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महिला दिवस 2024: कैंसर से जंग लड़ रही पावर लिफ्टर हशमीत कौर की कहानी, जीवन में संघर्षों का पहाड़, लेकिन नहीं टूटा हौंसला

Womens Day 2024 कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी हैं, जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी हैं. ये लाइनें धमतरी की महिला वेट लिफ्टर पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं.आप सोच रहे होंगे ऐसा क्या है इस महिला वेट लिफ्टर के अंदर जो इनकी बात कही जा रही है. तो जनाब जिस महिला के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं,वाकई वो जिंदगी की जीती जागती मिसाल हैं.अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आईए जानते हैं धमतरी की महिला रेसलर की खूबी.

International Womens Day
कैंसर से जंग लड़ रही पावर लिफ्टर
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 7, 2024, 6:19 PM IST

Updated : Mar 8, 2024, 12:28 PM IST

हशमीत कौर की कहानी

धमतरी : इंसान के जीवन में काफी उतार चढ़ाव आते हैं. शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसका जीवन एक जैसी पटरी पर दौड़ रहा हो.जीवन में कभी खुशियों की बारिश तो कभी गम की धूप छांव का समावेश बना रहता है.मुश्किल वक्त में कई लोग बिखर जाते हैं.लेकिन कुछ लोग धमतरी की हशमीत कौर की तरह होते हैं.जिनके इरादें चट्टान की तरह मजबूत हैं. हशमीत कौर पेशे से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं.लेकिन वेट लिफ्टिंग इनका शौक है. पति के छोड़ने के बाद हशमीत जीवन की हर तकलीफ का सामना अकेले करते आ रहीं हैं. इस तकलीफ को थोड़ा और बढ़ाने का काम एक बीमारी ने किया.इस बीमारी का नाम है कैंसर.जी हां ठीक सुना आपने हशमीत कौर को कैंसर हैं.बावजूद इसके वो बीमारी से जंग हारने के बजाए इससे रोजाना दो दो हाथ कर रहीं हैं.

International Womens Day
कैंसर से जंग लड़ रही पावर लिफ्टर


कौन हैं हशमीत कौर ? : धमतरी के अधारी नवागांव में हशमीत अपने बेटे के साथ रहती हैं.बचपन से ही हशमीत का झुकाव खेलों की तरफ था.वेट लिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग को हशमीत ज्यादा समय देती थी.लेकिन उनकी जीवन में जब भी खुशियां आईं तो वो ज्यादा समय ना टिक सकी.शादी के साल भर बाद हशमीत का साथ पति ने छोड़ दिया. गोद में एक बच्चा लिए हशमीत अकेली रह गई.बच्चे की परवरिश के लिए हशमीत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनीं.इस दौरान हशमीत ने खेल की प्रैक्टिस जारी रखी.यही नहीं दूसरी बच्चियों को भी कोचिंग देकर तैयार किया. 2017 से हशमीत ने वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरु किया.हशमीत ने 8 नेशनल चैंपियनशिप में 5 बार गोल्ड मेडल, 2 बार सिल्वर मेडल और 1 बार ब्रांज मेडल जीता है.

खेल और नौकरी के बीच आई बीमारी : दुखों का सामना करने के बाद हशमीत के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था. तभी वो साल 2023 में बीमार रहने लगी.इस दौरान हशमीत को पता चला कि उसे ब्रेस्ट और स्पाइन कॉर्ड में सेकंड स्टेज का कैंसर है.इसके बाद जहां दूसरे लोग हिम्मत हार जाते वहीं हशमीत ने हिम्मत नहीं हारी.हशमीत की पिछले एक साल में 11 कीमोथेरेपी हो चुकी है.इस दौरान उन्हें आर्थिक संकट ने घेरा है.बच्चे की परवरिश का जिम्मा भी हशमीत के सिर पर है.फिर भी हशमीत अपने नाम के मुताबिक हंसते हुए इस बीमारी का सामना कर रहीं हैं.

11 बार कीमोथेरेपी के बाद भी नहीं टूटा हौंसला : हशमीत कौर को फोर्थ स्टेज का कैंसर है.अब तक उनकी 11 बार कीमोथेरेपी हो चुकी है.बावजूद इसके उन्हें खेल से इतना प्रेम है कि वो एक पल भी इससे दूर नहीं होना चाहती.हशमीत का कहना है कि उन्हें अपनी जिंदगी से इस बीमारी को दूर करना है ना कि खेल को. तभी तो अब तक हशमीत में बीमारी से लड़ते हुए अब तक 8 नेशनल चैंपियनशिप में 5 गोल्ड अपने नाम कर चुकी हैं.हशमीत उन कैंसर रोगियों के लिए एक उदाहरण हैं,जो इलाज के दौरान उम्मीद छोड़ देते हैं.हशमीत की कामयाबी हर पल यही कहती है, रुको नहीं उठो और तब तक लड़ो जब तक सांस साथ है.

कीमोथेरेपी के लिए नहीं हैं पैसे : आयुष्मान कार्ड से हशमीत कौर की लिमिट के मुताबिक 8 कीमोथेरेपी हो चुकी है.लेकिन अब आगे के इलाज के लिए ना ही हशमीत के पास पैसे हैं और ना ही किसी मदद की आस. हशमीत ने केंद्र सरकार के पास मदद की गुहार लगाई है कि कम से कम खिलाड़ियों को सरकार आर्थिक राहत दे.ताकि मुश्किल समय में वो अपना और परिवार का पेट पाल सके.

हशमीत के जज्बे को हर कोई कर रहा सलाम : हशमीत कौर को जानने वाले इस महिला की हिम्मत की तारीफ करते नहीं थकते. हशमीत कौर की बीमारी और संघर्ष की कहानी से डॉक्टर भी हैरान हैं. हशमीत उन लाखों कैंसर रोगियों के लिए संबल हैं,जो इस बीमारी का नाम सुनते ही घुटने टेक देते हैं.हशमीत का दावा है कि वो इस बीमारी से जंग जरुर जीतेंगी.इसके बाद एक बार फिर खेल का लोहा मनवाएंगी.अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत की ओर से हशमीत को सलाम जिन्होंने मुश्किल वक्त को जीने का तरीका लोगों को सिखाया है.


हशमीत कौर की कहानी

धमतरी : इंसान के जीवन में काफी उतार चढ़ाव आते हैं. शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसका जीवन एक जैसी पटरी पर दौड़ रहा हो.जीवन में कभी खुशियों की बारिश तो कभी गम की धूप छांव का समावेश बना रहता है.मुश्किल वक्त में कई लोग बिखर जाते हैं.लेकिन कुछ लोग धमतरी की हशमीत कौर की तरह होते हैं.जिनके इरादें चट्टान की तरह मजबूत हैं. हशमीत कौर पेशे से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं.लेकिन वेट लिफ्टिंग इनका शौक है. पति के छोड़ने के बाद हशमीत जीवन की हर तकलीफ का सामना अकेले करते आ रहीं हैं. इस तकलीफ को थोड़ा और बढ़ाने का काम एक बीमारी ने किया.इस बीमारी का नाम है कैंसर.जी हां ठीक सुना आपने हशमीत कौर को कैंसर हैं.बावजूद इसके वो बीमारी से जंग हारने के बजाए इससे रोजाना दो दो हाथ कर रहीं हैं.

International Womens Day
कैंसर से जंग लड़ रही पावर लिफ्टर


कौन हैं हशमीत कौर ? : धमतरी के अधारी नवागांव में हशमीत अपने बेटे के साथ रहती हैं.बचपन से ही हशमीत का झुकाव खेलों की तरफ था.वेट लिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग को हशमीत ज्यादा समय देती थी.लेकिन उनकी जीवन में जब भी खुशियां आईं तो वो ज्यादा समय ना टिक सकी.शादी के साल भर बाद हशमीत का साथ पति ने छोड़ दिया. गोद में एक बच्चा लिए हशमीत अकेली रह गई.बच्चे की परवरिश के लिए हशमीत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनीं.इस दौरान हशमीत ने खेल की प्रैक्टिस जारी रखी.यही नहीं दूसरी बच्चियों को भी कोचिंग देकर तैयार किया. 2017 से हशमीत ने वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरु किया.हशमीत ने 8 नेशनल चैंपियनशिप में 5 बार गोल्ड मेडल, 2 बार सिल्वर मेडल और 1 बार ब्रांज मेडल जीता है.

खेल और नौकरी के बीच आई बीमारी : दुखों का सामना करने के बाद हशमीत के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था. तभी वो साल 2023 में बीमार रहने लगी.इस दौरान हशमीत को पता चला कि उसे ब्रेस्ट और स्पाइन कॉर्ड में सेकंड स्टेज का कैंसर है.इसके बाद जहां दूसरे लोग हिम्मत हार जाते वहीं हशमीत ने हिम्मत नहीं हारी.हशमीत की पिछले एक साल में 11 कीमोथेरेपी हो चुकी है.इस दौरान उन्हें आर्थिक संकट ने घेरा है.बच्चे की परवरिश का जिम्मा भी हशमीत के सिर पर है.फिर भी हशमीत अपने नाम के मुताबिक हंसते हुए इस बीमारी का सामना कर रहीं हैं.

11 बार कीमोथेरेपी के बाद भी नहीं टूटा हौंसला : हशमीत कौर को फोर्थ स्टेज का कैंसर है.अब तक उनकी 11 बार कीमोथेरेपी हो चुकी है.बावजूद इसके उन्हें खेल से इतना प्रेम है कि वो एक पल भी इससे दूर नहीं होना चाहती.हशमीत का कहना है कि उन्हें अपनी जिंदगी से इस बीमारी को दूर करना है ना कि खेल को. तभी तो अब तक हशमीत में बीमारी से लड़ते हुए अब तक 8 नेशनल चैंपियनशिप में 5 गोल्ड अपने नाम कर चुकी हैं.हशमीत उन कैंसर रोगियों के लिए एक उदाहरण हैं,जो इलाज के दौरान उम्मीद छोड़ देते हैं.हशमीत की कामयाबी हर पल यही कहती है, रुको नहीं उठो और तब तक लड़ो जब तक सांस साथ है.

कीमोथेरेपी के लिए नहीं हैं पैसे : आयुष्मान कार्ड से हशमीत कौर की लिमिट के मुताबिक 8 कीमोथेरेपी हो चुकी है.लेकिन अब आगे के इलाज के लिए ना ही हशमीत के पास पैसे हैं और ना ही किसी मदद की आस. हशमीत ने केंद्र सरकार के पास मदद की गुहार लगाई है कि कम से कम खिलाड़ियों को सरकार आर्थिक राहत दे.ताकि मुश्किल समय में वो अपना और परिवार का पेट पाल सके.

हशमीत के जज्बे को हर कोई कर रहा सलाम : हशमीत कौर को जानने वाले इस महिला की हिम्मत की तारीफ करते नहीं थकते. हशमीत कौर की बीमारी और संघर्ष की कहानी से डॉक्टर भी हैरान हैं. हशमीत उन लाखों कैंसर रोगियों के लिए संबल हैं,जो इस बीमारी का नाम सुनते ही घुटने टेक देते हैं.हशमीत का दावा है कि वो इस बीमारी से जंग जरुर जीतेंगी.इसके बाद एक बार फिर खेल का लोहा मनवाएंगी.अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर ईटीवी भारत की ओर से हशमीत को सलाम जिन्होंने मुश्किल वक्त को जीने का तरीका लोगों को सिखाया है.


Last Updated : Mar 8, 2024, 12:28 PM IST
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