सागर. सरकारी मुलाजिम होने के बाद भी सरकार की नीतियों को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कई नोटिस और अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर चुके डॉ. सर्वेश जैन (Dr. Sarvesh Jain) ने एक बार फिर अपने अंदाज में आवारा कुत्तों की समस्या (stray dogs problem) को उठाया है. हालांकि, इस बार उन्होंने पूरी सावधानी बरती है और सिस्टम पर सीधे तौर पर हमला नहीं किया है. लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से पशुप्रेमियों को निशाना बनाने के साथ-साथ उन्होंने मेनका गांधी को भी घेरा है.
आवारा कुत्तों की समस्या को अनोखे अंदाज में उठाया
दरअसल, उन्होंने आवारा कुत्तों के मामले में डॉग लवर्स, मेनका गांधी, नगर निगम को घेरने के साथ मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष से भी खास मांग की है. उन्होंने ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष को कहा है कि शहर के सभी स्ट्रीट डॉग को पीलीभीत और सुल्तानपुर के अलावा दूसरे पशुप्रेमियों के घर भेजने के लिए किराए भाड़े में रियायत दें. इस पत्र के जरिए उन्होंने आवारा कुत्तों की समस्या को उठाया है. जो आए दिन शहर में बच्चों और लोगों को निशाना बना रहे हैं.
आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर लिखी चिट्ठी वायरल
सागर स्थित बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में एनेस्थीसिया विभाग के हेड सर्वेश जैन का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है. ये पत्र उन्होंने मध्य प्रदेश ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सी एल मुकाती को लिखा है. उन्होंने कहा, 'आवारा कुत्ते रोजाना हमारे बच्चों को शिकार बना रहे हैं और नगर निगम इन पर कार्रवाई करने में अक्षम दिख रहा है. पत्र में उन्होंने पशुप्रेमियों और डॉग लवर्स को भी निशाना बनाया है और शहर के आवारा कुत्तों को पशु प्रेमियों और डॉग लवर्स के घर भेजने की बात कही है. पत्र में मेनका गांधी और वरूण गांधी पर सीधे तौर पर नहीं लेकिन उनके संसदीय सीट पर आवारा कुत्तों को भेजने की बात कही है और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन से भाड़े में रियायत मांगी.
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क्या मैं उस दिन का इंतजार करूं कि मेरे बच्चों को भी कुत्ते काटें?
डॉ सर्वेश जैन कहते हैं, 'हिंदुस्तान के हर छोटे बड़े शहर में स्ट्रीट डाॅग की बड़ी समस्या है. मोहल्लों में कुत्ते बच्चों को काट रहे हैं लेकिन पशु अधिकारों की बात करने वाले लोग देश में काफी संख्या में हैं. मेरा कहना है कि जो स्ट्रीट डाॅग के अधिकारों की बात करते हैं, हम सारे आवारा कुत्ते उनके घर पहुंचा देते हैं. पशु अधिकारों की बातें यूरोप जैसी जगहों पर ठीक लगती हैं क्योकिं वहां इंसान को भी अधिकार मिले हैं. हमारे यहां इंसानों को अधिकार नहीं मिले हैं, लोग बिजली, पानी, सड़क, खाद्यान सुरक्षा और बेरोजगारी जैसे मसलों से ऊपर नहीं उठे हैं. ऐसे में कुत्तों के अधिकारों की मांग करना ज्यादती लगता है.