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बालू कारोबारी सुभाष प्रसाद यादव का कोडरमा से चुनाव लड़ने पर संकट, पटना हाईकोर्ट ने वापस लिया आदेश - ELECTIONS FROM KODERMA

पटना हाईकोर्ट ने जेल में बंद बालू कारोबारी को दिए गए कोडरमा विधानसभा क्षेत्र से नामांकन-पत्र दाखिल करने के आदेश को वापस ले लिया है.

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 24, 2024, 10:36 PM IST

पटना : बिहार की पटना हाई कोर्ट ने जेल में बंद बालू कारोबारी सुभाष प्रसाद यादव को कोडरमा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिये दिये आदेश को वापस ले लिया है. अरविन्द सिंह चंदेल ने 22 अक्टूबर 2024 को दिये आदेश को वापस ले लिया. साथ ही कोर्ट ने इस मामले को चीफ जस्टिस की अनुमति से किसी दूसरे कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

नामांकन पत्र दाखिल करने का आदेश वापस : गौरतलब है कि 22अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने आवेदक को कोडरमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश करने का आदेश पुलिस प्रशासन को दिया था. साथ ही बेउर आदर्श जेल से निर्वची अधिकारी के पास ले जाने और वापस लाने में हुई पूरा खर्च आवेदक से वसूलने का आदेश दिया था.

सरकार की ओर से आदेश का किया गया विरोध : इस आदेश में बदलाव के लिए सरकार की ओर से एक अर्जी दायर की गई. इसका विरोध करते हुए आवेदक की ओर से एक दिन का समय देने की मांग कोर्ट से की गई, जिस पर सरकार की ओर से विरोध किया गया.

'ED को नहीं बनाया पार्टी' : ये कहा गया कि समय दिये जाने पर यथा स्थिति बरकरार रखने का आदेश देने की गुहार लगाई गई. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए आज दोपहर बाद समय का निर्धारण किया. बाद में मामले पर सुनवाई के दौरान ईडी और राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आवेदक ईडी केस में गिरफ्तार हैं.

'ED को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं' : इस केस में बगैर ईडी को पक्षकार बनाये कोर्ट से आदेश ले लिया गया है. उन्होंने इस आदेश को वापस लेने की प्रार्थना की. वहीं, आवेदक की ओर से इसका विरोध किया गया. ये कहा गया कि भले ही ईडी ने आवेदक को गिरफ्तार किया है. लेकिन मौजूदा समय में वे न्यायिक हिरासत में है. ऐसे में ईडी को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है.

मनी लॉन्ड्रिंग में ED ने किया था गिरफ्तार : सभी पक्षों की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आवेदक को ईडी ने मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है. ऐसे में ईडी एक जरूरी पार्टी हैं और उसे पक्षकार बनाना चाहिये. कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को वापस लेते हुए ईडी को प्रतिवादी बनाने का आदेश आवेदक के अधिवक्ता को दी. साथ ही इस केस को सुनवाई के लिए किसी अन्य कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

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पटना : बिहार की पटना हाई कोर्ट ने जेल में बंद बालू कारोबारी सुभाष प्रसाद यादव को कोडरमा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करने के लिये दिये आदेश को वापस ले लिया है. अरविन्द सिंह चंदेल ने 22 अक्टूबर 2024 को दिये आदेश को वापस ले लिया. साथ ही कोर्ट ने इस मामले को चीफ जस्टिस की अनुमति से किसी दूसरे कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

नामांकन पत्र दाखिल करने का आदेश वापस : गौरतलब है कि 22अक्टूबर 2024 को कोर्ट ने आवेदक को कोडरमा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश करने का आदेश पुलिस प्रशासन को दिया था. साथ ही बेउर आदर्श जेल से निर्वची अधिकारी के पास ले जाने और वापस लाने में हुई पूरा खर्च आवेदक से वसूलने का आदेश दिया था.

सरकार की ओर से आदेश का किया गया विरोध : इस आदेश में बदलाव के लिए सरकार की ओर से एक अर्जी दायर की गई. इसका विरोध करते हुए आवेदक की ओर से एक दिन का समय देने की मांग कोर्ट से की गई, जिस पर सरकार की ओर से विरोध किया गया.

'ED को नहीं बनाया पार्टी' : ये कहा गया कि समय दिये जाने पर यथा स्थिति बरकरार रखने का आदेश देने की गुहार लगाई गई. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए आज दोपहर बाद समय का निर्धारण किया. बाद में मामले पर सुनवाई के दौरान ईडी और राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आवेदक ईडी केस में गिरफ्तार हैं.

'ED को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं' : इस केस में बगैर ईडी को पक्षकार बनाये कोर्ट से आदेश ले लिया गया है. उन्होंने इस आदेश को वापस लेने की प्रार्थना की. वहीं, आवेदक की ओर से इसका विरोध किया गया. ये कहा गया कि भले ही ईडी ने आवेदक को गिरफ्तार किया है. लेकिन मौजूदा समय में वे न्यायिक हिरासत में है. ऐसे में ईडी को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है.

मनी लॉन्ड्रिंग में ED ने किया था गिरफ्तार : सभी पक्षों की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आवेदक को ईडी ने मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है. ऐसे में ईडी एक जरूरी पार्टी हैं और उसे पक्षकार बनाना चाहिये. कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को वापस लेते हुए ईडी को प्रतिवादी बनाने का आदेश आवेदक के अधिवक्ता को दी. साथ ही इस केस को सुनवाई के लिए किसी अन्य कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

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