पटना : बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाला के गिरफ्तार आरोपी सतीश चंद्र झा को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. दरअसल, आरोपी सतीश को बुधवार को सीबीआई (द्वितीय) के विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार सिंह की अदालत में पेश किया गया. सीबीआई ने कोर्ट से 14 दिनों की रिमांड का आग्रह किया. इसके बाद अदालत ने आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में बेउर जेल भेज दिया.
गाजियाबाद से सतीश कुमार झा की गिरफ्तारी : बता दें कि, सृजन घोटाले की जांच सीबीआई के पास है और जांच अभी जारी है. सीबीआई इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी कड़ी में सीबीआई ने मंगलवार को गाजियाबाद से कॉपरेटिव सोसाइटी के ऑडिटर सतीश कुमार झा को गिरफ्तार किया. सतीश झा वर्ष 2022 से फरार था. उसे पकड़ने के लिए सीबीआई कई दिनों से छापेमारी भी कर रही थी.
कौन है सतीश झा ? : सतीश झा कॉपरेटिव सोसायटी, बांका के ऑडिटर था. इस घोटाले में उसकी संलिप्तता को देखते हुए सीबीआई ने चार्जशीट भी कर दिया था. इसके बाद सतीश झा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ, लेकिन वह सीबीआई की गिरफ्त में नहीं आ रहा था.
कैसे पहुंची CBI ? : इसके बाद सहरसा के बनगांव स्थित सतीश झा के पैतृक गांव में घर पर पुलिस ने इश्तिहार भी चश्पा किया. किसी तरह पुलिस को जानकारी मिली कि वह अपने एक पुराने केस में जमानत के लिए दो लोगों के संपर्क में है. इन दो लोगों को पुलिस ने संपर्क किया और उसके बाद सीबीआई को सतीश के वर्तमान ठिकाने की जानकारी हाथ लगी.
वित्तीय परामर्श देता था सतीश : सतीश झा पहले अनुमंडल अंकेक्षण पदाधिकारी था और ऑडिट के दौरान ही मनोरमा देवी के करीब आया था. अनुमंडल अंकेक्षण पदाधिकारी से सेवानिवृत्ति होते ही मनोरमा देवी ने उसे अपनी संस्था में रख लिया. ऐसा कहा जाता है कि सृजन संस्था में वित्तीय कामकाज में सतीश झा की सलाह को सृजन प्रमुख मनोरमा देवी अहम मानती थी.
रजनी प्रिया को साहिबाबाद से पकड़ा गया : कहा जाता है कि सतीश झा राशि बंटवारे का हिसाब-किताब भी रखता था. सतीश झा मुख्य अभियुक्त मनोरमा देवी का वित्तीय परामर्शी था. मनोरमा देवी का निधन हो गया है लेकिन सतीश की गिरफ्तारी से पहले मनोरमा देवी की बहू रजनी प्रिया को भी दिल्ली से सटे साहिबाबाद से गिरफ्तार किया गया था.
2100 करोड़ का है घोटाला : बता दें कि सृजन संस्था के द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों के सरकारी खाते से वर्षों तक घोटाला किया जाता रहा. इसका खुलासा वर्ष 2017 में तब हुआ, जब तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे ने चेक काटा और वह बाउंस कर गया. इसके बाद मामले की आंतरिक जांच करायी गयी, तो बैंक खाता खाली मिला. फिर विभिन्न बैंकों के खाते जांचे गये और बारी-बारी से अरबों के घोटाले का पर्दाफाश होता चला गया. मामले की जांच सीबीआइ कर रही है. लगभग 2100 करोड़ रुपए के इस घोटाले में कई लोगों की अब तक गिरफ्तारी हो चुकी है.
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