देहरादून: दून-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर काटे गए पेड़ों की क्षतिपूर्ति का जिम्मा वन अनुसंधान संस्थान ने अपने हाथ में ले लिया है. पहली बार साल के पेड़ों की नर्सरी देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान ने तैयार की है. जिन्हें अगले साल से रोपित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. एक्सप्रेसवे को तैयार करने के लिए करीब 11000 साल के पेड़ काटे गए थे. ऐसे में एनएचएआई की मदद से एफआरआई एक प्रोजेक्ट के तहत नर्सरी में साल के पौधे तैयार कर इन्हें रोपित करेगा.
भारतीय वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में पहली बार साल की नर्सरी तैयार करते हुए बड़े स्तर पर इन पौधों को रोपित करने जा रहा है. दरअसल साल के पौधे प्राकृतिक रूप से तैयार होते हैं और इन्हें सामान्य रूप से नर्सरी में तैयार करना मुश्किल होता है. ऐसे में भारतीय वन अनुसंधान संस्थान ने इस चुनौती को अपने हाथों में लेते हुए साल के पेड़ों की नर्सरी तैयार करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है. इसी कड़ी में भारतीय वन अनुसंधान संस्थान ने 15 हजार से ज्यादा साल के पौधे तैयार किये हैं.
दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की एलिवेटेड रोड तैयार करते समय करीब 11 हजार से ज्यादा साल के पेड़ों को काटना पड़ा था. एक्सप्रेसवे की करीब 12 किलोमीटर की सड़क के लिए ही हजारों पेड़ों पर आरियां चलानी पड़ी थी. जिसका स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने भी विरोध किया था. खास बात यह है कि विरोध के बाद यह पूरा मामला एनजीटी पहुंच गया था और सरकार को काटे गए पेड़ों के बदले क्षतिपूर्ति के रूप में साल के पौधे लगाने का निर्देश मिले थे.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की मदद से अब वन अनुसंधान संस्थान साल के पौधे तैयार कर इन्हें रोपित करेगा. वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. रेनू सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत अगले साल से पौधारोपण की गतिविधि को शुरू कर दिया जाएगा.
दरअसल साल के पौधे हाथ से लगाने के बजाय प्राकृतिक रूप से ही उगते हैं और इसलिए इनको नर्सरी में तैयार करना बेहद मुश्किल होता है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सहयोग से इस परियोजना को शुरू किया गया है. जिसके लिए एनएचएआई 1 करोड़ रुपए बजट उपलब्ध करा रहा है.
हालांकि अगले साल से साल के पौधारोपण का कार्य शुरू होगा, लेकिन माना जाता है कि साल के पेड़ करीब चार से पांच साल के बीच में परिपक्व होते हैं. इस तरह दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे पर साल के पेड़ों को काटे जाने के बदले नए साल के पौधों को तैयार कर इन्हें लगाने का पूरा प्रोजेक्ट तैयार किया गया है.