सीतामढ़ीः सुबह हो या शाम जब तक मंदिर में आरती नहीं हो जाती लोग भोजन नहीं करते हैं. भोजन करते भी हैं तो पूर्ण शाकाहारी. गांव का संस्कार ऐसा है कि गांव का एक भी व्यक्ति मछली, मांस, मदिरा को हाथ तक नहीं लगाता है. तभी तो इसे छोटी अयोध्या भी कहा जाता है. हम बात कर रहे हैं सीतामढ़ी जिले के परिहार प्रखंड के बबूरन गांव की.
कई पीढ़ियों से नहीं किया मांस-मदिरा का सेवनः गांव के लोगों का कहना है कि यहां के सभी लोग कई पीढ़ियों से सिर्फ शाकाहार का ही सेवन करते आ रहे हैं.पैक्स अध्यक्ष रामनाथ राय का कहना है कि "हमारे पिताजी बताया करते हैं कि आजादी के पूर्व से ही गांव के लोग मांस- मछली और मंदिरा का सेवन नहीं करते हैं जिसके कारण गांव में खुशहाली है."
"गांव के लगभग सभी घरों के कोई ना कोई युवा किसी न किसी सरकारी विभाग में नौकरी कर रहा है गांव के लोग जहां गांव के मंदिर पर सुबह शाम कीर्तन में भाग लेते हैं, वही भगवान की आरती और भोग लगने के बाद ही अपने-अपने घरों में जाकर खाना खाते हैं. ये परंपरा सालों से चली आ रही है जिसे हम लोग आज तक निर्वहन कर रहे हैं." रामनाथ राय, पैक्स अध्यक्ष
माइक से दी जाती है रामधुन की सूचनाः गांव के लोग बताते हैं कि "माइक के जरिये लोगों को मंदिर में रामधुन शुरू होने की सूचना दी जाती है. जिसके बाद गांव के सभी लोग मंदिक आते हैं और मंदिर में रामधुन के बाद भगवान का भोग लगता है और फिर आरती होने के बाद लोग अपने घर जाते हैं. घर में बने हुए खाने में तुलसीदल डालने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं."
सेहत के लिए बढ़िया है शाकाहारः वैसे तो मांसाहार या शाकाहार लोगों की अपनी-अपनी पसंद है लेकिन पिछले कुछ सालों में लगातार अध्ययन से ये बात साबित हो रही है कि शाकाहार कई मायनों में सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद है. वहीं मांसाहार के सेवन से मोटापा, डायबिटीज और कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है. बबूरबन के लोगों ने सालों पहले ही ये बात समझ ली थी.