नई दिल्लीः चुनाव आयोग के आदेश पर कश्मीर से विस्थापित लोगों के मतदान के लिए चार विशेष मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. चुनाव आयोग की अधिसूचना पर मतदान केंद्र बनाने के साथ की तैयारी की जा रही है. दिल्ली एनसीआर में विभिन्न जगहों पर करीब 60 से 70 हजार विस्थापित कश्मीरी रहते हैं. जो अपने मूल निवास के संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार को दिल्ली के इन विशेष मतदान केंद्रों पर मतदान कर सकेंगे.
दिल्ली में बड़ी संख्या में कश्मीर से विस्थापित लोग रहते हैं. इनका मतदाता पहचान पत्र कश्मीर का है. चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, कश्मीर से विस्थापित लोगों के मतदान के लिए जम्मू में 21, उधमपुर में 1 और दिल्ली में 4 विशेष मतदान केंद्र बनाने के आदेश हैं. दिल्ली में ये मतदान केंद्र सामान्य मतदान केंद्रों के साथ बनाए जाएंगे, जहां पर विस्थापित कश्मीरी अपने मूल निवास के सांसद उम्मीदवार को मतदान कर सकेंगे.
डाक मतपत्र से मतदान की सुविधाः चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, कश्मीर से विस्थापित मतदाता फॉर्म भरकर कर विशेष मतदान केंद्र पर जाकर मतदान कर सकते हैं. दूसरा घर से भी मतदाता डाक मतपत्रों के माध्यम से मतदान कर सकते हैं. इसके लिए मतदाताओं को फॉर्म– 12 सी भरना पड़ेगा. इसके बाद फार्म को सहायक रिटर्निंग ऑफिसर को देंगे. इसके बाद बैलेट पेपर मिलेगा. इसके बाद डाक मतपत्र के जरिए मतदात कर सकते हैं.
जानकारी जुटाने में लगे जिला निर्वाचन अधिकारीः चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली में करीब 60 हजार कश्मीर से विस्थापित लोग मिलीजुली आबादी में रहते हैं. दिल्ली में सभी जिला निर्वाचन अधिकारी कश्मीर से विस्थापित लोगों को जानकारी जुटाने में लगे हैं. जानकारी जुटाने के बाद जहां पर ज्यादा कश्मीरी मतदाता होंगे, वहां उन क्षेत्रों में विशेष मतदान केंद्र बनाए जाएंगे.
मतदाता कार्ड बनाने के लिए चला था अभियानः रूप सिंह कश्मीर संस्था के प्रवक्ता अमित रैना के अनुसार, दिल्ली एनसीआर में 60 से 70 हजार विस्थापित कश्मीरी रहते हैं. विस्थापित लोगों का उनके मूल निवास का मतदाता कार्ड बनाने के लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से अभियान भी चलाया गया था. बहुत से लोगों का कश्मीर के पते का कार्ड बन गया है.
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जानकारी के मुताबिक, कश्मीर से विस्तापित करीब 1.20 लाख लोगों का मतदाता कार्ड बनाने के लिए टीमें लगाई गई थी. लोगों ने जहां रहना शुरू किया वहां का मतदाता पहचान पत्र बनवा लिया था, लेकिन वर्तमान पते पर बना मतदाता पहचान पत्र रद्द कर उनके मूल पते का मतदाता पहचान पत्र बनाया गया, जिससे कश्मीर से विस्थापित लोग अपने मूल पते पर सांसद उम्मीदवार को वोट दे सकें.