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बाबरी मस्जिद विध्वंस की कहानी: एक ऐसा गीत जिसने कारसेवकों के अंदर भर दिया था जूनून

Ram mandir story: अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. कारसेवक इसको लेकर काफी खुश हैं. ऐसे आज हम आपको एक कारसेवक से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान अपने गीत से कारसेवकों के अंदर जूनून भर दिया था.

बाबरी मस्जिद विध्वंस की कहानी
बाबरी मस्जिद विध्वंस की कहानी
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 20, 2024, 6:34 PM IST

Updated : Jan 21, 2024, 3:09 PM IST

बाबरी मस्जिद विध्वंस की कहानी

नई दिल्ली: अयोध्या में 22 जनवरी को श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. 500 वर्षों बाद कारसेवक दिवाली मनाने को तैयार हैं. कारसेवक 1992 में लाखों की संख्या में अयोध्या पहुंचे थे और विवादित ढांचे को गिरा दिया था. उस दौरान बहुत से कारसेवकों को अपने प्राणों का बलिदान देने पड़ा. 'ETV भारत' ने कई कारसेवकों के बात कर उनकी कहानी को जाना. आज आपको एक ऐसे कारसेवक की यात्रा बताएंगे जिन्होंने अपने गीतों से कारसेवकों में जोश भर दिया था.

कारसेवक भरत शर्मा ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं. 1992 में जब वह दिल्ली से रवाना हुए, तब सभी कारसेवक पहले प्रतापगढ़ उतरे थे. वहां कुछ भोजन ग्रहण कर वे नारे लगाते हुए आगे बढ़े. वह नारा था "एक धक्का...". सभी कारसेवकों में जूनून था कि इस बार ढांचे को गिराकर ही वापस आना है. कारसेवकों के जत्थे ने पैदल चलते हुए जय श्री राम के नारे लगाने शुरू किए.

तब प्रतापगढ़ के तत्कालीन SDM ने 80-85 कारसेवकों को गिरफ्तार कर चिलबिला के पॉलिटेक्निक कॉलेज में कैद कर दिया. वहीं, रात होने तक करीब 700 कारसेवकों को उसी जगह कैद कर दिया. वहां खाने पीने का भी कोई इंतजाम नहीं था. सभी बाहर निकलने के लिए तड़प रहे थे. उस समय हम ने एक गाना गया जिससे लोगों में उत्साह बढ़ गया. कारसेवकों ने कालेज की दीवार को तोड़ दिया और भाग निकले. वह गाना था...

"अयोध्या करती है आह्वान.. ठाट से कर मंदिर निर्माण
शिला की जगह लगा दे प्राण.. बिठा दो वहां राम भगवान
हिन्दू है तो हिंदुओं की आन मत जाने दे.. रामलला पर कोई आंच मत आने दो,
कारसेवकों को बलदान की सौगंध है जय श्री राम.. बढ़चढ़ वीर जवान
अयोध्या करती है आह्वान.. ठाट से कर मंदिर निर्माण''

इस गीत ने कारसेवकों के अंदर इतना उत्साह भर दिया कि वह रातभर चलते रहे. इस बीच कई गांव भी रास्ते में पड़े. वहां रहने वाले लोगों ने जब देखा कि कारसेवकों की टोली जा रही है तो जिसके घर में जो था, वह लेकर कारसेवकों को खिलाया. रातभर चलने के बाद सभी कारसेवक सुबह 4 बजे तक फैज़ाबाद पहुंच गए. वहां पहुंच कर नाश्ता किया और फिर चलना शुरू किया और अयोध्या पहुंच गए. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों की संख्या में कारसेवक मौजूद थे. सब ठान कर पहुंचे थे कि विवादित ढांचे को तोड़ हर ही जाएंगे.

भरत ने बताया कि वहां मौजूद ढांचे पर एक बार में 250-300 लोग चढ़ते और गिर जाते. फिर चढ़ते और फिर गिर जाते. लेकिन किसी ने हार नहीं मानी. लगातार प्रयास के बाद 1 से सवा घंटों में विवादित ढांचे को तोड़ दिया गया. इसके बाद सभी ने जश्न मानना शुरू किया. लोग ख़ुशी से झूम उठे. उस शाम भी उन्होंने एक गीत गया.

''हर हर महादेव... हर हर महादेव...
पापियों के नाश को.. धर्म के प्रकाश को.. राम जी की सेना चली ..
सेना सुबह.. सुग्रीव..नील नल.. अंगद छाती तन चले..
हर हर महादेव.. हर हर महादेव..''

ये भी पढ़ें: श्री कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर बोले - शुभकाल में हो रही रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा

बाबरी मस्जिद विध्वंस की कहानी

नई दिल्ली: अयोध्या में 22 जनवरी को श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. 500 वर्षों बाद कारसेवक दिवाली मनाने को तैयार हैं. कारसेवक 1992 में लाखों की संख्या में अयोध्या पहुंचे थे और विवादित ढांचे को गिरा दिया था. उस दौरान बहुत से कारसेवकों को अपने प्राणों का बलिदान देने पड़ा. 'ETV भारत' ने कई कारसेवकों के बात कर उनकी कहानी को जाना. आज आपको एक ऐसे कारसेवक की यात्रा बताएंगे जिन्होंने अपने गीतों से कारसेवकों में जोश भर दिया था.

कारसेवक भरत शर्मा ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं. 1992 में जब वह दिल्ली से रवाना हुए, तब सभी कारसेवक पहले प्रतापगढ़ उतरे थे. वहां कुछ भोजन ग्रहण कर वे नारे लगाते हुए आगे बढ़े. वह नारा था "एक धक्का...". सभी कारसेवकों में जूनून था कि इस बार ढांचे को गिराकर ही वापस आना है. कारसेवकों के जत्थे ने पैदल चलते हुए जय श्री राम के नारे लगाने शुरू किए.

तब प्रतापगढ़ के तत्कालीन SDM ने 80-85 कारसेवकों को गिरफ्तार कर चिलबिला के पॉलिटेक्निक कॉलेज में कैद कर दिया. वहीं, रात होने तक करीब 700 कारसेवकों को उसी जगह कैद कर दिया. वहां खाने पीने का भी कोई इंतजाम नहीं था. सभी बाहर निकलने के लिए तड़प रहे थे. उस समय हम ने एक गाना गया जिससे लोगों में उत्साह बढ़ गया. कारसेवकों ने कालेज की दीवार को तोड़ दिया और भाग निकले. वह गाना था...

"अयोध्या करती है आह्वान.. ठाट से कर मंदिर निर्माण
शिला की जगह लगा दे प्राण.. बिठा दो वहां राम भगवान
हिन्दू है तो हिंदुओं की आन मत जाने दे.. रामलला पर कोई आंच मत आने दो,
कारसेवकों को बलदान की सौगंध है जय श्री राम.. बढ़चढ़ वीर जवान
अयोध्या करती है आह्वान.. ठाट से कर मंदिर निर्माण''

इस गीत ने कारसेवकों के अंदर इतना उत्साह भर दिया कि वह रातभर चलते रहे. इस बीच कई गांव भी रास्ते में पड़े. वहां रहने वाले लोगों ने जब देखा कि कारसेवकों की टोली जा रही है तो जिसके घर में जो था, वह लेकर कारसेवकों को खिलाया. रातभर चलने के बाद सभी कारसेवक सुबह 4 बजे तक फैज़ाबाद पहुंच गए. वहां पहुंच कर नाश्ता किया और फिर चलना शुरू किया और अयोध्या पहुंच गए. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों की संख्या में कारसेवक मौजूद थे. सब ठान कर पहुंचे थे कि विवादित ढांचे को तोड़ हर ही जाएंगे.

भरत ने बताया कि वहां मौजूद ढांचे पर एक बार में 250-300 लोग चढ़ते और गिर जाते. फिर चढ़ते और फिर गिर जाते. लेकिन किसी ने हार नहीं मानी. लगातार प्रयास के बाद 1 से सवा घंटों में विवादित ढांचे को तोड़ दिया गया. इसके बाद सभी ने जश्न मानना शुरू किया. लोग ख़ुशी से झूम उठे. उस शाम भी उन्होंने एक गीत गया.

''हर हर महादेव... हर हर महादेव...
पापियों के नाश को.. धर्म के प्रकाश को.. राम जी की सेना चली ..
सेना सुबह.. सुग्रीव..नील नल.. अंगद छाती तन चले..
हर हर महादेव.. हर हर महादेव..''

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Last Updated : Jan 21, 2024, 3:09 PM IST
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