सिंगरौली: बोरवेल में गिरी सौम्या की जान नहीं बचाई जा सकी. 5 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मासूम को बोरवेल से निकालकर सीधे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया. बता दें कि बरगवां थाना क्षेत्र के कसर गांव में सोमवार की शाम को 4 बजे 3 साल की मासूम सौम्या खेलते खेलते अपने जन्मदिन के दिन ही खुले बोरवेल में गिर गई. जिस वक्त यह हादसा हुआ था उस समय बच्ची अपने पिता के साथ खेत में खेल रही थी. वह खेलते-खेलते खुले पड़े बोरवेल में गिर गई इसके बाद 5 बजे से लेकर रात 10 बजे तक प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और सौम्या को बाहर निकाला. बोरवेल 100 फीट गहरा बताया जा रहा है.
खुले बोरवेल ने ली सौम्या की जान
यह कोई पहला मामला नहीं है इसके पहले भी खुले बोरवेल में गिरने से कई मासूमों की मौत हो चुकी है. एक बार फिर खुले बोरवेल में गिरने से 3 साल की सौम्या की जान चली गई. 5 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सिंगरौली कलेक्टर, एसपी और तमाम अधिकारियों ने हरसंभव कोशिक की. मासूम को जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर भेजा गया. सीएमएचओ एन के जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि तमाम तरह की जांच के बाद डॉक्टरों की टीम ने मासूम को मृत घोषित कर दिया.
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
सौम्या की मौत की खबर के बाद गांव में मातम पसर गया. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. परिवार और ग्रामीणों को उम्मीद थी कि मासूम को जिंदा निकाल लिया जाएगा. प्रशासन की तमाम मशक्कत के बाद भी मासूम का जीवन नहीं बच पाया और अपने जन्मदिन के दिन ही मासूम काल के गाल में समा गई.
100 फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी सौम्या
सिंगरौली जिले के बरगवां थाना क्षेत्र के कसर गांव में सोमवार की शाम राम प्रसाद साहू अपनी मासूम 3 वर्षीय बच्ची सौम्या साहू के साथ खेत पर गया था. तभी वह खेत पर ही अपने काम में व्यस्त हो गया और बच्ची खेलने लगी. इस दौरान खेलते वक्त सौम्या खुले पड़े बोरवेल में जा गिरी. स्थानीय लोगों की मानें तो बोरवेल की गहराई लगभग 100 फीट है. घटना की सूचना मिलते ही सिंगरौली कलेक्टर, एसपी व भारी संख्या में प्रशासन मौके पर पहुंचे और बच्ची को बचाने के लिए रेस्क्यू शुरू किया था.
घटनाओं के बाद लोग नहीं ले रहे सबक
मध्य प्रदेश सरकार की लाख समझाइश और चेतावनी के बाद भी लोग सबक नहीं ले रहे हैं. बोरवेल के हादसे लगातार हो रहे हैं. आए दिन बच्चे इन खुले बोरवेल का शिकार बन रहे हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश में बोरवेल में बच्चों के गिरने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई बच्चे इस हादसों का शिकार हो चुके हैं. इससे पहले अप्रैल 2024 में रीवा में 6 साल का मयंक बोरवेल में गिर गया था. 46 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मयंक जिंदगी की जंग हार गया था. वहीं जून 2023 में सीहोर में सृष्टि बोरवेल में गिर गई थी. 55 घंटे चले ऑपरेशन के बाद भी सृष्टि को नहीं बचाया जा सकता था. वहीं दिसंबर 2023 में राजगढ़ में माही भी बोरवेल का शिकार हुई. ऐसे कई हादसों के बाद मोहन कैबिनेट ने इन दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक को पास किया था. जिसमें नलकूप खनन से पहले अनुमति लेने की बात थी. साथ ही बोरवेल खुला छोड़ने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.