रामपुर बुशहर: समेज में भारी बाढ़ से हुई त्रासदी ने कई परिवारों को गहरे जख्म दिए हैं. इन लोगों में अनीता भी शामिल हैं. भले ही अनीता और उसके परिवार की जान इस त्रासदी में बच गई, लेकिन वो आज अपने गांव के लोगों को याद कर भावुक हो जाती हैं. जिन लोगों के साथ अनिता का दिनभर कई सालों से बोलचाल और उठना बैठना था आज वो सब कभी ना उठने वाली नीम खामोशी में जा चुके हैं और अनीता के साथ उसका परिवार अकेला रह गया है.
समेज आई त्रासदी में अनिता का मकान बच गया था. उस दिन को याद करते हुए अनीता भावुक हो जाती हैं और बताती हैं कि बाढ़ के बाद इस घर में रहना मुश्किल हो गया है. भावुक और रुंधे हुए गले से अनिता ने बताया कि जो भी आसपास के घर थे वो सभी बह गए हैं. साथ घरों में रहने वाले मेरे अपने संबंधी, दोस्त सब लापता हो गए. अब मेरा घर अकेला रह गया है. अब मेरा यहां मन नहीं लगता मेरा रहना यहां मुश्किल है. मेरे घर के सामने जहां बेहतरीन आलीशान घर थे आज वहां सिर्फ वीरानी है. आसपास में भी अब कोई घर नहीं है.
अनिता ने बताया कि मेरी दो बेटियां हैं और एक बेटा है. वो सभी रामपुर में पढ़ते हैं. मेरे पति किन्नौर में निजी कंपनी में कार्यरत हैं. ऐसे में अब में अकेली यहां पर रह गई हूं. यहां पर मेरी सहेलियां और रिश्तेदार भी रहते थे. अनिता ने बताया कि 31 जुलाई की रात को उसने भाग कर जान बचाई. रात के समय पूरा घर हिलने लगा. इससे उनकी नींद खुल गई. मैं घर में बाहर निकली तभी कुछ लोग गांव की ओर से दौड़ते हुए मेरे घर के साथ पहुंचे. उन्होंने बताया कि नीचे गांव में बाढ़ से भारी तबाही हुई है. उन्होंने मुझे घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा. मैं भी उनके साथ साथ बच्चों को लेकर जंगल की ओर भाग गई. सुबह जब वापस लौटे तो पूरा गांव मिट चुका था. उन्हें उम्मीद थी कि घरों में रह रहे लोग जिंदा होंगे, लेकिन उन्हें कोई नहीं मिला.
ये भी पढ़ें:समेज त्रासदी में लापता कल्पना केदारटा का 9वें दिन मिला शव, बहन ने की शिनाख्त