मंडी: प्रदेश सरकार ने डॉ. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना आरम्भ की है, ताकि वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण कोई भी हिमाचली युवा उच्चतर एवं व्यावसायिक शिक्षा से वंचित न रहने पाए. योजना के तहत पात्र विद्यार्थियों को एक प्रतिशत की ब्याज दर पर 20 लाख रुपए तक एजुकेशन लोन का प्रावधान किया गया है. इस योजना से जरूरतमंद छात्रों का भविष्य संवारने के साथ ही उच्चतर शिक्षा ग्रहण करने के उनके सपने भी साकार होंगे.
योजना के तहत मान्यता प्राप्त संस्थानों से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र भी इसका लाभ ले सकते हैं. इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्रबंधन, पैरा-मेडिकल, फार्मेसी, नर्सिंग, विधि इत्यादि में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, बहुतकनीकी संस्थानों से तकनीकी पाठ्यक्रम और मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने की इच्छा रखने वाले छात्रों की मदद के उद्देश्य से यह योजना आरम्भ की गई है.
ये है योग्यता
योजना का लाभ उठाने के लिए केवल हिमाचली बोनोफाइड युवा ही पात्र हैं. पात्र विद्यार्थी को पिछली कक्षा में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य है और मैरिट के आधार पर ही संस्थान में प्रवेश होना चाहिए. विद्यार्थी के परिवार की वार्षिक आय चार लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसके लिए संबंधित तहसील अथवा उपमंडल के कार्यकारी दण्डाधिकारी की ओर से जारी आय प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा. ऑनलाइन अथवा पत्राचार माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे.
20 लाख रुपए तक लोन का प्रावधान
योजना के तहत भारत में किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से व्यावसायिक अथवा तकनीकी पाठ्यक्रम या पीएचडी करने वाले छात्रों को रहने, ठहरने, शिक्षण शुल्क, पुस्तकों सहित शिक्षा से जुड़े अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए 20 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान किया जा रहा है. यह ऋण अर्द्ध वार्षिक अथवा वार्षिक आधार पर विभिन्न किस्तों में प्रदान किया जाएगा. प्रदेश में स्थित किसी भी अनुसूचित बैंक से यह ऋण प्राप्त किया जा सकता है. इस ऋण अनुदान की निरंतरता विद्यार्थी द्वारा संबंधित पाठ्यक्रम में संतोषजनक प्रदर्शन पर निर्भर करेगी और इस बारे में संबंधित संस्थान के मुखिया अथवा विभागाध्यक्ष की ओर से प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा. विद्यार्थियों को यह प्रमाण पत्र प्रतिवर्ष बैंक शाखा में जमा करवाना होगा. पाठ्यक्रम बीच में ही छोड़ देने की स्थिति में छात्र को पूर्व में प्राप्त किया गया अनुदान वापस लौटाना होगा.
साढ़े सात लाख तक लोन के लिए नो सिक्योरिटी
अपनी पसंद के संस्थान में प्रवेश से पूर्व संबंधित छात्र को पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होगा. साथ ही उसे वांछित दस्तावेज भी अपलोड करने होंगे. पोर्टल के संचालन में आने तक विद्यार्थी निर्धारित प्रपत्र भरकर ई-मेल के माध्यम से भी दस्तावेज सहित आवेदन निदेशक उच्च शिक्षा को प्रेषित कर सकता है. उच्च शिक्षा निदेशक पात्रता के आधार पर बैंक को प्रथम किस्त जारी करने की संस्तुति 72 घंटों की अवधि में देंगे, ताकि प्रवेश शुल्क सहित अन्य निधि उन्हें प्रवेश के समय आसानी से उपलब्ध हो सके. साढ़े सात लाख रुपए तक के ऋण पर किसी भी प्रकार का कोलेटरल (सिक्योरिटी) की आवश्यकता नहीं होगी. अंतिम अनुदान किस्त पाठ्यक्रम पूर्ण होने तक प्रदान की जाएगी. आवेदक छात्र के माता-पिता अथवा अभिभावकों को पात्रता से संबंधित शपथ पत्र भी देना होगा.
डीसी के पास कॉर्पस फंड का भी होगा प्रावधान
प्रदेश सरकार द्वारा सभी जिलों में उपायुक्तों के पास कॉर्पस फंड का भी प्रावधान किया गया है. बैंकों में किन्हीं कारणों से प्रथम किस्त जारी करने में देरी होने की स्थिति में उपायुक्त इस कॉर्पस फंड से पहली किस्त पात्र छात्रों को जारी करेंगे. आवेदन प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर यह राशि जारी की जा सकेगी, ताकि छात्र के प्रवेश को सुरक्षित किया जा सके. उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा कि, 'मंडी जिला में इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए शिक्षा विभाग और बैंक प्रबंधन सहित सभी संबंधित विभागों को समयबद्ध और त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इस योजना का लाभ पात्र छात्रों को समय पर प्रदान किया जा सके.'