पटना: मंगलवार को निरीक्षण टीम ने कई कोचिंग सेंटरों पर धावा बोला और इस दौरान कई खामियां सामने आई. कोचिंग संस्थान मानक के अनुरूप चलते हुए नहीं पाए गए. कई कोचिंग संस्थानों ने रजिस्ट्रेशन ही नहीं किया था तो कई के पास फायर सेफ्टी का एनओसी नहीं था.
कोचिंग संस्थानों में निरीक्षण से हड़कंप: पटना डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर पटना सदर एसडीएम खांडेकर श्रीकांत कुंडलिक के नेतृत्व में पटना के कोचिंग संस्थानों में जांच अभियान चलाया गया है. दिल्ली में कोचिंग हादसे में तीन बच्चों की मौत के बाद जिला प्रशासन पटना की कड़ी कार्रवाई शुरू हुई. मंगलवार को पटना के कोचिंग हब मुसल्लहपुर हाट, नया टोला, भिखना पहाड़ी के क्षेत्रों में जांच हुई और इस जांच में कोई भी कोचिंग संस्थान मानक के अनुरूप नहीं पाए गए.
मानक के अनुरूप नहीं मिले कोचिंग संस्थान: कई लाइब्रेरी की भी जांच की गई जिसमें लाइब्रेरी में फायर एक्सटिंग्विशर नहीं मिले. तमाम कोचिंग संस्थानों में अधिकांश जगहों पर एंट्री एग्जिट गेट की समस्या सामने आई. छोटे कमरे में सैकड़ों की संख्या में छात्रों की बैठने की व्यवस्था दिखी और अग्निशमन की सुरक्षा के मानकों की अनदेखी नजर आई. कई कोचिंग संस्थानों के पास कोचिंग नियमावली के तहत बिहार सरकार से रजिस्ट्रेशन नहीं था.
हादसे को न्योता दे रहे कई संस्थान: कई कोचिंग संस्थानों में बड़े क्लासरूम से निकलने के लिए पतला सा एक गेट था. चार मंजिला पर कोचिंग क्लासेस के लिए लिफ्ट की व्यवस्था नहीं थी और सीढ़ी भी दो से तीन फीट चौड़ी नजर आई जिस पर चढ़ने उतरने में जांच टीम को भी काफी परेशानी हुई.
छात्रों को भी होती है परेशानी: कोचिंग संस्थाओं का निरीक्षण करने पहुंची टीम को देखकर संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों ने भी खुलकर बातें की. छात्र प्रिंस कुमार ने बताया कि क्लासरूम का गेट बहुत पतला होता है और एक ही गेट से एंट्री और एग्जिट होता है. छात्र राज आर्यन ने बताया कि क्लासरूम में कैपेसिटी से अधिक बच्चों को बैठा लिया जाता है और वेंटीलेशन की व्यवस्था अच्छी नहीं रहती है.
"कैपेसिटी से अधिक छात्रों का नामांकन ले लिया जाता है और जब छुट्टी होती है तो भगदड़ की स्थिति मच जाती है. गेट से निकलने के क्रम में अक्सर चोट लग जाती है."- प्रिंस कुमार, छात्र
"400 बच्चों के क्लासरूम में दो ऐसी लगा रहता है, जो किसी काम का नहीं रहता."- राज आर्यन, छात्र
"अगर कोई अकस्मात स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उससे निपटने की भी तैयारी नहीं रहती है. कोई इमरजेंसी एग्जिट नहीं होता है और तीन मंजिला चार मंजिला पर क्लास रूम में जाने के लिए दो से तीन फीट चौड़ी सीढ़ी होती है."- आदर्श यादव,छात्र
कागजात दुरुस्त करने के लिए कोचिंग किया बंद: ऐसे में बुधवार के दिन पटना के कई कोचिंग संस्थान बंद हैं. कोचिंग संचालकों ने खुद से यह बंद किया है और जरूरी कार्य का हवाला दिया है. लेकिन जो जानकारी मिल रही है इन कोचिंग संस्थानों के संचालक अपने संस्थान को इसलिए बंद किए हुए हैं ताकि बंद के दौरान अपने कागज को दुरुस्त करा सकें. इस दौरान यदि निरीक्षण करने टीम पहुंचे तो गेट बंद होने के कारण टीम निरीक्षण ना कर पाए और जिस दिन संस्थान खुले तो उस दिन संस्थान के संचालन के लिए सभी जरूरी कागजात कोचिंग मालिकों के पास मौजूद रहे. बुधवार को अग्निशमन कार्यालय में फायर सेफ्टी को लेकर एनओसी लेने के लिए कोचिंग संचालकों की कतार देखने को मिली.
सरकारी दफ्तरों में कोचिंग संचालकों की जुटी भीड़: कोचिंग संचालक बिहार कोचिंग नियमावली 2023 के तहत रजिस्ट्रेशन करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में चक्कर काट रहे हैं. जरूरी कागजात को लेकर के पहुंच रहे हैं. फायर सेफ्टी एनओसी के लिए अग्निशमन के कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. कोचिंग के भवन मानक को लेकर एनओसी लेने के लिए नगर निगम और नगर परिषद के कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं. इसके अलावा मेडिकल दुकानों से मेडिकल किट खरीद रहे हैं ताकि क्लासरूम में लगा सके. कई कोचिंग संचालकों के यहां मंगलवार को क्लासरूम में मेडिकल किट नजर नहीं आया. इसके अलावा फायर एक्सटिंग्विशर की खरीदारी कर रहे हैं ताकि क्लासरूम में उसे इंस्टॉल कर सकें.
कोचिंग संस्थानों को लेकर बिहार सरकार गंभीर: इधर बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने भी कह दिया है कि कोचिंग संस्थानों के संचालन को लेकर के बिहार सरकार गंभीर है. सरकार के मानक के अनुरूप ही कोचिंग संस्थान चलने चाहिए. जो संस्थान मानक के अनुरूप नहीं होंगे वह बंद किए जाएंगे क्योंकि संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों की जान को जोखिम में नहीं डाला जा सकता.
"सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, पुलिस सुपरिटेंडेंट और फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट के अधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश दिया गया है. सुरक्षा मानको की जांच करने को कहा गया है. कमी मिलने पर कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई होगी. प्रशासन से एनओसी लेने के बाद ही कोचिंग संस्थान चलेंगे."- सुनील कुमार, शिक्षा मंत्री, बिहार
कोचिंग बंद होने से छात्र परेशान: पटना का भीखना पहाड़ी इलाका कोचिंग संस्थानों का हब माना जाता है. इस इलाके के अधिकांश कोचिंग संचालक अपने कोचिंग को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिए हैं और गेट पर पोस्टर चस्पा कर दिए हैं. ऐसा इसलिए ताकि जब जांच की टीम आए तो गेट बंद मिले और जांच की निरीक्षण ना कर पाए. जांच टीम जब पहुंच रही है तो संस्थान संचालन के मानक के अनुरूप नहीं मिल रहे हैं और यह बात संस्थान के बच्चों को भी पता चल जा रही है.
जांच रिपोर्ट 15 दिन में डीएम को सौंपी जाएगी: एसडीएम खांडेकर श्रीकांत कुंडलिक ने बताया कि डीएम के निर्देश के आधार पर निरीक्षण किया जा रहा है. मानक के अनुरूप कोचिंग संस्थान नहीं मिल रहे हैं तो उसका रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है. जितने भी कोचिंग संस्थानों का उन्होंने निरीक्षण किया है सब का रिपोर्ट तैयार हो रहा है और उनकी कोशिश है कि 15 दिन में सभी कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण कर लें.
"रिपोर्ट तैयार करके जिलाधिकारी को भेजेंगे और उसके बाद वह आगे इस पर निर्णय लेंगे. कोचिंग संस्थानों में भारी अनियमितता मिल रही है. बिल्डिंग बायोलॉजी का सही से पालन नहीं हो रहा है ना ही फायर सेफ्टी का ध्यान रखा जा रहा है. बहुमंजिला कोचिंग संस्थानों के लिए सीढ़ी की चौड़ाई न्यूनतम 5 फीट होनी अनिवार्य है, जबकि भवन का आकार ऊंचा होने पर चौड़ाई का मानक और बढ़ती है."-खांडेकर श्रीकांत कुंडलिक,एसडीएम
दिल्ली में हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन सतर्क: 27 जुलाई को दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के एक आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत हो गयी थी. इस बेसमेंट में नियमों को ताक पर रखकर लाइब्रेरी का संचालन हो रहा था. दिल्ली में हुए इस दर्दनाक हादसे के बाद पटना जिला प्रशासन ने कोचिंग संस्थानों की जांच कराने का फैसला किया है, इससे संचालकों में हड़कंप मचा है.
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