धनबादः जिले में सरस्वती पूजा की धूम है. जगह-जगह बड़े भव्य और आकर्षक पंडाल का निर्माण कराया गया है, लेकिन इन सभी पूजा पंडालों में सरायढेला सीसीडब्ल्यूओ कॉलोनी में बनाए गए पूजा पंडाल की काफी चर्चा हो रही है. ज्यादातर पूजा पंडालों के निर्माण में हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, लेकिन सरायढेला सीसीडब्लूओ कॉलोनी में सरस्वती पूजा को लेकर बनाया गया पंडाल पूरी तरह से इको फ्रेंडली है. कॉलोनी में रहने वाले छात्रों ने मिलकर इस पंडाल का निर्माण किया है.
पंडाल में पत्तल से की गई है सजावट
पंडाल की पत्तों से बने पत्तल से सजावट की गई है. शादी या किसी समारोह के दौरान खाद्य सामाग्री देने के लिए जिस कागज के दोने का इस्तेमाल किया जाता है उस दोने से भी पंडाल की आकर्षक तरीके से सजावट की गई है.
इको फ्रेंडली पंडाल बनाकर पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश
इस संबंध में पीजी कर रही छात्रा प्रीति ने बताया कि आमतौर पर पंडाल के निर्माण में कई ऐसी वस्तुओं को प्रयोग किया जाता है जिसमें हानिकारक तत्व मौजूद होते हैं, जो पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाता है. ये तत्व जमीन के अंदर कई वर्षों तक विद्यामान रहते हैं. जिसके कारण जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है. पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से हम सभी ने मिलकर पंडाल का निर्माण किया है. जिसमें पत्ते से निर्मित पत्तल और कागज के दोने का इस्तेमाल किया गया है. ऐसी चीजें पर्यावरण को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. यह पंडाल पूरी तरह से इको फ्रेंडली है.
पर्यावरण को ध्यान में रखकर पंडाल का निर्माण करने की अपील
वहीं छात्रा मोनिका ने कहा कि पंडाल में प्लास्टिक जैसी चीजों के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. हमने पंडाल के निर्माण में पत्तल और दोना का उपयोग किया है.यह आसानी से जमीन में सड़-गल जाते हैं और मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है. हर गली-मुहल्ले और संस्थानों में सरस्वती पूजा होती है. पंडालों के निर्माण में हानिकारक तत्वों का लोग इस्तेमाल करेंगे तो पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचेगा. छात्रा मोनिका ने लोगों से अपील की है कि लोग पंडाल के निर्माण में प्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल करें, ताकि पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे.
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