देहरादून: 10 अप्रैल को नेशनल सिबलिंग्स डे (National Siblings Day) मनाया जाता है. सिबलिंग का मतलब भाई-बहन होता है. ये दिन भाई-बहनों के अटूट प्यार के लिए समर्पित है. ये दिन हमारे जीवन में भाई-बहन का महत्व और उनके अटूट प्रेम को दर्शाता है. खास बात ये है कि भाई-बहन भले ही कितने ही दूर हों, उनके बीच में कभी दूरी, ईर्ष्या और जलन वाली भावना नहीं आती है. उत्तराखंड की राजनीति में भी कुछ ऐसे भाई-बहन हैं जो राजनीति की पिच पर एक साथ बैटिंग कर रहे हैं. या ये कहें कि जीवन के सफर को राजनीति की एक ही 'पटरी' पर दौड़ा रखा है.
एक मंच पर ऋतु खंडूड़ी और मनीष खंडूड़ी: उत्तराखंड की राजनीति में भाई-बहन की बात की जाए तो मौजूदा समय में ऋतु खंडूड़ी और मनीष खंडूड़ी का नाम सबसे पहले आता है. हालांकि, कुछ दिनों पहले तक इन दोनों भाई-बहन की राजनीतिक विचारधारा अलग-अलग थी. लेकिन अब दोनों एक ही मंच पर नजर आते हैं. मनीष खंडूड़ी और ऋतु खंडूड़ी दोनों उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र-पुत्री हैं.
मनीष खंडूरी एक अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपनी पिता की विरासत को संभालने के लिए उत्तराखंड में राजनीति करने आए थे. 2019 में उन्होंने पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने निशान पर चुनाव लड़ा. लेकिन चुनावी युद्ध में जीत दर्ज नहीं कर पाए. हालांकि, उनकी बहन ऋतु खंडूड़ी विधानसभा चुनाव में न केवल जीती बल्कि एक रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज किया. ऋतु खंडूड़ी उत्तराखंड की कोटद्वार विधानसभा से विधायक हैं और उत्तराखंड की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष भी हैं.
वहीं, अब मनीष खंडूड़ी भी कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा के रथ पर सवार हो चुके हैं. ऐसे में अब दोनों भाई-बहन एक ही मंच पर दिखाई देते हैं. रक्षाबंधन हो या भाई दूज जैसे अन्य त्योहारों के पलों को दोनों अक्सर सोशल मीडिया के जरिए शेयर करते हैं.
विजय बहुगुणा और रीता बहुगुणा जोशी: राजनीति में भाई-बहन की एक जोड़ी विजय बहुगुणा और रीता बहुगुणा जोशी की भी है. 2012 में उत्तराखंड के राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी तो रीता बहुगुणा जोशी अपने भाई को बधाई देने तुरंत लखनऊ से उत्तराखंड पहुंच गई थी. इसी तरह दोनों भाई-बहनों को अमूमन एक जगह पर कई बार देखा जाता रहा है. लेकिन अब दोनों ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का हाथ थाम लिया है.
जब विजय बहुगुणा ने कांग्रेस छोड़ी तब रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस में ही थी. लेकिन बाद में उन्होंने भी कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम लिया था.लिहाजा, अब दोनों भाई बहन एक ही पार्टी में हैं. हां, इतना जरूर है कि इस बार भाजपा ने रीता बहुगुणा जोशी का प्रयागराज सीट से सांसद प्रत्याशी के रूप में टिकट काट दिया है. दूसरी तरफ विजय बहुगुणा भी लंबे समय से किसी बड़े पद पर नहीं हैं.
वीरेंद्र रावत और अनुपमा रावत: उत्तराखंड की राजनीति में एक और भाई बहन हैं, जिनकी इन दिनों काफी चर्चा हो रही है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत जो मौजूदा विधायक हैं और उनके भाई वीरेंद्र रावत हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, यह दोनों एक साथ ज्यादा अधिक कहीं दिखाई तो नहीं देते, लेकिन जिस तरह से हरीश रावत ने दोनों को राजनीति में अपनी विरासत सौंपी है.
उसके बाद दोनों भाई बहन की चर्चा उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में अब होने लगी है. हालांकि, लोगों का यह भी कहना है कि वीरेंद्र के चुनाव में अनुपमा उस तरह से सक्रिय दिखाई नहीं दे रही है जिस तरह से एक बहन को होना चाहिए.
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