नई दिल्लीः दिल्ली स्थित साउथ एशियन विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2024-25 को लेकर दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है. एक मार्च को शुरू हुई आवेदन प्रक्रिया 31 मार्च तक चलेगी. इसके बाद विश्वविद्यालय 21 और 22 अप्रैल को प्रवेश परीक्षा का आयोजन करेगा. प्रोफेसर केके अग्रवाल ने बताया कि प्रवेश परीक्षा के बाद दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी.
उन्होंने बताया कि इस साल विश्वविद्यालय में करीब 400 सीटें बढ़ाने की तैयारी है. विश्वविद्यालय को चलाने में भारत सरकार 50 प्रतिशत से ज्यादा पैसा देती है. बाकी सभी सार्क देश मिलकर पैसा देते हैं. यहां पढ़ने वाले छात्रों को स्नातक और परास्नातक में भी स्कॉलरशिप मिलती है. कैंपस में कुल पांच हजार बच्चों के पढ़ने की क्षमता है.
आठ सार्क देशों के सहयोग से चलने वाला यह विश्वविद्यालय जल्द भारत के अलावा दूसरे सार्क देशों में भी अपनी शाखाएं खोलेगा. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि हमने अन्य सभी सात देशों को लिखकर पूछा है कि क्या आप अपने यहां परिसर खोलने के लिए तैयार हैं. आप किन कोर्स के साथ शुरू करना चाहते हैं. दूसरे देशों की तरफ से जैसा प्रस्ताव मिलेगा उसके अनुसार विचार करके आगे बढ़ेंगे.
इस साल चार नए कोर्स शुरू करने का प्रस्तावः प्रोफेसर केके अग्रवाल ने बताया कि यह एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय है. इसमें अभी हमने इस साल चार नए कोर्स शुरू किए हैं. इनमें डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस में बीटेक, बीटेक एमटेक डुअल डिग्री, एमटेक और इंटीग्रेटेड एमएससी एमटेक की शुरुआत हुई है. इन कोर्सेज में इस साल दाखिले के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं. इससे पहले विश्वविद्यालय में यूजी और पीजी में इकोनोमिक्स, बायोटेक्नोलोजी, कंप्यूटर साइंस, इंटरनेशनल रिलेशन, लीगल स्टडीज, मैथमैटिक्स और सोशल साइंस के कोर्च संचालित किए जा रहे हैं.
29 जुलाई से शुरू होंगे क्लासेजः प्रो. केके अग्रवाल ने बताया कि कक्षाएं 29 जुलाई से शुरू होंगी. प्रवेश परीक्षा के लिए सभी सार्क देशों में परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में भारत के छात्रों के लिए 50 प्रतिशत सीटें उपलब्ध रहती हैं. साथ ही अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका के लिए चार-चार प्रतिशत सीटें उपलब्ध हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं. अभी सार्क देशों के 600 छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं. सार्क देशों के बाहर के छात्रों के लिए भी 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं. उन्होंने बताया कि दाखिला संबंधी अधिक जानकारी के लिए छात्र वेबसाइट sau.int पर जाकर विजिट कर सकते हैं.
सार्क देशों के छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं भी शुरू करेगा SAU: विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर केके अग्रवाल ने बताया कि यहां दाखिला लेने के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के छात्रों के सामने वीजा की समस्या रहती है. इसलिए उनके लिए इस साल से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने का भी प्रयास रहेगा. इसके अलावा अन्य सार्क देशों के छात्र भी यहां दाखिला लेने के बाद ऑनलाइन कक्षाएं ले पाएंगे.
नए क्षेत्रों में आगे बढ़ेगा विश्वविद्यालय: विश्वविद्यालय के अध्यक्ष ने बताया कि साउथ एशियन विश्वविद्यालय नए उभरते हुए क्षेत्रों डिजास्टर मैनेजमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जलवायु परिवर्तन, सस्टेनेबिलिटी, इलेक्ट्रिक व्हिकल और पर्यावरण के अनुकूल काम करने पर आगे बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि ये क्षेत्र सभी सार्क देशों के साथ ही पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं.
जनवरी में नए परिसर में स्थापित हुआ विश्वविद्यालयः जनवरी में साउथ एशियन विश्वविद्यालय नवनिर्मित मैदान गढ़ी परसिर में स्थानांतरित हुआ है. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि यहां पर जगह की कोई कमी नहीं है. 100 एकड़ से ज्यादा का परिसर है. यहां पर छात्रावास, स्विमिंग पूल, खेल का मैदान, पुस्तकालय, कैफिटेरिया और लैब सहित सभी तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. पहले यह विश्वविद्यालय चाणक्यपुरी स्थित अकबर भवन में चलता था, जहां जगह की काफी कमी थी.
भारत के सपनों को साकार करने में मदद करेगा विश्वविद्यालयः प्रोफेसर केके अग्रवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 के सपने को पूरा करने में भी पूरा सहयोग करेगा. आधुनिक शिक्षा और युवाओं को तकनीक के साथ जोड़ने की प्रधानमंत्री की पहल सराहनीय है. विश्वविद्यालय इस दिशा में पहले से ही काम कर रहा है. हमारे यहां कंप्यूटर साइंस में पहले से ही कोर्स संचालित हैं.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय सार्क देशों का है, इसलिए यहां पर भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति मायने नहीं रखती. लेकिन, दूसरे देशों की और भारत की शिक्षा नीति में जो समानताएं हैं उनको विश्वविद्यालय लागू करेगा.
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एग्रीकल्चर, हेल्थ, मैनुफैक्चरिंग और गवर्नेंस में नई तकनीक पर काम करेगा विश्वविद्यालयः साउथ एशियन विश्वविद्यालय आगे एग्रीकल्चर, हेल्थ, मैनुफैक्चरिंग और गवर्नेंस के क्षेत्र में इंटरनेट ऑफ थिंग्स के इस्तेमाल से नई तकनीक को अपनाकर लोगों के लिए सुविधाएं विकसित करने पर काम करेगा. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में पैदावार बढ़ाकर किसानों की आमदनी को दोगुनी करने का फॉर्मूला निकालने का काम विश्वविद्यालयों का है. इस काम में साउथ एशियन विश्वविद्यालय अपना पूरा योगदान देगा.
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