अलवर: मानसून के दौरान अलवर जिले में लगातार हुई बारिश के चलते इस बार जिले के ज्यादातर हिस्सों में लाल प्याज की बुवाई में देरी हुई. किसान बारिश का दौर थमने का इंतजार कर रहे थे, जैसे ही मानसून का वेग धीमा हुआ, अलवर जिले में प्याज की रोपाई में तेजी आई है.
अलवर का लाल प्याज देश विदेश में ख्यातनाम रहा है. इससे अलवर का नाम भी विभिन्न प्रदेशों के सहित विदेशों तक पहुंच सका है. अलवर में मानसून के धीमा पड़ने पर किसानों की ओर से लाल प्याज की रोपाई की जाती है. लाल प्याज की रोपाई का सबसे अच्छा समय बारिश के बाद खुला मौसम माना जाता है. वैसे अलवर जिले में लाल प्याज की रोपाई अगस्त से 15 सितम्बर तक होती है, लेकिन इस साल अलवर जिले में औसत से लगभग दोगुना तक बारिश हो चुकी है. इस बार बारिश का दौर लगातार जारी रहा, इस कारण किसान समय पर लाल प्याज की रोपाई नहीं कर पाए.
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अभी नहीं हुई प्याज की रोपाई: अलवर के समीप ढाई पेढ़ी स्थित खेत पर प्याज लगा रहे किसान कन्हैया ने बताया कि अलवर में प्याज की पौध लगाने का समय अगस्त से 15 सितंबर तक होता है, लेकिन इस बार अलवर जिले में बारिश का दौर लंबा चला. इस कारण ज्यादातर किसान प्याज की पौध खेतों में नहीं रोप पाए. किसान कन्हैया ने बताया कि अब अलवर में बारिश का दौर थम गया है. अब किसान लाल प्याज की पौध लगाने में व्यस्त हो गए हैं. उन्होंने बताया कि वे करीब 10 बीघा में प्याज लगा रहे हैं.
बारिश ने भटकाया प्याज रोपाई का लक्ष्य: पूरे प्रदेश में से 81 फीसदी लाल प्याज की रोपाई अलवर जिले में होनी थी, लेकिन लगातार बारिश के चलते यह पूरा लक्ष्य पूरा होने में अब संदेह है. कारण है कि लाल प्याज की पौध रोपाई का समय 15 सितम्बर तक माना जाता है और यह अवधि पहले ही बीत चुकी है. इस कारण अलवर जिले में लाल प्याज की रोपाई लक्ष्य से पीछे रह सकती है.
प्याज रोपाई का लक्ष्य बढ़ाया: उद्यान विभाग के उपनिदेशक केएल मीणा ने बताया कि इस साल प्रदेश को 30 हजार हैक्टेयर भूमि में लाल प्याज रोपाई का लक्ष्य दिया गया है. इसमें करीब 24 हजार 500 हैक्टेयर अलवर, 2100 हैक्टेयर झालावाड़, अजमेर को 775 हैक्टेयर लक्ष्य दिया गया है. अलवर जिले में प्याज की फसल अच्छी होने से सरकार ने पिछली साल की तुलना में इस बार रोपाई का लक्ष्य 20 प्रतिशत बढ़ाया है, लेकिन बारिश के चलते यह लक्ष्य पूरा होने में कृषि विशेषज्ञों को संदेह है.
जिले में बीते सालों प्याज का रकबा
वर्ष | रकबा (हैक्टेयर) |
2019 | 16500 |
2020 | 18500 |
2021 | 20500 |
2022 | 23000 |
2024 | 24500 |