के लिए नहीं थे पैसे": ETV भारत को प्रीति ने बताया, "उनकी घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन पढ़ाई करने का मन था. इसके लिए माता-पिता ने साथ दिया. पुस्तक-कापी खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, तो दूसरों से मांगकर पढ़ाई करना पड़ा. माता-पिता के अलावा शिक्षकों ने भी साथ दिया. उन्होंने पढ़ाई से जुड़ी हर समस्या का हल निकालने में मदद की."
"माता-पिता और शिक्षाओं की वजह से मैं आज छत्तीसगढ़ में टॉपर्स की सूची में स्थान बना सकी. मैं आगे और पढ़ाई कर शिक्षा के क्षेत्र में या बैंकिंग क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हूं." - प्रीति यादव, 12वीं टॉपर
प्रीति की सफलता पर गुरुजनों को गर्व: प्रीति की सफलता पर उनकी शिक्षिका अलका राठौर ने खुशी जाहिर की. उन्होंने बताया कि उन्हें शिक्षिका क्षेत्र में कार्य करते 14 साल हो गए हैं, लेकिन उन्हें आज लग रहा है कि उनकी शिक्षा सार्थक हो गई और उनकी पढ़ाई छात्रा ने उनका नाम भी रौशन कर दिया.
"प्रीति में पढ़ाई के प्रति काफी लगन है, जिसको देखते हुए हमने उसकी एक्सट्रा क्लास ली. पिछले 5 साल के प्रश्न पत्रों को हल करवाया और उसके छोटे से छोटे डाउट्स को क्लियर किया, जिसका परिणाम आज सबके सामने है." - अलका राठौर, प्रीति की शिक्षिका
कलेक्टर ने प्रीति को किया सम्मानित : 12वीं बोर्ड परीक्षा में प्रदेश में प्रीति यादव ने तीसरा स्थान हासिल किया. उसने साबित कर दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं और होनहार छात्रों की कमी नहीं है, कमी है तो लगन की. आज कलेक्टर केएल चौहान ने अपने चेम्बर में प्रीति यादव के साथ उसके माता-पिता और गुरूजनों का सम्मान किया. साथ ही उन्हें डिनर के लिए भी आमंत्रित किया.
"गरीबी सफलता में बाधक नहीं होती": कलेक्टर के एल चौहान ने कहा, "आज पांच बेटियों ने अपने माता-पिता और गुरूजनों, स्कूल के साथ जिले और छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है. इसमें सबसे खास बात यह है कि इनमें छोटे से गांव करही बाजार की गरीब मजदूर परिवार की बेटी प्रीति यादव भी है. उसने अभावों के बीच पढ़ाई कर छत्तीसगढ़ में टॉप 10 में जगह बनाई और साबित कर दिया कि गरीबी या शिक्षकों की कमी सफलता में बाधक नहीं होती.
"यदि मन में लगन हो कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो सफलता अवश्य कदम चुमती है. मैं प्रीति यादव को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं." - के एल चौहान, कलेक्टर, बलौदाबाजार
प्रीति की सफलता में गरीबी नहीं बनी बाधा: जिले में पहली बार शासकीय स्कूल के चार बच्चों ने टॉप टेन में अपनी जगह बनाई, जिसमें से तीन तो इंग्लिश मीडियम के थे. लेकिन हिंदी मीडियम से 12वीं बोर्ड में टॉप करने वाली प्रीति यादव जिले की पहली लड़की है. प्रीति यादव बेहद गरीब परिवार से है. उनके पिता मिस्त्री और खेती किसानी और मां मजदूरी कर किसी तरह से अपना गुजारा करते है. प्रीति के परिवार में उसकी चार बहनें, दो भाई, माता-पिता और दादी कुल मिलकर 10 सदस्य हैं. इन सभी की जिम्मेदारी प्रीति के पिता पर है. वे और उनकी पत्नी स्वयं पढ़े लिखे नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को आर्थिक अभाव के बीच पढ़ाई करने से कभी नहीं रोका. आज इसी का परिणाम है कि उनकी बिटिया ने अपनी सफलता से पूरे जिले का मान बढ़ाया है.