देहरादून: उत्तराखंड में निकाय चुनाव आरक्षण और प्रवर समिति, यह कुछ ऐसे शब्द ऐसे हैं जिनको लेकर आम लोगों में बेहद कंफ्यूजन है. क्या दिसंबर में निकाय चुनाव होंगे? इसको लेकर क्या कुछ तकनीकी समस्याएं हैं? या फिर क्या प्रवर समिति चुनाव में अड़चन बन सकती है? ये सब जानने के लिए ईटीवी भारत ने प्रवर समिति के सदस्य और भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद चमोली से खास बातचीत की.
क्या तकनीकी तौर पर दिसंबर में हो सकते हैं चुनाव: इस सवाल के जवाब में प्रवर समिति सदस्य विनोद चमोली ने कहा कि दिसंबर में निकाय चुनाव हो सकते हैं. सरकार की पूरी तैयारी दिसंबर में निकाय चुनाव करवाने की है. उन्होंने कहा, 25 दिसंबर से पहले निकाय चुनाव करवाने को लेकर के सरकार ने हाईकोर्ट में एफिडेविट दिया है. इसमें किसी तरह की कोई समस्या नहीं है. तकनीकी रूप से जिस तरह से 2018 में 2011 की जनगणना के आधार पर आरक्षण तय किया गया था, उसी आधार पर इस बार भी आरक्षण तय करते हुए चुनाव करवाने को लेकर के प्रवर समिति ने अपनी संतुति दे दी है.
मौसम को लेकर क्या बोले चमोली: इसके अलावा मौसम को लेकर विनोद चमोली ने कहा कि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि दिसंबर महीने के अंतिम दौर से लेकर के जनवरी और फरवरी तक मौसम उत्तराखंड में चुनौती बनता है. दिसंबर शुरुआत में किसी तरह की कोई चुनौती प्रदेश में नहीं होती, यदि इस टाइम चुनाव को टाला जाता है तो जनवरी-फरवरी में मौसम और उसके बाद मार्च अप्रैल में बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाती हैं. उसके बाद प्रदेश में चारधाम सीजन, मानसून सीजन शुरू हो जाता है. ऐसे में दिसंबर ही चुनाव करवाने का सबसे मुफीद और अनुकूल समय है.
प्रवर समिति में चल रहा आरक्षण का मुद्दा क्या है? दरअसल, इस समय कई लोग प्रवर समिति में चल रहे आरक्षण के मुद्दे को केवल आने वाले निकाय चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. इस पर ज्यादा महत्व दे रहे हैं कि आरक्षण तय नहीं होगा तो निकाय चुनाव टल जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. निकाय चुनाव प्रवर समिति की फाइनल रिपोर्ट के बावजूद भी हो सकते हैं, ऐसा प्रवर समिति ने स्पष्ट कर दिया है. महत्वपूर्ण यह है कि प्रवर समिति में जो विषय चल रहा है वो केवल निकाय चुनाव से ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से जुड़ा है. उन्होंने कहा जहां-जहां जिस भी प्रक्रिया में ओबीसी आरक्षण लागू होता है यह उससे संबंधित है. जिस पर जल्दबाजी में कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की जानी है. इस पर बेहद विस्तृत विचार विमर्श और सभी पहलुओं को जांचने की जरूरत है.
OBC आरक्षण उत्तराखंड के लिए टेढ़ी खीर: ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए विनोद चमोली ने कहा, प्रवर समिति में जो विषय चल रहा है वह एक सामान्य आरक्षण का विषय नहीं है बल्कि यह प्रदेश के भविष्य, राजनीतिक पहलू, सामाजिक पहलू और सांस्कृतिक तमाम विषयों पर असर डालेगा. किसी भी राज्य के लिए ओबीसी आरक्षण निर्धारित करना यह राज्य की परिधि में आता है. एक राज्य के ओबीसी अभ्यर्थी को जरूरी नहीं है कि दूसरे राज्य में भी ओबीसी का लाभ मिले.
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में ओबीसी को लेकर के तमाम अनियमिताएं देखी गई हैं. जिसे देखते हुए विधानसभा में जब ओबीसी आरक्षण सदन के पटल पर रखा गया तो सदन के सदस्यों ने इस बात को उठाया. साथ ही इसमें गंभीर चर्चा की जरूरत बताई गई. इसे देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने प्रवर समिति का गठन किया. प्रवर समिति इसके लिए सभी पहलुओं पर गंभीरता से चर्चा कर रही है. यह बृहद विषय है और इसके लिए समय लग सकता है.
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