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उत्तराखंड में रेल यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए तैयार हुई SOP, ये दिशा निर्देश जारी - SOP for railway passengers - SOP FOR RAILWAY PASSENGERS

SOP For Safety of Railway Passengers उत्तराखंड में रेलवे के माध्यम से यात्रा करने वाले यात्रियों को सुरक्षित यात्रा करवाने के मकसद से एसओपी तैयार कर ली गई है. इसके साथ ही रेलवे स्टेशन और ट्रेन में किसी भी घटना से बचाव के लिए एक्शन प्लान भी तैयार किया गया है.

SOP For Safety of Railway Passengers
रेल से यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए एसओपी (FILE PHOTO ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 16, 2024, 8:39 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में हर दिन करीब 2 लाख से ज्यादा यात्री ट्रेन के माध्यम से यात्रा करते हैं. जबकि प्रदेश में हर दिन रेलवे स्टेशनों पर करीब 172 रेल गाड़ियां संचालित होती है. राज्य में इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के रेलवे के माध्यम से यात्रा करने को लेकर यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए जीआरपी ने एसओपी तैयार की है. उत्तराखंड में चारधाम यात्रा, कुंभ मेला, कांवड़ मेला और तमाम त्योहारों के साथ ही पर्यटन के लिए भी बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु प्रदेश में पहुंचते हैं. ऐसे में इन यात्रियों को सुरक्षित यात्रा करवाने के लिए जीआरपी ने विशेष तैयारी की है.

उत्तराखंड में वैसे तो 36 रेलवे स्टेशन हैं. लेकिन यहां आने और यहां से जाने वाले लोगों की संख्या 2 लाख से भी ज्यादा है. इतनी बड़ी संख्या में लोगों के ट्रेन का इस्तेमाल करने को देखते हुए जीआरपी ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है.

पुलिस उप महानिरीक्षक जीआरपी उत्तराखंड पी रेणुका देवी ने कहा, रेलवे स्टेशन और ट्रेन में हमेशा भीड़भाड़ के चलते विभिन्न घटनाओं के होने की संभावना बनी रहती है. यहां पर भगदड़ से लेकर आतंकी घटनाएं होने और ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने जैसी संभावनाओं को देखते हुए जीआरपी खुद की तैयारी को मुकम्मल कर रहा है. ऐसी स्थिति में फौरन जीआरपी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई को लेकर एसओपी तैयार की गई है.

इसके लिए तमाम रेलवे स्टेशन पर फर्स्ट रिस्पांस टीम के पहुंचने और उनके उपकरणों से लैस होने समेत जानकारी के जल्द से जल्द विभिन्न विभागों तक पहुंचने की भी व्यवस्थाएं की गई है. इसके अलावा ऐसी घटनाओं के दौरान अफवाहें ना फैले, इसके लिए भी फौरन रिस्पांस करने के लिए किस तरह का मेकैनिज्म काम करेगा, इस पर भी विचार किया गया है. नजदीकी अस्पतालों और दूसरे तमाम विभागों के साथ समन्वय रखना से लेकर साक्ष्यों को सुरक्षित रखने तक पर एसओपी में काम होगा.

ऐसी घटनाओं को लेकर तैयारियां कितनी बेहतर की गई है, इसके लिए समय-समय पर मॉडल तैयार करने के भी दिशा निर्देश दे दिए गए हैं, ताकि यह पता चल सके कि जो भी एसओपी तैयार की गई है, वह ऐसी घटनाओं के दौरान कितनी बेहतर साबित हो पा रही है.

ये भी पढ़ेंः देहरादून मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट से केंद्र ने किये हाथ खड़े, अब राज्य को उठाना पड़ेगा पूरा खर्च, हरीश रावत के समय हुई थी घोषणा

देहरादूनः उत्तराखंड में हर दिन करीब 2 लाख से ज्यादा यात्री ट्रेन के माध्यम से यात्रा करते हैं. जबकि प्रदेश में हर दिन रेलवे स्टेशनों पर करीब 172 रेल गाड़ियां संचालित होती है. राज्य में इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के रेलवे के माध्यम से यात्रा करने को लेकर यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए जीआरपी ने एसओपी तैयार की है. उत्तराखंड में चारधाम यात्रा, कुंभ मेला, कांवड़ मेला और तमाम त्योहारों के साथ ही पर्यटन के लिए भी बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु प्रदेश में पहुंचते हैं. ऐसे में इन यात्रियों को सुरक्षित यात्रा करवाने के लिए जीआरपी ने विशेष तैयारी की है.

उत्तराखंड में वैसे तो 36 रेलवे स्टेशन हैं. लेकिन यहां आने और यहां से जाने वाले लोगों की संख्या 2 लाख से भी ज्यादा है. इतनी बड़ी संख्या में लोगों के ट्रेन का इस्तेमाल करने को देखते हुए जीआरपी ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है.

पुलिस उप महानिरीक्षक जीआरपी उत्तराखंड पी रेणुका देवी ने कहा, रेलवे स्टेशन और ट्रेन में हमेशा भीड़भाड़ के चलते विभिन्न घटनाओं के होने की संभावना बनी रहती है. यहां पर भगदड़ से लेकर आतंकी घटनाएं होने और ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने जैसी संभावनाओं को देखते हुए जीआरपी खुद की तैयारी को मुकम्मल कर रहा है. ऐसी स्थिति में फौरन जीआरपी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई को लेकर एसओपी तैयार की गई है.

इसके लिए तमाम रेलवे स्टेशन पर फर्स्ट रिस्पांस टीम के पहुंचने और उनके उपकरणों से लैस होने समेत जानकारी के जल्द से जल्द विभिन्न विभागों तक पहुंचने की भी व्यवस्थाएं की गई है. इसके अलावा ऐसी घटनाओं के दौरान अफवाहें ना फैले, इसके लिए भी फौरन रिस्पांस करने के लिए किस तरह का मेकैनिज्म काम करेगा, इस पर भी विचार किया गया है. नजदीकी अस्पतालों और दूसरे तमाम विभागों के साथ समन्वय रखना से लेकर साक्ष्यों को सुरक्षित रखने तक पर एसओपी में काम होगा.

ऐसी घटनाओं को लेकर तैयारियां कितनी बेहतर की गई है, इसके लिए समय-समय पर मॉडल तैयार करने के भी दिशा निर्देश दे दिए गए हैं, ताकि यह पता चल सके कि जो भी एसओपी तैयार की गई है, वह ऐसी घटनाओं के दौरान कितनी बेहतर साबित हो पा रही है.

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