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1500 रुपये की नौकरी छोड़ी, आज अपनी कंपनी के स्टाफ को देते हैं 10 लाख सैलेरी - Success Story

Arjun Choudhary Success Story: 1500 रुपये की नौकरी कर कंपनी खड़ी करना आसान काम नहीं है, लेकिन इस मुश्किल काम को आसान बनाने का काम दरभंगा के अर्जुन कुमार चौधरी ने किया है. अर्जुन की कंपनी का आज सलाना टर्नओवर 4 करोड़ रुपए है. यहां तक पहुंचने में उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. सक्सेस स्टोरी में आज अर्जुन चौधरी की सफलता की कहानी जानेंगे.

दरभंगा के अर्जुन कुमार चौधरी की सक्सेस स्टोरी
दरभंगा के अर्जुन कुमार चौधरी की सक्सेस स्टोरी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 15, 2024, 11:24 AM IST

पटनाः यदि काम करने का जज्बा और लगन हो तो सफलता जरूर मिलती ही है. यह कहावत सही कर दिखाया दरभंगा केवटी नयागांव के रहने वाले अर्जुन कुमार चौधरी ने. साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले अर्जुन कुमार चौधरी ने अपने दम पर केमिकल कंपनी स्थापित दिया. कभी 1500 रुपए महीने पर नौकरी करते थे लेकिन आज इनके पास बड़ी कंपनी है. सलाना टर्नओवर 4 करोड़ रुपए का है.

अर्जुन कुमार चौधरी (दाएं से)
अर्जुन कुमार चौधरी (दाएं से) (ETV Bharat)

दरभंगा में हुई पढ़ाईः अर्जुन कुमार चौधरी मूल रूप से दरभंगा के केवटी प्रखंड के नयागांव के रहने वाले हैं. किसान परिवार से ताल्लुकात रखने वाले अर्जुन चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय हुई. मैट्रिक तक की पढ़ाई उच्च विद्यालय केवटी में हुआ. दरभंगा के एमएलएसएम कॉलेज से इंटर किए. इंटर के बाद 2010 में बीकॉम और इसी दौरान उन्होंने कप्यूटर कोर्स कर डाटा एंट्री का काम शुरू किया.

"नगर निगम का ऑडिट होता तो CA के अंदर में डाटा इंट्री का काम वह करते थे. इस काम के बदले पैसा मिलने लगा. इसके अलावा प्रखंड में नजीर को कंप्यूटर की ट्रेनिंग देने की योजना शुरू हुई तो यह काम भी किया. कलेक्ट्रेट परिसर में इन लोगों को ट्रेनिंग दी." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

पहली सैलरी 1500 रुपयेः ईटीवी भारत से बातचीत में अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि उनकी पहली नौकरी बिहार के मधेपुरा में हुई. बीकॉम करने के बाद मधेपुरा में DHC (डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सेंटर) में 1500 रु महीना पर डाटा एंट्री का काम मिला. 4 महीना तक काम किया लेकिन 1500 रु में जीवन यापन नहीं चल रहा था. इसके बाद उनका वेतन 2000 रु महीना किया गया. कुल 7 महीना मधेपुरा में DHC सेंटर में काम किया.

कंस्ट्रक्शन कंपनी में 6000 रु की नौकरीः 2000 रु से काम नहीं चल रहा था तो अर्जुन कुमार चौधरी ने बिहार से बाहर जाकर काम करने का निर्णय लिया. उत्तर प्रदेश के अनपरा में लैंको पवार प्लांट का काम चल रहा था. एस राव कंस्ट्रक्शन कंपनी में उन्होंने 6000 रु में नौकरी शुरू की. डेढ़ वर्षों तक अकाउंट सेक्शन में नौकरी की. इनके बाद वासरी पावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड में नौकरी मिली. 10980 रु वेतन पर नौकरी मिली थी. दिल्ली के वबना में NTPC पवार प्लांट का काम चल रहा था उनका वही नौकरी पर भेजा गया.

MRC केमिकल प्राइवेट लिमिटेड का प्रोडक्ट
MRC केमिकल प्राइवेट लिमिटेड का प्रोडक्ट (ETV Bharat)

"जीवन में पहली बार 10 हजार से ज्यादा सैलरी पाकर वह बहुत थे. दिल्ली में 4 महीना नौकरी करने के बाद कंपनी ने 15000 रु महीना वेतन पर उत्तराखंड के काशीपुर भेज दिया. वहां 2 साल तक इस कंपनी में अकाउंटेंट के पद पर काम किया." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

2013 में मां का निधन: अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि उनके जीवन में 2013 सबसे बड़ा कठिन साबित हुआ. 14 अगस्त 2013 को उनकी मां की तबीयत खराब हुई. जांच के पता चला कि उनकी मां को कैंसर और आखिरी स्टेज में है. मां की तबीयत खराब होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और वापस दरभंगा आ गए. 3 दिसंबर 2013 को उनकी मां का निधन हो गया. उन्होंने अपने पिताजी को उत्तराखंड चलने के लिए कहा लेकिन पिताजी मना कर दिए.

तीन महीने सेल्समेनः पिता जी के उत्तराखंड जाने से मना करने के बाद जीवन की लकीर बदल गयी. उन्होंने नौकरी छोड़ व्यवसाय करने की ठानी लेकिन यह इतना आसान नहीं है. दरभंगा में ही उन्होंने रोजगार करने का फैसला किया. व्यापार में परेशानी ग्रोथ के बारे में जानने के लिए उन्होंने मुजफ्फरपुर में सेल्समैन की नौकरी शुरू की. 3 महीना मार्केट की स्थिति जानने के बाद व्यापार शुरू करने का फैसला किया.

अर्जुन कुमार चौधरी
अर्जुन कुमार चौधरी (ETV Bharat)

मिक्सचर कंपनी की शुरुआतः अर्जुन कुमार चौधरी ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 3 लाख का लोन लिया. 2 लाख रु खुद के जमा और कुछ उधार लेकर अप्रैल 2015 में 10 लाख की लागत से व्यवसाय शुरू किया लेकिन यह नहीं चल पाया. MRC (मां रीता चौधरी) फूड्स कंपनी के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया. दरभंगा के केवटी में उन्होंने "रुचिकर नमकीन" नाम से अपना प्रोडक्ट बाजार में उतारा. उत्तर प्रदेश से कारीगर मंगवा कर मिक्सर का व्यापार शुरू हुआ.

नहीं चल पाया पहला व्यवसायः व्यापार चल रहा था लेकिन बीच-बीच में कारीगर छोड़कर चला जाता था. दूसरा मशीन में हमेशा खराबी रहने के कारण उनके व्यापार पर प्रभाव पड़ने लगा. 5 लोगों के साथ व्यापार शुरू किया था. खुद दरभंगा और मधुबनी में दुकान में जाकर सेल्समैन की तरह अपना प्रोडक्ट बेचना शुरू किया लेकिन उनका व्यापार ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा था. व्यापार नहीं चलने से मन परेशान हो गया.

अध्यात्म की तरफ झुकावः व्यापार में हो रही परेशानी के बाद अर्जुन कुमार चौधरी का अध्यात्म की तरफ झुकाव हुआ. उन्होंने ठाकुर अनुकुलचंद का शिष्य बनने का फैसला किया और उनसे दीक्षा ली. यहीं से उनके जीवन में सफलता शुरू हुई. घाटा में चल रहा मिक्सर कंपनी को बंद करने का फैसला किया. अर्जुन चौधरी ने बताया कि उनके गुरु ने उनको कहा कि जिस व्यापार में दो प्रतिशत का फायदा नहीं हो तो उसे बंद कर देना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर कर्ज के बोझ में धीरे-धीरे दबते जाओगे.

"10 लाख रुपए से पहली कंपनी की शुरुआत की लेकिन स्टाफ बार-बार चला जाता था. मशीन भी खराब हो जाती थी और बिक्री नहीं हो रही थी. इस कारण कंपनी में घाटा हो गया. इसके बाद इसे बंद करने पड़ा. अनुकुलचंद का शिष्य बनकर दीक्षा ली और उनके बताए रास्ते में चलने लगा." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

फिर से केमिकल कंपनी की शुरुआतः अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि वह बहुत दिनों तक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम किये थे. निर्माण की मजबूती के लिए मसाला में केमिकल मिलाया जाता था, उसकी जानकारी उनको थी. नोटबंदी के बाद 2016 में बैंक से 6 लाख का लोन लिया. इसके अलावे 5 लाख रु की व्यवस्था करने के बाद 11 लाख से केमिकल की फैक्ट्री लगाने का निर्णय लिया. दरभंगा में ही MRC केमिकल प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली.

दरभंगा के अर्जुन कुमार चौधरी ने बनायी केमिकल कंपनी
दरभंगा के अर्जुन कुमार चौधरी ने बनायी केमिकल कंपनी (ETV Bharat)

अल्ट्रा पावरटेक प्लस से बनाना प्रोडक्टः अर्जुन चौधरी ने 'अल्ट्रा पावरटेक प्लस' नाम से बाजार में प्रोडक्ट उतारा. इनका यह प्रोडक्ट लोगों को पसंद आया. यहीं से उनका बिजनेस धीरे-धीरे बढ़ने लगा. अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि दिन-रात मेहनत करने के बाद उनके प्रोडक्ट को लोग पसंद करने लगे. पहले मिथिलांचल और कोसी के इलाके के जिलों में उनके प्रोडक्ट की बिक्री शुरू हुई. बाद में पूरे बिहार में उनके प्रोडक्ट की बिक्री होने लगी. आज कंपनी में 35 लोग काम कर रहे हैं. बिहार के अलावे झारखंड , उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात , उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और विदेश में नेपाल तक प्रोडक्ट की सप्लाई होती है.

10 लाख रु सैलरी में खर्चः 1500 रु से नौकरी की शुरुआत करने वाले अर्जुन कुमार चौधरी आज 35 कर्मचारी को सैलरी दे रहे हैं. प्रति माह करीब 10 लाख रु वह अपने कर्मचारियों के सैलरी के पीछे खर्च करते हैं. अर्जुन कुमार चौधरी ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को सैलरी के अलावा इंसेंटिव भी देते हैं ताकि उनके कर्मचारी और ज्यादा मेहनत करके ज्यादा पैसा कमा सकें.

"आज प्रोडक्ट एक विश्वसनीय ब्रांड के रूप में लोगों के बीच है. बिहार के बाहर भी लोग भरोसा करने लगे हैं. सालाना टर्नओवर अभी 4 करोड़ के आसपास है. बिहार के सभी जिलो में एक-एक आउटलेट खोले हुए हैं. जहां से प्रतिनिधि दुकानदारों तक माल पहुंचा देते हैं. इससे यह फायदा होता है कि स्टॉकिस्ट को देने वाला 18 परसेंट का कमीशन अपने कर्मचारियों के बीच बांट देते हैं, जिसे कर्मचारी भी खुश और बीच का कमीशन का लफड़ा भी खत्म हो जाता है." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

देश का बड़ा ब्रांड बनाने का सपनाः अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि उनका सपना है कि उनके ब्रांड की गिनती पूरे देश के प्रतिष्ठित ब्रांडों में से हो। इसके अलावा बिहार के अन्य जिलों में भी उनकी कंपनी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू करें ताकि बिहार के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके. इसी को लेकर वह अब आगे की तैयारी कर रहे हैं. दरभंगा के अलावे दूसरे जगह भी फैक्ट्री खोलने पर विचार कर रहे हैं.

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पटनाः यदि काम करने का जज्बा और लगन हो तो सफलता जरूर मिलती ही है. यह कहावत सही कर दिखाया दरभंगा केवटी नयागांव के रहने वाले अर्जुन कुमार चौधरी ने. साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले अर्जुन कुमार चौधरी ने अपने दम पर केमिकल कंपनी स्थापित दिया. कभी 1500 रुपए महीने पर नौकरी करते थे लेकिन आज इनके पास बड़ी कंपनी है. सलाना टर्नओवर 4 करोड़ रुपए का है.

अर्जुन कुमार चौधरी (दाएं से)
अर्जुन कुमार चौधरी (दाएं से) (ETV Bharat)

दरभंगा में हुई पढ़ाईः अर्जुन कुमार चौधरी मूल रूप से दरभंगा के केवटी प्रखंड के नयागांव के रहने वाले हैं. किसान परिवार से ताल्लुकात रखने वाले अर्जुन चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय हुई. मैट्रिक तक की पढ़ाई उच्च विद्यालय केवटी में हुआ. दरभंगा के एमएलएसएम कॉलेज से इंटर किए. इंटर के बाद 2010 में बीकॉम और इसी दौरान उन्होंने कप्यूटर कोर्स कर डाटा एंट्री का काम शुरू किया.

"नगर निगम का ऑडिट होता तो CA के अंदर में डाटा इंट्री का काम वह करते थे. इस काम के बदले पैसा मिलने लगा. इसके अलावा प्रखंड में नजीर को कंप्यूटर की ट्रेनिंग देने की योजना शुरू हुई तो यह काम भी किया. कलेक्ट्रेट परिसर में इन लोगों को ट्रेनिंग दी." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

पहली सैलरी 1500 रुपयेः ईटीवी भारत से बातचीत में अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि उनकी पहली नौकरी बिहार के मधेपुरा में हुई. बीकॉम करने के बाद मधेपुरा में DHC (डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सेंटर) में 1500 रु महीना पर डाटा एंट्री का काम मिला. 4 महीना तक काम किया लेकिन 1500 रु में जीवन यापन नहीं चल रहा था. इसके बाद उनका वेतन 2000 रु महीना किया गया. कुल 7 महीना मधेपुरा में DHC सेंटर में काम किया.

कंस्ट्रक्शन कंपनी में 6000 रु की नौकरीः 2000 रु से काम नहीं चल रहा था तो अर्जुन कुमार चौधरी ने बिहार से बाहर जाकर काम करने का निर्णय लिया. उत्तर प्रदेश के अनपरा में लैंको पवार प्लांट का काम चल रहा था. एस राव कंस्ट्रक्शन कंपनी में उन्होंने 6000 रु में नौकरी शुरू की. डेढ़ वर्षों तक अकाउंट सेक्शन में नौकरी की. इनके बाद वासरी पावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड में नौकरी मिली. 10980 रु वेतन पर नौकरी मिली थी. दिल्ली के वबना में NTPC पवार प्लांट का काम चल रहा था उनका वही नौकरी पर भेजा गया.

MRC केमिकल प्राइवेट लिमिटेड का प्रोडक्ट
MRC केमिकल प्राइवेट लिमिटेड का प्रोडक्ट (ETV Bharat)

"जीवन में पहली बार 10 हजार से ज्यादा सैलरी पाकर वह बहुत थे. दिल्ली में 4 महीना नौकरी करने के बाद कंपनी ने 15000 रु महीना वेतन पर उत्तराखंड के काशीपुर भेज दिया. वहां 2 साल तक इस कंपनी में अकाउंटेंट के पद पर काम किया." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

2013 में मां का निधन: अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि उनके जीवन में 2013 सबसे बड़ा कठिन साबित हुआ. 14 अगस्त 2013 को उनकी मां की तबीयत खराब हुई. जांच के पता चला कि उनकी मां को कैंसर और आखिरी स्टेज में है. मां की तबीयत खराब होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया और वापस दरभंगा आ गए. 3 दिसंबर 2013 को उनकी मां का निधन हो गया. उन्होंने अपने पिताजी को उत्तराखंड चलने के लिए कहा लेकिन पिताजी मना कर दिए.

तीन महीने सेल्समेनः पिता जी के उत्तराखंड जाने से मना करने के बाद जीवन की लकीर बदल गयी. उन्होंने नौकरी छोड़ व्यवसाय करने की ठानी लेकिन यह इतना आसान नहीं है. दरभंगा में ही उन्होंने रोजगार करने का फैसला किया. व्यापार में परेशानी ग्रोथ के बारे में जानने के लिए उन्होंने मुजफ्फरपुर में सेल्समैन की नौकरी शुरू की. 3 महीना मार्केट की स्थिति जानने के बाद व्यापार शुरू करने का फैसला किया.

अर्जुन कुमार चौधरी
अर्जुन कुमार चौधरी (ETV Bharat)

मिक्सचर कंपनी की शुरुआतः अर्जुन कुमार चौधरी ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 3 लाख का लोन लिया. 2 लाख रु खुद के जमा और कुछ उधार लेकर अप्रैल 2015 में 10 लाख की लागत से व्यवसाय शुरू किया लेकिन यह नहीं चल पाया. MRC (मां रीता चौधरी) फूड्स कंपनी के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया. दरभंगा के केवटी में उन्होंने "रुचिकर नमकीन" नाम से अपना प्रोडक्ट बाजार में उतारा. उत्तर प्रदेश से कारीगर मंगवा कर मिक्सर का व्यापार शुरू हुआ.

नहीं चल पाया पहला व्यवसायः व्यापार चल रहा था लेकिन बीच-बीच में कारीगर छोड़कर चला जाता था. दूसरा मशीन में हमेशा खराबी रहने के कारण उनके व्यापार पर प्रभाव पड़ने लगा. 5 लोगों के साथ व्यापार शुरू किया था. खुद दरभंगा और मधुबनी में दुकान में जाकर सेल्समैन की तरह अपना प्रोडक्ट बेचना शुरू किया लेकिन उनका व्यापार ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा था. व्यापार नहीं चलने से मन परेशान हो गया.

अध्यात्म की तरफ झुकावः व्यापार में हो रही परेशानी के बाद अर्जुन कुमार चौधरी का अध्यात्म की तरफ झुकाव हुआ. उन्होंने ठाकुर अनुकुलचंद का शिष्य बनने का फैसला किया और उनसे दीक्षा ली. यहीं से उनके जीवन में सफलता शुरू हुई. घाटा में चल रहा मिक्सर कंपनी को बंद करने का फैसला किया. अर्जुन चौधरी ने बताया कि उनके गुरु ने उनको कहा कि जिस व्यापार में दो प्रतिशत का फायदा नहीं हो तो उसे बंद कर देना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर कर्ज के बोझ में धीरे-धीरे दबते जाओगे.

"10 लाख रुपए से पहली कंपनी की शुरुआत की लेकिन स्टाफ बार-बार चला जाता था. मशीन भी खराब हो जाती थी और बिक्री नहीं हो रही थी. इस कारण कंपनी में घाटा हो गया. इसके बाद इसे बंद करने पड़ा. अनुकुलचंद का शिष्य बनकर दीक्षा ली और उनके बताए रास्ते में चलने लगा." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

फिर से केमिकल कंपनी की शुरुआतः अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि वह बहुत दिनों तक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम किये थे. निर्माण की मजबूती के लिए मसाला में केमिकल मिलाया जाता था, उसकी जानकारी उनको थी. नोटबंदी के बाद 2016 में बैंक से 6 लाख का लोन लिया. इसके अलावे 5 लाख रु की व्यवस्था करने के बाद 11 लाख से केमिकल की फैक्ट्री लगाने का निर्णय लिया. दरभंगा में ही MRC केमिकल प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली.

दरभंगा के अर्जुन कुमार चौधरी ने बनायी केमिकल कंपनी
दरभंगा के अर्जुन कुमार चौधरी ने बनायी केमिकल कंपनी (ETV Bharat)

अल्ट्रा पावरटेक प्लस से बनाना प्रोडक्टः अर्जुन चौधरी ने 'अल्ट्रा पावरटेक प्लस' नाम से बाजार में प्रोडक्ट उतारा. इनका यह प्रोडक्ट लोगों को पसंद आया. यहीं से उनका बिजनेस धीरे-धीरे बढ़ने लगा. अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि दिन-रात मेहनत करने के बाद उनके प्रोडक्ट को लोग पसंद करने लगे. पहले मिथिलांचल और कोसी के इलाके के जिलों में उनके प्रोडक्ट की बिक्री शुरू हुई. बाद में पूरे बिहार में उनके प्रोडक्ट की बिक्री होने लगी. आज कंपनी में 35 लोग काम कर रहे हैं. बिहार के अलावे झारखंड , उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात , उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और विदेश में नेपाल तक प्रोडक्ट की सप्लाई होती है.

10 लाख रु सैलरी में खर्चः 1500 रु से नौकरी की शुरुआत करने वाले अर्जुन कुमार चौधरी आज 35 कर्मचारी को सैलरी दे रहे हैं. प्रति माह करीब 10 लाख रु वह अपने कर्मचारियों के सैलरी के पीछे खर्च करते हैं. अर्जुन कुमार चौधरी ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को सैलरी के अलावा इंसेंटिव भी देते हैं ताकि उनके कर्मचारी और ज्यादा मेहनत करके ज्यादा पैसा कमा सकें.

"आज प्रोडक्ट एक विश्वसनीय ब्रांड के रूप में लोगों के बीच है. बिहार के बाहर भी लोग भरोसा करने लगे हैं. सालाना टर्नओवर अभी 4 करोड़ के आसपास है. बिहार के सभी जिलो में एक-एक आउटलेट खोले हुए हैं. जहां से प्रतिनिधि दुकानदारों तक माल पहुंचा देते हैं. इससे यह फायदा होता है कि स्टॉकिस्ट को देने वाला 18 परसेंट का कमीशन अपने कर्मचारियों के बीच बांट देते हैं, जिसे कर्मचारी भी खुश और बीच का कमीशन का लफड़ा भी खत्म हो जाता है." -अर्जुन कुमार चौधरी, व्यवसायी

देश का बड़ा ब्रांड बनाने का सपनाः अर्जुन कुमार चौधरी ने बताया कि उनका सपना है कि उनके ब्रांड की गिनती पूरे देश के प्रतिष्ठित ब्रांडों में से हो। इसके अलावा बिहार के अन्य जिलों में भी उनकी कंपनी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू करें ताकि बिहार के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके. इसी को लेकर वह अब आगे की तैयारी कर रहे हैं. दरभंगा के अलावे दूसरे जगह भी फैक्ट्री खोलने पर विचार कर रहे हैं.

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