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आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्र अब विदेश में कर सकेंगे पढ़ाई, ये हैं शर्तें - Loan for study in abroad

Loan for study in abroad: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्र अब विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे. प्रदेश सरकार ने इसके लिए 200 करोड़ रुपये का बजट आंवटित किया है. डिटेल में पढ़ें खबर...

सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री
सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री (सोशल मीडिया)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 22, 2024, 9:28 PM IST

शिमला: हिमाचल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्र भी अब विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे. इस दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाते हुए डॉ. वाईएस परमार ऋण योजना का विस्तार किया है.

इसके तहत विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को लाभान्वित करने का फैसला लिया गया है. इस पहल से उच्च शिक्षा के लिए विदेशों के संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक छात्रों की राह में वित्तीय सीमाएं आड़े नहीं आएंगी.

शिक्षा विभाग इसके लिए जल्द ही मानक संचालन प्रक्रिया जारी करेगा. मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से डॉ. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू की है.

योजना के अन्तर्गत पात्र बोनाफाइड हिमाचली छात्रों को मात्र एक फीसदी ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण प्रदान किया जाता है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि युवाओं को गुणात्मक और रोजगार परक शिक्षा देने के लिए प्रदेश सरकार कार्य कर रही है.

इस योजना से राज्य के पात्र छात्र धन की कमी की वजह से उच्च व व्यावसायिक शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे. यह पहल प्रदेश सरकार की सभी वर्गों तक गुणात्मक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है.

4 लाख से कम वार्षिक आय वालों को मिलेगा लाभ

सीएम सुक्खू ने कहा कि इस योजना के लिए प्रदेश सरकार ने 200 करोड़ रुपये का बजट आंवटित किया है. ऐसे परिवार जिनकी वार्षिक आय चार लाख रुपये से कम है. इस योजना का लाभ उठा सकते हैं, जिसके तहत ट्यूशन फीस, रहने की सुविधा, किताबें और अन्य संबंधित खर्चे शामिल होंगे.

योजना के लिए छात्र किसी भी शेड्यूल बैंक से 20 लाख रुपये तक का ऋण ले सकते हैं. किसी भी प्रकार के विलंब की स्थिति से बचने के लिए सरकार की ओर से जिला स्तर पर डीसी की देखरेख में एक कोष को स्थापित किया जाएगा और तत्काल वित्तीय आवश्यकता की स्थिति में पहली किस्त को जारी किया जाएगा.

योजना के अंतर्गत व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा संबंधी पाठ्यक्रम जैसे इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन, नर्सिंग, फार्मेसी, विधि आदि में डिप्लोमा और डिग्री करने के लिए इच्छुक छात्रों के साथ-साथ आईटीआई, पॉलिटेक्निक और पीएचडी करने वाले छात्र लाभ ले सकते हैं.

इसके लिए छात्रों को पिछली कक्षा में न्यूनतम 60 फीसदी अंक लाना जरूरी है और पाठ्यक्रम में प्रवेश के समय छात्रों की आयु 28 साल से कम होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए और छात्रों की शंकाओं का समाधान करने के लिए एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में विभिन्न विभागों में है क्लर्कों की कमी, इतने उम्मीदवारों को मिली JOA IT के पदों पर तैनाती

शिमला: हिमाचल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के मेधावी छात्र भी अब विदेशों में उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे. इस दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाते हुए डॉ. वाईएस परमार ऋण योजना का विस्तार किया है.

इसके तहत विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को लाभान्वित करने का फैसला लिया गया है. इस पहल से उच्च शिक्षा के लिए विदेशों के संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने के इच्छुक छात्रों की राह में वित्तीय सीमाएं आड़े नहीं आएंगी.

शिक्षा विभाग इसके लिए जल्द ही मानक संचालन प्रक्रिया जारी करेगा. मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से डॉ. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना शुरू की है.

योजना के अन्तर्गत पात्र बोनाफाइड हिमाचली छात्रों को मात्र एक फीसदी ब्याज दर पर शैक्षिक ऋण प्रदान किया जाता है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि युवाओं को गुणात्मक और रोजगार परक शिक्षा देने के लिए प्रदेश सरकार कार्य कर रही है.

इस योजना से राज्य के पात्र छात्र धन की कमी की वजह से उच्च व व्यावसायिक शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे. यह पहल प्रदेश सरकार की सभी वर्गों तक गुणात्मक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है.

4 लाख से कम वार्षिक आय वालों को मिलेगा लाभ

सीएम सुक्खू ने कहा कि इस योजना के लिए प्रदेश सरकार ने 200 करोड़ रुपये का बजट आंवटित किया है. ऐसे परिवार जिनकी वार्षिक आय चार लाख रुपये से कम है. इस योजना का लाभ उठा सकते हैं, जिसके तहत ट्यूशन फीस, रहने की सुविधा, किताबें और अन्य संबंधित खर्चे शामिल होंगे.

योजना के लिए छात्र किसी भी शेड्यूल बैंक से 20 लाख रुपये तक का ऋण ले सकते हैं. किसी भी प्रकार के विलंब की स्थिति से बचने के लिए सरकार की ओर से जिला स्तर पर डीसी की देखरेख में एक कोष को स्थापित किया जाएगा और तत्काल वित्तीय आवश्यकता की स्थिति में पहली किस्त को जारी किया जाएगा.

योजना के अंतर्गत व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा संबंधी पाठ्यक्रम जैसे इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन, नर्सिंग, फार्मेसी, विधि आदि में डिप्लोमा और डिग्री करने के लिए इच्छुक छात्रों के साथ-साथ आईटीआई, पॉलिटेक्निक और पीएचडी करने वाले छात्र लाभ ले सकते हैं.

इसके लिए छात्रों को पिछली कक्षा में न्यूनतम 60 फीसदी अंक लाना जरूरी है और पाठ्यक्रम में प्रवेश के समय छात्रों की आयु 28 साल से कम होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए और छात्रों की शंकाओं का समाधान करने के लिए एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किया जाएगा.

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