नई दिल्ली/गाजियाबाद: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या धाम में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. कई दशकों के लंबे इंतजार के बाद राम भक्तों का सपना अब साकार हो रहा है. देश में हर तरफ खुशी का माहौल है. जहां एक तरफ लोग हर तरफ उत्साहित नजर आ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई परिवार ऐसे भी है जो खुशी के साथ गम भी महसूस कर रहे हैं. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है ऐसे में राम मंदिर आंदोलन के दौरान अपने प्राण न्योछावर करने वाले राम भक्तों को भी याद किया जा रहा है.
राम मंदिर आंदोलन में गाजियाबाद कई अहम योगदान रहा है. गाजियाबाद के दिल्ली गेट इलाके के रहने वाले एक परिवार की राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका रही है. विनय सिंघल बताते हैं कि उनके दादा और दादी ने राम मंदिर आंदोलन में शामिल होने के लिए गाजियाबाद से अयोध्या जाने के दौरान शाहजहांपुर में हुए भीषण सड़क हादसे में प्राण त्याग कर शहादत दी थी. विनय बताते हैं कि जब उनके दादा और दादी ने बलिदान दिया तब उनकी उम्र महज दो साल थी. ठीक प्रकार से दादा-दादी याद भी नहीं है लेकिन अक्सर घर में दादा-दादी की कहानी सुनने को मिलती है.
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विनय सिंघल के दादा सीताराम गुप्ता और दादी प्रेमलता गुप्ता ने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े. मन में राम मंदिर बनाने का संकल्प लेकर 4 अप्रैल 1992 को 40 राम भक्तों समेत गाजियाबाद से बस से अयोध्या के लिए रवाना हुए. बस का शाहजहांपुर में भीषण एक्सीडेंट हो गया. विनय बताते हैं कि इस हादसे में तकरीबन 10 लोग रामभक्त शहीद हुए. गाजियाबाद में जब इस हादसे की सूचना मिली तो पूरा शहर शोक में डूब गया. शहीदों के शव जब गाजियाबाद पहुंचे तो बाकायदा ट्रैक्टर ट्राली में रखकर शव यात्रा निकाली गई थी. तीन दिन तक शहर के बाजार बंद रहे थे. शहर में एक अलग उदासी थी.
विनय बताते हैं कि उनके दादा सीताराम गुप्ता पेशे से व्यवसायी थे जबकि दादी प्रेमलता गुप्ता स्कूल चलाती थी साथ ही समाज सेवा के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करती थी. विनय का कहना है कि आज बहुत गर्व महसूस होता है कि हमारे दादा और दादी का बलिदान व्यर्थ नहीं गया. विनय का कहना है कि फरवरी में वह अपने दादा और दादी का चित्र लेकर अयोध्या राम मंदिर का दर्शन करने के लिए जाएंगे. राम मंदिर का निर्माण ही दादा और दादी को सच्ची श्रद्धांजलि है.
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