जबलपुर : राज्य सरकार ने न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन आदेश में कहा है "प्रत्येक जिले व तहसील स्तर के निगरानी प्रकोष्ठों का भौतिक निरीक्षण कर सत्यापित करें कि रिपोर्ट सही है या नहीं." इस मामले में अब सुनवाई दो माह बाद निर्धारित की गयी है.
न्यायाधीश से मारपीट के बाद हाई कोर्ट ने दिए थे आदेश
गौरतलब है कि 23 जुलाई 2016 को मंदसौर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर न्यायाधीश राजवर्धन गुप्ता के साथ मारपीट की घटना हुई थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल मनोहर ममतानी ने घटना की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों और उनके परिवारों की सुरक्षा को संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश जारी किए थे.
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राज्य सरकार की स्टेटस रिपोर्ट से नाखुश हाई कोर्ट
याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूरे प्रदेश के कोर्ट परिसरों के चारों ओर पर्याप्त ऊंचाई की बाउंड्री वॉल, कोर्ट परिसर में पुलिस चौकियां तथा जजों के आवासीय परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि पूर्व में पेश की गयी स्टेटस रिपोर्ट तथा उच्च न्यायालय द्वारा पेश किये गये जवाब में अंतर था. इसके बाद राज्य सरकार ने बिना शर्त माफी मांगते हुए बताया कि हलफनामा दायर करने तथा हाईकोर्ट की तरफ से पेश किये गये जवाब के बीच समय के कारण आंकड़ों में अंतर होगा.