नई दिल्ली: बुजुर्ग एवं गंभीर रूप से बीमार लोगों को खतरनाक संक्रमण से बचाने के लिए दिल्ली एम्स में एक अनोखा शोध हुआ है. एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने न्यूरोलॉजी, जनरल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी व अन्य विभागों के साथ मिलकर स्टूल मैनेजमेंट किट तैयार की है. इसके ट्रायल के परिणाम बेहतर पाए जाने के बाद 30 जनवरी को एम्स के रिसर्च डे पर इसे प्रस्तुत किया जाएगा.
इलाज के दौरान बिस्तर पर शौच कर रहे मरीजों को एम्स का नया उपकरण संक्रमण से बचाएगा. अब तक इन मरीजों को अक्सर डायपर पहनाया जाता है. कई बार सामान्य कपड़े या बिस्तर लगाए जाते हैं. कई बार मरीज लंबे समय तक इस स्थिति में रहते हैं. ऐसे में ये मरीज कई तरह के संक्रमण के शिकार हो जाते हैं.
डिमेंशिया या अल्जाइमर बीमारी से पीड़ित बुजुर्गों को अक्सर देखा जाता है कि वे लंबे समय तक लगातार बिस्तर पर लेटे रहते हैं. इसके कारण उन्हें बेड सोर यानी संक्रमण हो जाता है. कई बार बिस्तर पर गिले कपड़ों के कारण भी संक्रमण बढ़ जाते हैं. ऐसे मरीजों में संक्रमण की संभावना 22 फीसदी तक बढ़ जाती है. ऐसी समस्या को देखते हुए एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने न्यूरोलॉजी, जनरल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, एम्स के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बायो डिजाइन व अन्य विभाग के साथ मिलकर 'स्टूल मैनेजमेंट किट' तैयार की. इस किट को लगाने के बाद मरीज को संक्रमण होने का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा.
संक्रमण का खतरा होगा कम: एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. गोविंद मखारिया ने बताया कि बिस्तर पर रहने वाले मरीजों के लिए मल त्याग करना एक बड़ी चुनौती है. यह न केवल संक्रमण को आमंत्रण देता है, बल्कि मरीज के सम्मान को भी ठेस पहुंचाता है. देश में हर साल हजारों मरीजों को लंबे समय तक बिस्तर पर रहकर मल का त्याग करना पड़ता है. यह किट मरीज के मलाशय से जुड़कर मल को सीधे बैग में पहुंचा देता है. इससे संक्रमण होने का खतरा पूरी तरह से खत्म हो जाता है. इस उपकरण को एक बार लगाने के बाद 29 दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है.
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