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यहां तबेले में बजता है डीजे, गाय को म्यूजिक सुनाकर सालाना लाखों का कारोबार कर रहे गया के सुबोध - Success Story

Gaya Magadh Dairy: गया के सुबोध ने दो-दो सरकारी नौकरी छोड़कर पशुपालन में फोकस किया. कभी तीन गायों से उन्होंने डेयरी चलाने की सोची लेकिन उनके सामने ये समस्या थी कि डेयरी फार्म कैसे खोलें? इसका जवाब उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और पक्के इरादे से दिया और आज गया में सबसे बड़ा डेयरी फार्म सुबोध कुमार सिंह का है. आज उनके डेयरी फार्म में एक से बढ़कर एक दुधारू नस्ल की मवेशी हैं.

Gaya Magadh Dairy
गया के किसान सुबोध कुमार सिंह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 7, 2024, 8:21 AM IST

Updated : Sep 7, 2024, 10:47 AM IST

गया के किसान सुबोध कुमार सिंह (ETV Bharat)

गया: छोटी शुरुआत और बड़ा मुकाम, जी हां, बिहार में गया के किसान सुबोध कुमार सिंह की कुछ ऐसी ही कहानी है. उन्होंने अच्छी खासी पगार वाली नौकरी छोड़ी, छोटी शुरुआत की और आज बड़े मुकाम के रूप में उनकी एक अपनी बड़ी डेयरी है. कभी रेलवे में पीडब्ल्यूएम के पद पर रहने वाले सुबोध कुमार सिंह ने यह नौकरी छोड़ी, फिर सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हुआ, तो वह नौकरी भी ज्वाइन नहीं की, लेकिन खुद का व्यवसाय करने के जज्बे को कायम रखा और आज पूरी तरह से पशुपालन व्यवसाय करके आत्मनिर्भर हैं.

तीन गायों के साथ की शुरुआत: सुबोध कुमार सिंह ने दो दशक पहले तीन गायों के साथ दुग्ध उत्पादन व्यवसाय की शुरुआत की थी. आज इनके पास डेढ़ सौ से दो दुधारू मवेशी है. इनकी एक बड़ी डेयरी है, जो मगध डेपरी के नाम से संचालित है. कभी इन्हें जानने वाले सीमित थे, लेकिन उनके डेयरी उद्योग ने उनकी राज्य और देश के स्तर पर पहचान बना दी है. कई पुरस्कार पशुपालन क्षेत्र और दुग्ध उत्पादन को लेकर इन्हें मिल चुके हैं.

Gaya Magadh Dairy
1998 में दुग्ध उत्पादन का काम किया शुरू (ETV Bharat)

पशुपालन के लिए सरकारी नौकरी छोड़ी: किसान सुबोध कुमार सिंह की नौकरी रेलवे में थी. रेलवे की पीडब्ल्यूएम के पद पर अच्छी खासी नौकरी और अच्छी खासी सैलरी भी इन्हें रास नहीं आई. इन्हें कुछ अलग पहचान बनाने की धुन थी. फिर सीआरपीएफ में एक बेहतर पद के लिए चयनित हुए, लेकिन वह भी उन्हें रास नहीं आया और ज्वाइन नहीं किया. इसके बाद वर्ष 1998 में इन्होंने तीन गायों के साथ दुग्ध उत्पादन का काम शुरू किया. दुग्ध उत्पादन का काम इन्हें रास आने लगा. धीरे-धीरे इसमें कुछ ऐसे रमते चले गए, जैसे उन्होंने नौकरी इन गायों के लिए ही छोड़ी हो.

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पशुपालन के लिए सरकारी नौकरी छोड़ी (ETV Bharat)

डेयरी में 200 दुधारू मवेशी: सुबोध कुमार सिंह गया के खरखुरा मोहल्ले के रहने वाले हैं. इन्होंने जब रेलवे की नौकरी छोड़ी तो गया के कुजापी में तीन गायों के साथ दुग्ध उत्पादन की शुरुआत की. धीरे-धीरे इसमें इन्हें इतना मुनाफा मिलना शुरू हुआ, कि अब उनके डेयरी में 150 दुधारू गाये हैं, 50 की संख्या दुधारू भैंसे हैं. कुल मिलाकर 200 की संख्या में दुधारू मवेशी इनकी डेयरी में हैं.

गया शहर में करते हैं सप्लाई: गया शहर के 8 से 10 किलोमीटर की दूरी के दायरे में दूध पहुंचवाने का काम करते हैं. उनकी डेयरी में प्रतिदिन 700 से 800 लीटर दूध का प्रोडक्शन होता है. यह दूध लगभग शहर के हर हिस्से में जाता है. गया शहर के 8-10 किलोमीटर की दूरी में दूध पहुंचता है. वहीं, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में ही दूध जाता है. इन्होंने दर्जन भर अधिक लोगों को रोजगार भी दे रखा है. इस डेयरी व्यवसाय से दर्जन भर लोगों का अच्छा खासा गुजारा रहा, क्योंकि एक निश्चित राशि यहां डेयरी में काम करने वालों को मिल जा रही है.

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डेयरी में 150 दुधारू गाय (ETV Bharat)

म्यूजिक सिस्टम से दूध उत्पादन: किसान सुबोध कुमार सिंह म्यूजिक सिस्टम से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना पर भी काम कर रहे हैं. इनका मानना है कि यह उनका सफल प्रयोग है. उन्होंने अपनी डेयरी में ऐसी तकनीक इजाद कर रखे हैं, कि उनके यहां के दुधारू मवेशिया म्यूजिक बजते ही चारा खाने के लिए तैयार हो जाती है. वहीं, दूध देने का जब समय होता है, तो उस समय भी किसान सुबोध कुमार सिंह म्यूजिक बजाते हैं. इनका मानना है, कि म्यूजिक सिस्टम से दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और गायें आराम से दूध देती है.

''हमने नोबेल इनोवेशन किया, जो कि म्यूजिक सिस्टम से दुग्ध उत्पादन पर था. इसके लिए सबौर यूनिवर्सिटी से प्रशंसा भी मिल चुकी है. सबौर यूनिवर्सिटी में नोबेल इनोवेशन म्यूजिक सिस्टम से दूध उत्पादन पर बोलने का मौका स्थापना दिवस के मौके पर मिला था. बांसुरी वाली धुन सबसे ज्यादा दुधारू मवेशियों को पसंद है. गाय-भैंस जब बांसुरी वाली धुन सुनते हैं, तो वह खुद को चारा खाने और दूध देने के लिए तैयार कर लेते हैं.''- सुबोध कुमार सिंह, डेयरी संचालक

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गया के किसान सुबोध कुमार सिंह (ETV Bharat)

म्यूजिकल डेयरी के फायदे: बायोलॉजिकली क्लॉक के द्वारा दुधारू मवेशियों को पता चल जाता है, कि खाना और दूध देने का समय हो गया है. वहीं, बांसुरी वाली धुन जब बजती है, तो गायें आराम से दूध देती है. इसे निकालने में भी काफी सहूलियत होती है. बताते हैं, कि हमारे यहां कई नस्लों की गाये हैं और जब म्यूजिक बजती है, तो यह गायें दूध देने और चारा खाने के लिए सामान्य हो जाती हैं. बांसुरी की धुन वाला म्यूजिक जब बजता है, तो यह दूध ज्यादा देती है.

दुधारू मवेशियों के लिए गर्मी और ठंडा में टेंपरेचर मेंटेन: किसान सुबोध कुमार सिंह अपने दुधारू मवेशियों का काफी ख्याल रखते हैं. यही वजह है, कि गर्मी में टेंपरेचर मेंटेन करते हैं. गर्मी में टेंपरेचर जब बढ़ जाता है, तो फागिंग चालू हो जाता है. मौसम के अनुसार ठंड और गर्मी में टेंपरेचर अनुकूल करते हैं. इस तरह आधुनिक तकनीक के साथ किसान सुबोध कुमार सिंह ने अपनी डेयरी संचालित कर रखी है और पिछले 20 सालों से अधिक समय से सफलतापूर्वक डेयरी को चला रहे हैं.

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3 गायों से शुरू किया काम (ETV Bharat)

देश और राज्य स्तर पर मिल चुका है सम्मान: किसान सुबोध कुमार सिंह को इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने को लेकर कई सम्मान भी मिल चुके हैं. उन्हें वर्ष 2011 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शरद पवार के द्वारा सम्मानित किया गया था. वहीं, 2013 में राधा मोहन सिंह के द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा 2020 में सर्वोच्च किसान पुरस्कार से भी यह सम्मानित हो चुके हैं.

हर महीने लाखों की कमाई: तीन गाय के साथ डेयरी उत्पादन के व्यवसाय की शुरुआत करने वाले सुबोध की आमदनी लाखों में है. आज हर महीने लाखों का दूध यह डेयरी के माध्यम से बेच रहे हैं. उनकी हर महीने विशुद्ध लाखों की कमाई है. यह बताते हैं, कि किसान इस व्यवसाय को अपनाकर आगे बढ़ सकते हैं. इस व्यवसाय के माध्यम से किसान देश और राज्य में नाम रोशन कर सकते हैं.

''तीन गायों के साथ शुरुआत की फिर यह संख्या 10 हुई, फिर 20, 50 फिर 100 और आज यह संख्या 200 के करीब है. दुधारू मवेशियों में 150 गायें और डेढ़ 50 भैंस है. बाछियों के लिए भी अलग रहने की व्यवस्था की गई है.''- किसान सुबोध कुमार सिंह, डेयरी संचालक

वर्मी कंपोस्ट से भी मिल रहा मुनाफा: वहीं दूध व्यवसाय के साथ-साथ ये वर्मी कंपोस्ट की की भी बिक्री करने की शुरुआत भी कर रहे हैं. बताते हैं, कि मवेशियों को हरा चारा बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है, तो ऐसे में वर्मी कंपोस्ट की मदद से हरा चारा उगाते हैं और दुधारू मवेशियों को खिलाते हैं. डेयरी में दुधारू मवेशियों को शुद्ध चारा मुहैया होता है.

Gaya Magadh Dairy
गया मगध डेयरी (ETV Bharat)

60-70 लाख का टर्न ओवर: बचा हुआ दूध बड़ी मात्रा में फूड आउटलेट्स, होटलों और रेस्टोरेंट्स में सप्लाई किया जाता है. अपनी डेयरी में कई क्विटल पनीर का उत्पादन भी करते हैं. डेयरी फार्म से दर्जनों लोगों को स्थायी और अंशकालीन रोजगार उपलब्ध कराया है. औसतन डेयरी व्यवसाय से प्रति वर्ष 60 से 70 लाख रुपये का सालाना टर्न ओवर होता है. भविष्य में मिल्क प्लांट स्थापित करने के अलावा अपनी डेयरी के ब्रांड नाम के साथ दुग्ध उत्पाद लॉन्च करने की योजना है.

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गया के किसान सुबोध कुमार सिंह (ETV Bharat)

गया: छोटी शुरुआत और बड़ा मुकाम, जी हां, बिहार में गया के किसान सुबोध कुमार सिंह की कुछ ऐसी ही कहानी है. उन्होंने अच्छी खासी पगार वाली नौकरी छोड़ी, छोटी शुरुआत की और आज बड़े मुकाम के रूप में उनकी एक अपनी बड़ी डेयरी है. कभी रेलवे में पीडब्ल्यूएम के पद पर रहने वाले सुबोध कुमार सिंह ने यह नौकरी छोड़ी, फिर सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर चयन हुआ, तो वह नौकरी भी ज्वाइन नहीं की, लेकिन खुद का व्यवसाय करने के जज्बे को कायम रखा और आज पूरी तरह से पशुपालन व्यवसाय करके आत्मनिर्भर हैं.

तीन गायों के साथ की शुरुआत: सुबोध कुमार सिंह ने दो दशक पहले तीन गायों के साथ दुग्ध उत्पादन व्यवसाय की शुरुआत की थी. आज इनके पास डेढ़ सौ से दो दुधारू मवेशी है. इनकी एक बड़ी डेयरी है, जो मगध डेपरी के नाम से संचालित है. कभी इन्हें जानने वाले सीमित थे, लेकिन उनके डेयरी उद्योग ने उनकी राज्य और देश के स्तर पर पहचान बना दी है. कई पुरस्कार पशुपालन क्षेत्र और दुग्ध उत्पादन को लेकर इन्हें मिल चुके हैं.

Gaya Magadh Dairy
1998 में दुग्ध उत्पादन का काम किया शुरू (ETV Bharat)

पशुपालन के लिए सरकारी नौकरी छोड़ी: किसान सुबोध कुमार सिंह की नौकरी रेलवे में थी. रेलवे की पीडब्ल्यूएम के पद पर अच्छी खासी नौकरी और अच्छी खासी सैलरी भी इन्हें रास नहीं आई. इन्हें कुछ अलग पहचान बनाने की धुन थी. फिर सीआरपीएफ में एक बेहतर पद के लिए चयनित हुए, लेकिन वह भी उन्हें रास नहीं आया और ज्वाइन नहीं किया. इसके बाद वर्ष 1998 में इन्होंने तीन गायों के साथ दुग्ध उत्पादन का काम शुरू किया. दुग्ध उत्पादन का काम इन्हें रास आने लगा. धीरे-धीरे इसमें कुछ ऐसे रमते चले गए, जैसे उन्होंने नौकरी इन गायों के लिए ही छोड़ी हो.

Gaya Magadh Dairy
पशुपालन के लिए सरकारी नौकरी छोड़ी (ETV Bharat)

डेयरी में 200 दुधारू मवेशी: सुबोध कुमार सिंह गया के खरखुरा मोहल्ले के रहने वाले हैं. इन्होंने जब रेलवे की नौकरी छोड़ी तो गया के कुजापी में तीन गायों के साथ दुग्ध उत्पादन की शुरुआत की. धीरे-धीरे इसमें इन्हें इतना मुनाफा मिलना शुरू हुआ, कि अब उनके डेयरी में 150 दुधारू गाये हैं, 50 की संख्या दुधारू भैंसे हैं. कुल मिलाकर 200 की संख्या में दुधारू मवेशी इनकी डेयरी में हैं.

गया शहर में करते हैं सप्लाई: गया शहर के 8 से 10 किलोमीटर की दूरी के दायरे में दूध पहुंचवाने का काम करते हैं. उनकी डेयरी में प्रतिदिन 700 से 800 लीटर दूध का प्रोडक्शन होता है. यह दूध लगभग शहर के हर हिस्से में जाता है. गया शहर के 8-10 किलोमीटर की दूरी में दूध पहुंचता है. वहीं, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में ही दूध जाता है. इन्होंने दर्जन भर अधिक लोगों को रोजगार भी दे रखा है. इस डेयरी व्यवसाय से दर्जन भर लोगों का अच्छा खासा गुजारा रहा, क्योंकि एक निश्चित राशि यहां डेयरी में काम करने वालों को मिल जा रही है.

Gaya Magadh Dairy
डेयरी में 150 दुधारू गाय (ETV Bharat)

म्यूजिक सिस्टम से दूध उत्पादन: किसान सुबोध कुमार सिंह म्यूजिक सिस्टम से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना पर भी काम कर रहे हैं. इनका मानना है कि यह उनका सफल प्रयोग है. उन्होंने अपनी डेयरी में ऐसी तकनीक इजाद कर रखे हैं, कि उनके यहां के दुधारू मवेशिया म्यूजिक बजते ही चारा खाने के लिए तैयार हो जाती है. वहीं, दूध देने का जब समय होता है, तो उस समय भी किसान सुबोध कुमार सिंह म्यूजिक बजाते हैं. इनका मानना है, कि म्यूजिक सिस्टम से दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और गायें आराम से दूध देती है.

''हमने नोबेल इनोवेशन किया, जो कि म्यूजिक सिस्टम से दुग्ध उत्पादन पर था. इसके लिए सबौर यूनिवर्सिटी से प्रशंसा भी मिल चुकी है. सबौर यूनिवर्सिटी में नोबेल इनोवेशन म्यूजिक सिस्टम से दूध उत्पादन पर बोलने का मौका स्थापना दिवस के मौके पर मिला था. बांसुरी वाली धुन सबसे ज्यादा दुधारू मवेशियों को पसंद है. गाय-भैंस जब बांसुरी वाली धुन सुनते हैं, तो वह खुद को चारा खाने और दूध देने के लिए तैयार कर लेते हैं.''- सुबोध कुमार सिंह, डेयरी संचालक

Gaya Magadh Dairy
गया के किसान सुबोध कुमार सिंह (ETV Bharat)

म्यूजिकल डेयरी के फायदे: बायोलॉजिकली क्लॉक के द्वारा दुधारू मवेशियों को पता चल जाता है, कि खाना और दूध देने का समय हो गया है. वहीं, बांसुरी वाली धुन जब बजती है, तो गायें आराम से दूध देती है. इसे निकालने में भी काफी सहूलियत होती है. बताते हैं, कि हमारे यहां कई नस्लों की गाये हैं और जब म्यूजिक बजती है, तो यह गायें दूध देने और चारा खाने के लिए सामान्य हो जाती हैं. बांसुरी की धुन वाला म्यूजिक जब बजता है, तो यह दूध ज्यादा देती है.

दुधारू मवेशियों के लिए गर्मी और ठंडा में टेंपरेचर मेंटेन: किसान सुबोध कुमार सिंह अपने दुधारू मवेशियों का काफी ख्याल रखते हैं. यही वजह है, कि गर्मी में टेंपरेचर मेंटेन करते हैं. गर्मी में टेंपरेचर जब बढ़ जाता है, तो फागिंग चालू हो जाता है. मौसम के अनुसार ठंड और गर्मी में टेंपरेचर अनुकूल करते हैं. इस तरह आधुनिक तकनीक के साथ किसान सुबोध कुमार सिंह ने अपनी डेयरी संचालित कर रखी है और पिछले 20 सालों से अधिक समय से सफलतापूर्वक डेयरी को चला रहे हैं.

Gaya Magadh Dairy
3 गायों से शुरू किया काम (ETV Bharat)

देश और राज्य स्तर पर मिल चुका है सम्मान: किसान सुबोध कुमार सिंह को इस क्षेत्र में बेहतर कार्य करने को लेकर कई सम्मान भी मिल चुके हैं. उन्हें वर्ष 2011 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री शरद पवार के द्वारा सम्मानित किया गया था. वहीं, 2013 में राधा मोहन सिंह के द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा 2020 में सर्वोच्च किसान पुरस्कार से भी यह सम्मानित हो चुके हैं.

हर महीने लाखों की कमाई: तीन गाय के साथ डेयरी उत्पादन के व्यवसाय की शुरुआत करने वाले सुबोध की आमदनी लाखों में है. आज हर महीने लाखों का दूध यह डेयरी के माध्यम से बेच रहे हैं. उनकी हर महीने विशुद्ध लाखों की कमाई है. यह बताते हैं, कि किसान इस व्यवसाय को अपनाकर आगे बढ़ सकते हैं. इस व्यवसाय के माध्यम से किसान देश और राज्य में नाम रोशन कर सकते हैं.

''तीन गायों के साथ शुरुआत की फिर यह संख्या 10 हुई, फिर 20, 50 फिर 100 और आज यह संख्या 200 के करीब है. दुधारू मवेशियों में 150 गायें और डेढ़ 50 भैंस है. बाछियों के लिए भी अलग रहने की व्यवस्था की गई है.''- किसान सुबोध कुमार सिंह, डेयरी संचालक

वर्मी कंपोस्ट से भी मिल रहा मुनाफा: वहीं दूध व्यवसाय के साथ-साथ ये वर्मी कंपोस्ट की की भी बिक्री करने की शुरुआत भी कर रहे हैं. बताते हैं, कि मवेशियों को हरा चारा बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है, तो ऐसे में वर्मी कंपोस्ट की मदद से हरा चारा उगाते हैं और दुधारू मवेशियों को खिलाते हैं. डेयरी में दुधारू मवेशियों को शुद्ध चारा मुहैया होता है.

Gaya Magadh Dairy
गया मगध डेयरी (ETV Bharat)

60-70 लाख का टर्न ओवर: बचा हुआ दूध बड़ी मात्रा में फूड आउटलेट्स, होटलों और रेस्टोरेंट्स में सप्लाई किया जाता है. अपनी डेयरी में कई क्विटल पनीर का उत्पादन भी करते हैं. डेयरी फार्म से दर्जनों लोगों को स्थायी और अंशकालीन रोजगार उपलब्ध कराया है. औसतन डेयरी व्यवसाय से प्रति वर्ष 60 से 70 लाख रुपये का सालाना टर्न ओवर होता है. भविष्य में मिल्क प्लांट स्थापित करने के अलावा अपनी डेयरी के ब्रांड नाम के साथ दुग्ध उत्पाद लॉन्च करने की योजना है.

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Last Updated : Sep 7, 2024, 10:47 AM IST
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