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सपा प्रत्याशी के भाई का दावत-ए-वलीमा खाना बसपाईयों को पड़ा महंगा, बहनजी ने दिखाया तीनों को पार्टी से बाहर का रास्ता

बसपा नेता मुनकाद अली के बेटे और सपा प्रत्याशी के भाई की दावत में गए बीएसपी के तीन नेताओं को मायावती ने पार्टी से निकाला

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पार्टी के तीन नेताओं को मायावती ने हटाया (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 10, 2024, 4:11 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के तीन नेताओं को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के भाई की वलीमा की दावत में जाना महंगा पड़ गया. नाराज बसपा सुप्रीमो माायवती ने तीनों नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पार्टी में ये तीनों नेता महत्वपूर्ण पदों पर थे. बसपा प्रमुख ने इन नेताओं को भोज में जाने से मना कर दिया था, लेकिन मुखिया का फरमान न मानकर ये तीनों नेता बसपा के सीनियर नेता और प्रभारी मुनकाद अली के बेटे कमाल की गाजियाबाद में आयोजित शादी की दावत में शामिल होने चले गए. जिन पर निष्कासन की कार्रवाई की गई है.

बताया जा रहा है कि, बहुजन समाज पार्टी के मेरठ मंडल प्रभारी प्रशांत गौतम, जिला प्रभारी महावीर सिंह प्रधान और दिनेश काजीपुर गाजियाबाद में आयोजित भोज में शामिल हुए. इससे नाराज बसपा सुप्रीमो मायावती ने इन तीनों नेताओं पर कार्रवाई कर दी. मुनकाद अली की बेटी सुंबुल राणा सपा के टिकट पर मीरापुर से चुनाव लड़ रही हैं और दावत में शामिल होने यह नेता चले गए थे. अपनी ही पार्टी के प्रभारी नेता के बेटे की दावत में जाना भी उन पर भारी पड़ जाएगा ऐसा उन्होंने सोचा भी नहीं होगा, लेकिन बसपा सुप्रीमो को उनका यह कदम बिल्कुल पसंद नहीं आया. अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

बता दें कि बसपा प्रभारी मुनकाद अली और पूर्व सांसद कादिर राणा दोनों समधी हैं. मुनकाद अली की बेटी सुंबुल सुंदर कादिर राणा की बहू हैं. मुनकाद अली के बेटे के बलीमे के कार्ड पर कादिर राणा का भी नाम छप गया था. यह कार्ड सभी बसपा नेताओं को भेजे गए थे. पार्टी से निकाले जाने पर दिनेश काजीपुर ने बयान देते हुए कहा कि, हमारी हमेशा से ही बहुजन समाज पार्टी और बहन जी के प्रति निष्ठा रही है. हम पूरी ईमानदारी से कम कर रहे हैं. अनुसाशनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के जो आरोप लगाकर निष्कासित किया गया वह बिल्कुल भी सही नहीं है. पहले भी ऐसा हुआ था लेकिन हमारे काम को देखते हुए बहन जी ने हमें फिर पार्टी में वापस बुलाया था.

दिनेश काजीपुर ने कहा कि, मुनकाद के बेटे की शादी में नहीं जाने का मैसेज मुझे आया ही नहीं था. वह पार्टी के पुराने और बड़े नेता हैं. उनसे हमारे पारिवारिक संबंध हैं. उनके बेटे की शादी में गए. वहीं दूसरे निष्कासित नेता महावीर सिंह प्रधान का कहना है कि इस तरह के फैसले को बिल्कुल भी सही नहीं कहा जा सकता. हम हमेशा से पार्टी की सेवा करते रहे हैं. विरोधी खेमे के लोग हैं जो हमारे खिलाफ साजिश रच रहे हैं. मुनकाद अली हमारे नेता हैं इसलिए हम उनके यहां दावत में गए थे. मेरठ से लेकर लखनऊ तक के तमाम पार्टी नेता इस दावत में शामिल हुए थे. अन्य दलों के नेता भी आए थे. यह कार्रवाई ठीक नहीं है.

वहीं पार्टी से निकले गए प्रशांत गौतम ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, मेरे पास राष्ट्रीय महासचिव मेवालाल का फोन आया था. उन्होंने मुझे शादी में जाने से रोका था, लेकिन सवाल ये है कि मुनकाद अली तो चुनाव लड़ नहीं रहे हैं. चुनाव उनकी बेटी लड़ रही है. उसकी शादी को 10 साल से ज्यादा हो गए. अब बेटी का घर अलग है. हम सुंबुल राणा के घर नहीं गए थे. इस बात से किसी को परेशानी नहीं होना चाहिए. अगर पार्टी को एक्शन लेना ही है तो उन सभी पर एक्शन ले जो शादी में गए थे. सबसे पहले बहनजी को मुनकाद अली को पार्टी से निष्कासित करना चाहिए, क्योंकि उनकी बेटी दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ रही है.

यह भी पढ़ें : 'बटेंगे तो कटेंगे' बयान पर मायावती का पलटवार, 'बीएसपी से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे और सुरक्षित रहेंगे'

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी के तीन नेताओं को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के भाई की वलीमा की दावत में जाना महंगा पड़ गया. नाराज बसपा सुप्रीमो माायवती ने तीनों नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पार्टी में ये तीनों नेता महत्वपूर्ण पदों पर थे. बसपा प्रमुख ने इन नेताओं को भोज में जाने से मना कर दिया था, लेकिन मुखिया का फरमान न मानकर ये तीनों नेता बसपा के सीनियर नेता और प्रभारी मुनकाद अली के बेटे कमाल की गाजियाबाद में आयोजित शादी की दावत में शामिल होने चले गए. जिन पर निष्कासन की कार्रवाई की गई है.

बताया जा रहा है कि, बहुजन समाज पार्टी के मेरठ मंडल प्रभारी प्रशांत गौतम, जिला प्रभारी महावीर सिंह प्रधान और दिनेश काजीपुर गाजियाबाद में आयोजित भोज में शामिल हुए. इससे नाराज बसपा सुप्रीमो मायावती ने इन तीनों नेताओं पर कार्रवाई कर दी. मुनकाद अली की बेटी सुंबुल राणा सपा के टिकट पर मीरापुर से चुनाव लड़ रही हैं और दावत में शामिल होने यह नेता चले गए थे. अपनी ही पार्टी के प्रभारी नेता के बेटे की दावत में जाना भी उन पर भारी पड़ जाएगा ऐसा उन्होंने सोचा भी नहीं होगा, लेकिन बसपा सुप्रीमो को उनका यह कदम बिल्कुल पसंद नहीं आया. अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

बता दें कि बसपा प्रभारी मुनकाद अली और पूर्व सांसद कादिर राणा दोनों समधी हैं. मुनकाद अली की बेटी सुंबुल सुंदर कादिर राणा की बहू हैं. मुनकाद अली के बेटे के बलीमे के कार्ड पर कादिर राणा का भी नाम छप गया था. यह कार्ड सभी बसपा नेताओं को भेजे गए थे. पार्टी से निकाले जाने पर दिनेश काजीपुर ने बयान देते हुए कहा कि, हमारी हमेशा से ही बहुजन समाज पार्टी और बहन जी के प्रति निष्ठा रही है. हम पूरी ईमानदारी से कम कर रहे हैं. अनुसाशनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के जो आरोप लगाकर निष्कासित किया गया वह बिल्कुल भी सही नहीं है. पहले भी ऐसा हुआ था लेकिन हमारे काम को देखते हुए बहन जी ने हमें फिर पार्टी में वापस बुलाया था.

दिनेश काजीपुर ने कहा कि, मुनकाद के बेटे की शादी में नहीं जाने का मैसेज मुझे आया ही नहीं था. वह पार्टी के पुराने और बड़े नेता हैं. उनसे हमारे पारिवारिक संबंध हैं. उनके बेटे की शादी में गए. वहीं दूसरे निष्कासित नेता महावीर सिंह प्रधान का कहना है कि इस तरह के फैसले को बिल्कुल भी सही नहीं कहा जा सकता. हम हमेशा से पार्टी की सेवा करते रहे हैं. विरोधी खेमे के लोग हैं जो हमारे खिलाफ साजिश रच रहे हैं. मुनकाद अली हमारे नेता हैं इसलिए हम उनके यहां दावत में गए थे. मेरठ से लेकर लखनऊ तक के तमाम पार्टी नेता इस दावत में शामिल हुए थे. अन्य दलों के नेता भी आए थे. यह कार्रवाई ठीक नहीं है.

वहीं पार्टी से निकले गए प्रशांत गौतम ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, मेरे पास राष्ट्रीय महासचिव मेवालाल का फोन आया था. उन्होंने मुझे शादी में जाने से रोका था, लेकिन सवाल ये है कि मुनकाद अली तो चुनाव लड़ नहीं रहे हैं. चुनाव उनकी बेटी लड़ रही है. उसकी शादी को 10 साल से ज्यादा हो गए. अब बेटी का घर अलग है. हम सुंबुल राणा के घर नहीं गए थे. इस बात से किसी को परेशानी नहीं होना चाहिए. अगर पार्टी को एक्शन लेना ही है तो उन सभी पर एक्शन ले जो शादी में गए थे. सबसे पहले बहनजी को मुनकाद अली को पार्टी से निष्कासित करना चाहिए, क्योंकि उनकी बेटी दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ रही है.

यह भी पढ़ें : 'बटेंगे तो कटेंगे' बयान पर मायावती का पलटवार, 'बीएसपी से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे और सुरक्षित रहेंगे'

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