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केरल के राजकीय फल की बिहार में खेती, जानिए इसकी खासियत, लागत और मुनाफा का गणित - Jackfruit Cultivation In Bihar

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 14, 2024, 12:51 PM IST

Bihar Jackfruit Cultivation: बिहार का राजकीय फल लीची तो आपने बहुत खाया होगा लेकिन क्या केरल का राजकीय फल खाया है? दरअसल, हम कटहल की बात कर रहे हैं. बिहार में भी कटहल खाया जाता है लेकिन इसकी खेती कम मात्रा में होती है. अब बिहार में भी बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जा रही है. गया से इसकी शुरुआत हो हुई है. इसकी खासियत के बारे में जानने के बाद आप नॉनवेज खाना छोड़ देंगे, क्योंकि जो गुण मांस में होता है वहीं गुण कटहल में पाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर.

गया में कटहल की खेती
गया में कटहल की खेती (ETV Bharat GFX)
गया में कटहल की खेती (ETV Bharat)

गयाः बिहार के युवा अब खेती के माध्यम से करोड़पति बन रहे हैं. काला गेंहू, काला आलू, अमरूद, स्ट्राबेरी, केला, आम, लीची, विदेशी सब्जी आदि की खेती के बाद अब कटहल की खेती भी शुरू होने वाली है. हालांकि बिहार में कटहल के पेड़ देखने को मिलेंगे और यहां के लोग भी इसे पसंद करते हैं लेकिन बड़े पैमाने पर इसकी खेती नहीं होती है. बिहार में केरल से कटहल की सप्लाई होती है लेकिन अब बिहार में भी बड़े पैमाने पर कटहल की खेती शुरू हो गयी है.

बिहार में कटहल की खेती की शुरुआत की गई है. गया जिले के सुदूरवर्ती इलाके जयगीर गांव में किसा मुन्ना कुमार ने इसकी नर्सरी लगाई है. मुन्ना कुमार उन्नत किसान हैं और काफी अध्ययन के बाद खेती करते हैं. कटहल को लेकर इन्होंने यूट्यूब पर सर्च किया था. इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों से राय ली और फिर खेती में जुट गए हैं.

"अभी एक एकड़ में पौधा लगाने का काम किया गया है. आगे चलकर एक हेक्टेयर में लगाने का काम करेंगे. यह कई बीमारियों में फायदेमंद होता है. 250 पौधा कटहल का लगा दिए हैं. आने वाले कुछ वर्षों में 5 लाख की आमदनी शुरू हो जाएगी." -मुन्ना कुमार

सरकार कर रही मददः मुन्ना बताते हैं कि कटहल की खेती में पूंजी नहीं के बराबर लगती है. बिहार सरकार ने भी कटहल की खेती पर छूट देनी शुरू कर दी है. कृषि क्षेत्र में नाबार्ड संस्था किसानों को काफी सहयोग कर रही है. नाबार्ड ने कटहल की खेती की शुरुआत करने वाले किसान मुन्ना कुमार को भी सहयोग किया है. इन्हें कटहल की खेती के लिए कुल खर्च 70 हजार आए हैं जिसमें से नाबार्ड के माध्यम से 43 हजार की मदद प्राप्त हुई है.

कटहल की खेती में लागत
कटहल की खेती में लागत (ETV Bharat GFX)

खेती के लिए यह जरूरीः बता दें कि कटहल की फसल दोमट, काली और चिकनी मिट्टी में होती है. इसकी खेती के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था जरूरी क्योंकि खेत में अत्यधिक जलजमाव पौधों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. शुरुआत में एक हेक्टेयर में 20 से 25 हजार रुपए की लागत आती है. किसान को इस खेती को अपनाना चाहिए.

5 से 10 लाख की कमाईः कटहल की खेती में कम लागत के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी होता है. आपको बता दें कि एक कटहल 3 से 5 साल में फल देना शुरू कर देता है. एक पेड़ 20 से 25 साल तक फल देता है. एक हेक्टेयर में कटहल की खेती से शुरुआती कमाई लगभग 5 लाख रुपए होती है. इसके बाद 5 से 10 लाख की कमाई होती है. वतर्मान में बिहार में कटहल की कीमत 4200 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल है. ऐसे में किसान इसकी खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं.

कटहल की खेती में मुनाफा
कटहल की खेती में मुनाफा (ETV Bharat GFX)

कटहल की खासियतः बता दें कि कटहल एक ऐसा फल है कभी खराब नहीं होता है. कच्चे कटहल की सब्जी बनती है जो चिकन और मटन से भी ज्यादा स्वादिष्ट होता है. पकने के बाद भी इसे खाया जाता है. कटहल का पका हुआ फल भी काफी स्वादिष्ट होता है. इसकी सुगंध से पूरा बगीचा और बाजार गमक जाता है. इसकी खासियत इतनी है कि जानने के बाद लोग नॉनवेज करना छोड़ देंगे.

कटहल की खासियत
कटहल की खासियत (ETV Bharat GFX)

भरपूर मात्रा में पोषक तत्वः कटहल के फायदे की बात करें तो यह कटहल मांस का विकल्प माना जाता है. शाकाहारी और मांसहारी दोनों लोग इसे बहुत पसंद करते हैं. पकने के बाद भी लोग इसे बड़े मजे से खाते हैं. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व पाया जाता है. विटामिन बी, पोटैशियम और विटामिन सी का अच्छा स्रोत माना जाता है. इसके साथ इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कई बीमारियों से बचाता है. सूजन, हृदय रोग, कैंसर और आंखों की समस्या, कब्ज, अल्सर और मधुमेह में भी फायदेमंद होता है.

इन राज्यों में होती है कटहल की खेतीः कटहल की ज्यादातर खेती केरल, असम, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल आदि राज्यों में ही होती है. इन राज्यों से ही बिहार में कटहल मंगाया जाता है. कटहल की खेती की वैल्युएशन इतनी है कि आज यह कई देश का राष्ट्रीय फल घोषित है. भारत में भी कुछ राज्यों जैसे केरल का यह राजकीय फल भी है. इसकी खेती ऑल टाइम की है. एक बार पेड़ लगने के बाद वर्षों तक फल मिलते रहता है.

कटहल के साथ ताइवानी अमरूद की खेतीः किसान मुन्ना कुमार ने कटहल की मिश्रित खेती की है. कटहल के साथ-साथ ताइवानी अमरुद लगाया है. 250 कटहल के पौधे लगाए हैं. वहीं सैकड़ों ताइवानी अमरुद के पौधे भी लगाए हैं. ताइवानी अमरूद का फल चंद महीनों में निकलना शुरू हो जाता है. ऐसे में पहले साल से ही किसान मुन्ना कुमार को आमदनी शुरू हो जाएगी. इसी सोच के साथ उन्होंने कटहल की खेती शुरू की है.

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गया में कटहल की खेती (ETV Bharat)

गयाः बिहार के युवा अब खेती के माध्यम से करोड़पति बन रहे हैं. काला गेंहू, काला आलू, अमरूद, स्ट्राबेरी, केला, आम, लीची, विदेशी सब्जी आदि की खेती के बाद अब कटहल की खेती भी शुरू होने वाली है. हालांकि बिहार में कटहल के पेड़ देखने को मिलेंगे और यहां के लोग भी इसे पसंद करते हैं लेकिन बड़े पैमाने पर इसकी खेती नहीं होती है. बिहार में केरल से कटहल की सप्लाई होती है लेकिन अब बिहार में भी बड़े पैमाने पर कटहल की खेती शुरू हो गयी है.

बिहार में कटहल की खेती की शुरुआत की गई है. गया जिले के सुदूरवर्ती इलाके जयगीर गांव में किसा मुन्ना कुमार ने इसकी नर्सरी लगाई है. मुन्ना कुमार उन्नत किसान हैं और काफी अध्ययन के बाद खेती करते हैं. कटहल को लेकर इन्होंने यूट्यूब पर सर्च किया था. इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों से राय ली और फिर खेती में जुट गए हैं.

"अभी एक एकड़ में पौधा लगाने का काम किया गया है. आगे चलकर एक हेक्टेयर में लगाने का काम करेंगे. यह कई बीमारियों में फायदेमंद होता है. 250 पौधा कटहल का लगा दिए हैं. आने वाले कुछ वर्षों में 5 लाख की आमदनी शुरू हो जाएगी." -मुन्ना कुमार

सरकार कर रही मददः मुन्ना बताते हैं कि कटहल की खेती में पूंजी नहीं के बराबर लगती है. बिहार सरकार ने भी कटहल की खेती पर छूट देनी शुरू कर दी है. कृषि क्षेत्र में नाबार्ड संस्था किसानों को काफी सहयोग कर रही है. नाबार्ड ने कटहल की खेती की शुरुआत करने वाले किसान मुन्ना कुमार को भी सहयोग किया है. इन्हें कटहल की खेती के लिए कुल खर्च 70 हजार आए हैं जिसमें से नाबार्ड के माध्यम से 43 हजार की मदद प्राप्त हुई है.

कटहल की खेती में लागत
कटहल की खेती में लागत (ETV Bharat GFX)

खेती के लिए यह जरूरीः बता दें कि कटहल की फसल दोमट, काली और चिकनी मिट्टी में होती है. इसकी खेती के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था जरूरी क्योंकि खेत में अत्यधिक जलजमाव पौधों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. शुरुआत में एक हेक्टेयर में 20 से 25 हजार रुपए की लागत आती है. किसान को इस खेती को अपनाना चाहिए.

5 से 10 लाख की कमाईः कटहल की खेती में कम लागत के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी होता है. आपको बता दें कि एक कटहल 3 से 5 साल में फल देना शुरू कर देता है. एक पेड़ 20 से 25 साल तक फल देता है. एक हेक्टेयर में कटहल की खेती से शुरुआती कमाई लगभग 5 लाख रुपए होती है. इसके बाद 5 से 10 लाख की कमाई होती है. वतर्मान में बिहार में कटहल की कीमत 4200 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल है. ऐसे में किसान इसकी खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं.

कटहल की खेती में मुनाफा
कटहल की खेती में मुनाफा (ETV Bharat GFX)

कटहल की खासियतः बता दें कि कटहल एक ऐसा फल है कभी खराब नहीं होता है. कच्चे कटहल की सब्जी बनती है जो चिकन और मटन से भी ज्यादा स्वादिष्ट होता है. पकने के बाद भी इसे खाया जाता है. कटहल का पका हुआ फल भी काफी स्वादिष्ट होता है. इसकी सुगंध से पूरा बगीचा और बाजार गमक जाता है. इसकी खासियत इतनी है कि जानने के बाद लोग नॉनवेज करना छोड़ देंगे.

कटहल की खासियत
कटहल की खासियत (ETV Bharat GFX)

भरपूर मात्रा में पोषक तत्वः कटहल के फायदे की बात करें तो यह कटहल मांस का विकल्प माना जाता है. शाकाहारी और मांसहारी दोनों लोग इसे बहुत पसंद करते हैं. पकने के बाद भी लोग इसे बड़े मजे से खाते हैं. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व पाया जाता है. विटामिन बी, पोटैशियम और विटामिन सी का अच्छा स्रोत माना जाता है. इसके साथ इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कई बीमारियों से बचाता है. सूजन, हृदय रोग, कैंसर और आंखों की समस्या, कब्ज, अल्सर और मधुमेह में भी फायदेमंद होता है.

इन राज्यों में होती है कटहल की खेतीः कटहल की ज्यादातर खेती केरल, असम, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल आदि राज्यों में ही होती है. इन राज्यों से ही बिहार में कटहल मंगाया जाता है. कटहल की खेती की वैल्युएशन इतनी है कि आज यह कई देश का राष्ट्रीय फल घोषित है. भारत में भी कुछ राज्यों जैसे केरल का यह राजकीय फल भी है. इसकी खेती ऑल टाइम की है. एक बार पेड़ लगने के बाद वर्षों तक फल मिलते रहता है.

कटहल के साथ ताइवानी अमरूद की खेतीः किसान मुन्ना कुमार ने कटहल की मिश्रित खेती की है. कटहल के साथ-साथ ताइवानी अमरुद लगाया है. 250 कटहल के पौधे लगाए हैं. वहीं सैकड़ों ताइवानी अमरुद के पौधे भी लगाए हैं. ताइवानी अमरूद का फल चंद महीनों में निकलना शुरू हो जाता है. ऐसे में पहले साल से ही किसान मुन्ना कुमार को आमदनी शुरू हो जाएगी. इसी सोच के साथ उन्होंने कटहल की खेती शुरू की है.

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