रांची: झारखंड में फिल्मकारों की समस्या आए दिन देखने को मिलती है. एक बार फिर से फिल्मकार अपनी समस्याओं को लेकर सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग पर सवाल उठाते नजर आते हैं. कुछ ऐसा ही विवाद एक बार फिर सामने आया है. पिछले दिनों फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल ऑफ झारखंड का गठन झारखंड सरकार के द्वारा किया गया. अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा जारी करने के बाद से ही झारखंड के फिल्मकारों ने इसका विरोध जताना शुरू कर दिया है.
फिल्मकार दीपक बाड़ा बताते हैं कि झारखंड सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है, उसमें कहीं से भी पारदर्शिता नहीं देखी जा रही है. इसमें सिर्फ बाहर के लोगों को एक्सपोर्ट कर लाया गया है. उन्होंने कहा कि जिस आधार पर सदस्यों का मनोनयन किया गया, उसमें आदिवासी बहुल राज्य झारखंड के संकटग्रस्त भाषाओं वाली फिल्मों को बनाने वाले फिल्मकारों का ध्यान नहीं रखा गया.
वहीं डॉक्यूमेंट्री फिल्म के निर्माता बीजू टोप्पो बताते हैं कि आदिवासी समुदाय से आने वाले और संवेदनशीलता से मौलिक झारखंडी फिल्म बनाकर देश-विदेश में राज्य का नाम रोशन करने वाले फिल्मकारों को सूची में शामिल नहीं की गई है. जिससे कहीं ना कहीं झारखंड के स्थानीय कलाकारों को उपेक्षित कर रहा है. आयोग का विरोध कर रहे फिल्मकारों ने कहा कि ट्राइबल सिनेमा ऑफ इंडिया का मंच चाहता है कि झारखंड सरकार द्वारा काउंसिल में मनोनीत किए गए सदस्यों को हटाकर झारखंड के फिल्मकारों को स्थान दें ताकि झारखंड में सिनेमा के लिए युवाओं का स्कोप बढ़ सके.
बता दें कि झारखंड सरकार के सूचना एवं प्रसारण विभाग के द्वारा 15 मार्च 2024 को फिल्म डेवलपमेंट काउंसिल ऑफ झारखंड का गठन किया है. जिसका उद्देश्य यह है कि झारखंड में कैसे फिल्म उद्योग को बढ़ाया जाए. लेकिन इस काउंसिल में चयन किए गए सदस्यों को लेकर झारखंड में फिल्मों के लिए काम कर रहे फिल्मकारों ने आपत्ति जताई है. अब देखने वाली बात होगी कि झारखंड के फिल्म कलाकारों द्वारा जताई गयी आपत्ति के बाद सरकार क्या कदम उठाती है.
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