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विलुप्ति की कगार पर राज्य पुष्प! हर साल घट रहा बुरांश का उत्पादन, 20 से 30 फीसदी की कमी - State flower Buransh

Uttarakhand State Tree Buransh, Buransh on verge of extinction पहाड़ में बढ़ते चीड़ के पेड़ों के कारण बुरांश हर वर्ष 20 से 30 प्रतिशत कम हो रहा है. इसके साथ ही पर्यावरण में हो रहे बदलाव के कारण भी अब बुरांश विलुप्ति की कगार पर है.

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विलुप्ति की कगार पर राज्य पुष्प!
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 17, 2024, 6:29 PM IST

उत्तरकाशी: राज्य वृक्ष बुरांश प्रदेश सरकार की बेरुखी और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के कारण अब विलुप्ती की कगार पर हैं. वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष प्रदेश में उत्पादन 20 से 30 प्रतिशत कम हो रहा है. इसके साथ ही इसके खिलने के बाद यह जल्दी ही सूख रहा है. इसका कारण चीड़ के पेड़ भी माने जाते हैं.

प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले खूबसूरत वृक्ष बुरांश को राज्य वृक्ष तो बना दिया, लेकिन उसके बाद राज्य सरकार ने इसके हाल पर ही छोड़ दिया है. यही कारण है कि आज बुरांश पहाड़ों से गायब हो रहा है. बुरांश का लाल फूल फरवरी मध्य और मार्च शुरू में खिलते हैं, जो कि अप्रैल माह तक अपने खिले हुए लाल रंगों से पहाड़ों की शोभा बढ़ाते हैं. पिछले कुछ सालों में स्थिति यह देखने को मिल रही है कि फूल 10 से 15 दिनों में ही सूख रहे हैं.

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ.एमपीएस परमार का कहना है सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि आज तक प्रदेश सरकार ने कहीं पर बुरांश के संवर्धन के टिशूकल्चर लैब तक का निर्माण नहीं किया. इसके साथ ही प्रदेश में बैंबो बोर्ड तो बना दिया गया, लेकिन राज्य वृक्ष के संरक्षण के लिए आज तक कोई बोर्ड नहीं बनाया गया है. परमार कहते हैं बुरांश बहुत की संवेदनशील वृक्ष होता है. यह अन्य पेड़ों के साथ जल्दी से अूनकूलित नहीं होता है, इसलिए पहाड़ में बढ़ते चीड़ के पेड़ों के कारण बुरांश हर वर्ष 20 से 30 प्रतिशत कम हो रहा है.

बुरांश की देश में 80 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से रोडोडेंड्रान आरबोरियम सबसे प्रजाति का फूल सबसे अधिक खूबसूरत होता है. बुरांश आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसका जूस और अन्य उत्पाद हृदय रोग सहित खून की कमी को पूरा करने और दमा खांसी आदि बिमारी के अचूक इलाज है.

पढे़ं-Buransh Started Blooming: ढाई महीने पहले ही खिला बुरांश, ग्लोबल वार्मिंग ने बढ़ाई चिंता

पढे़ं-पौड़ी में नजर आने लगी बुरांस की सुर्ख लालिमा, कम ऊंचाई पर खिल गया फूल

उत्तरकाशी: राज्य वृक्ष बुरांश प्रदेश सरकार की बेरुखी और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के कारण अब विलुप्ती की कगार पर हैं. वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष प्रदेश में उत्पादन 20 से 30 प्रतिशत कम हो रहा है. इसके साथ ही इसके खिलने के बाद यह जल्दी ही सूख रहा है. इसका कारण चीड़ के पेड़ भी माने जाते हैं.

प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले खूबसूरत वृक्ष बुरांश को राज्य वृक्ष तो बना दिया, लेकिन उसके बाद राज्य सरकार ने इसके हाल पर ही छोड़ दिया है. यही कारण है कि आज बुरांश पहाड़ों से गायब हो रहा है. बुरांश का लाल फूल फरवरी मध्य और मार्च शुरू में खिलते हैं, जो कि अप्रैल माह तक अपने खिले हुए लाल रंगों से पहाड़ों की शोभा बढ़ाते हैं. पिछले कुछ सालों में स्थिति यह देखने को मिल रही है कि फूल 10 से 15 दिनों में ही सूख रहे हैं.

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ.एमपीएस परमार का कहना है सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि आज तक प्रदेश सरकार ने कहीं पर बुरांश के संवर्धन के टिशूकल्चर लैब तक का निर्माण नहीं किया. इसके साथ ही प्रदेश में बैंबो बोर्ड तो बना दिया गया, लेकिन राज्य वृक्ष के संरक्षण के लिए आज तक कोई बोर्ड नहीं बनाया गया है. परमार कहते हैं बुरांश बहुत की संवेदनशील वृक्ष होता है. यह अन्य पेड़ों के साथ जल्दी से अूनकूलित नहीं होता है, इसलिए पहाड़ में बढ़ते चीड़ के पेड़ों के कारण बुरांश हर वर्ष 20 से 30 प्रतिशत कम हो रहा है.

बुरांश की देश में 80 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से रोडोडेंड्रान आरबोरियम सबसे प्रजाति का फूल सबसे अधिक खूबसूरत होता है. बुरांश आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसका जूस और अन्य उत्पाद हृदय रोग सहित खून की कमी को पूरा करने और दमा खांसी आदि बिमारी के अचूक इलाज है.

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