पटना: बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले ऋषिकेश कश्यप मुंबई के सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन से 2 साल का कोर्स करने के बाद लाखों की नौकरी छोड़कर पटना में सरकार की मदद से 2006 में काफ्फेड (Coffed) की स्थापना की. केवल ₹5000 और दो कर्मचारियों और 52 मेंबर से COFFED की शुरुआत की थी. तब उधार का लैपटॉप था और आज 16 लाख मेंबर हो चुके हैं. सालाना इनका करोड़ों का टर्न ओवर है.
नौकरी छोड़कर शुरू किया अपना मनपसंद काम: दरभंगा के रहने वाले ऋषिकेश कश्यप का परिवार मछली का कारोबार करता था. तब कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था. दरभंगा से फिशरीज में ग्रेजुएशन करने के बाद उनका सलेक्शन मुंबई के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन में हो गया. एशिया का यह टॉप संस्थान है. 2 साल का कोर्स 2003-04 में पूरा किया. उसी की बदौलत कैंपस सलेक्शन भी हो गया.
लाखों के पैकेज को ठुकराकर बनाया अपना संगठन: ऋषिकेश ने बताया कि 2005 में 6 लाख का पैकेज मिला था. इंस्टिट्यूट में पढ़ाई के दौरान पूरे देश का भ्रमण करवाया गया और इस दौरान हमने फैसला कर लिया था कि मुझे नौकरी नहीं करनी है. इसलिए कैंपस सलेक्शन होने के बाद हमने नौकरी से रिजाइन कर बिहार आ गया.
''बिहार में उस समय सरकार बदली थी, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के पास मत्स्य विभाग भी था. बिहार में उस समय फिशरीज में कोई फेडरेशन काम नहीं कर रहा था हमने प्रपोजल बनाकर सुशील मोदी को दिया और उन्होंने सरकार के स्तर पर अधिसूचना जारी की. 22 योजनाओं के साथ हमने काफ़्फेड की स्थापना की थी, पहला अध्यक्ष मैं ही था.'' - ऋषिकेश कश्यप, उद्यमी
संघर्ष से भरे रहे शुरुआती दिन: पटना में एक छोटे से कमरे में उधार के लैपटॉप से दो लोगों के साथ हमने COFFED की शुरुआत की थी, केवल ₹5000 हम लोगों के पास था ₹1100 दोनों कर्मचारियों को महीने में वेतन देना शुरू किया था. लेकिन बिहार सरकार के सहयोग से हम लोगों की संस्था बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ लिमिटेड ( COFFED) ने बिहार के मछुआरों को जोड़ना शुरू किया. आज 16 लाख इस संस्था के सदस्य बन चुके हैं. 2200 कर्मचारी पेरोल पर है जिनको सैलरी दी जाती है.
जब सुशील मोदी ने जताई थी हैरानी: जब हम लोगों ने फेडरेशन शुरू किया तो सरकार को कई प्रपोज दिया था. जिसे तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने स्वीकार भी किया. जिसमें मछुआरों को हैदराबाद भेज कर ट्रेनिंग देने की योजना भी थी, पहली बार बिहार के मछुआरों को पता चला की मछली को भोजन भी दिया जाता है. उस समय सुशील मोदी ने यह जानकर आश्चर्य भी जताया था. बिहार में मछुआरों के लिए बीमा योजना भी शुरू किया अब तक 47 करोड़ से अधिक का सेटलमेंट हम लोगों ने किया है.
फिशरीज को बनाया फायदे का धंधा: फिशरीज की मैं पढ़ाई की थी तो कई तरह का प्रयोग भी हमने यहां शुरू किया. एक्सपोर्ट का भी लाइसेंस लिया. आज काफ़्फेड मछली का चयोंटा चीन और जापान एक्सपोर्ट कर रहा है. मखाना का एक्सपोर्ट भी हो रहा है. अमेरिका और दुबई मखाना एक्सपोर्ट करने की भी तैयारी है.
COFFED का सालाना टर्नओवर: ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि पिछले साल हमारी संस्था का टर्नओवर 20 करोड़ 1 साल का था. लगातार हमारी संस्था कई योजनाओं के साथ बिहार में मजबूती से कदम आगे बढ़ा रही है. COFFED के कारण बिहार को फिशरीज में नेशनल अवॉर्ड भी मिला है. बेस्ट कोऑपरेटिव का अवार्ड के साथ देश के फिशरीज के क्षेत्र में सबसे लार्जेस्ट कोऑपरेटिव का अवॉर्ड भी मुझे मिला है. श्रीलंका में भी हमारे कोऑपरेटिव को एक्सीलेंस अवॉर्ड मिल चुका है.
4000 करोड़ की मछली बिहार में आ रही: ऋषिकेश कश्यप का कहना है कि बिहार में 6 लाख हेक्टेयर वेटलैंड है, जिसको डेवलप करने की जरूरत है. केंद्र सरकार ने इस साल बजट में बड़ी राशि फिशरीज के क्षेत्र के लिए दी है. बिहार सरकार भी फिशरीज को आगे बढ़ाने की कई योजना पर काम कर रही है. बिहार के युवाओं को आगे आने की जरूरत है.
''बिहार में रोजगार की असीम संभावना है. आज भी 2 लाख मीट्रिक टन मछली हम लोग बाहर से मंगा रहे हैं. जिस पर 4000 करोड़ की राशि खर्च हो रही है. ऐसे में युवा जॉब लेने वाला नहीं जॉब क्रिएटर बनें और मछली का क्षेत्र संभावनाओं से भरा हुआ है.'' - ऋषिकेश कश्यप, उद्यमी
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