अलवर. एनसीआर के प्रमुख पर्यटन केन्द्रों में शुमार अलवर की सिलीसेढ़ झील पर चादर चलने का सपना आठ साल के इंतजार के बाद पूरा हो सका है. अलवर में अच्छी बारिश के चलते सिलीसेढ़ झील लबालब हो गई और दोपहर बाद चादर चलना शुरू हो गई. इससे पहले 2016 में सिलीसेढ़ झील पर चादर चली थी. झील के पानी से लबालब होने से पर्यटकों में खुशी है, वहीं किसी अनहोनी की आशंका से बचने के लिए प्रशासन ने आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को अलर्ट किया है. अलवर एसडीएम ने लोगों को सिलीसेढ़ झील की पाल पर नहीं जाने की चेतावनी दी है और लेक पैलेस से ही लबालब झील का नजारा देखने को कहा है.
बता दें कि अलवर जिले में कई साल बाद औसत से ज्यादा बारिश अब तक दर्ज की जा चुकी है. इससे जिले के बांध, नदियों में पानी की अच्छी आवक हुई है. अच्छी बारिश का नतीजा है कि आठ साल बाद सिलीसेढ़ झील फिर से लबालब होने के साथ ही यहां उपरा भी चल गई है. जिले में अब तक औसतन 685.64 मिमी बारिश हो चुकी है. जबकि यहां औसतन बारिश का आंकड़ा 555 मिमी है.
आखिरी बार 2016 में चली थी चादर : सिंचाई विभाग के एक्सईएन संजय खत्री ने बताया कि सिलीसेढ़ झील की भराव क्षमता 492 मिलियन क्यूबिक फीट है और इस साल झील में इस मात्रा में पानी की आवक हो चुकी है. साल 2016 में सिलीसेढ़ झील पर चादर चली थी. इससे पहले 2010, 2012, 2003, 1996 व 1998 में झील में चादर चल चुकी है. सिलीसेढ़ झील में 16 से 18 फीट पानी सदैव रहता है. पिछले सालों में मानसून के दौरान झील में 26 फीट तक पानी आया.
उन्होंने बताया कि उपरा चलने के कारण लोगों को सिलीसेढ़ झील की पाल पर जाने से मना किया है. पुलिस यहां गश्त कर रही है. अलवर एसडीएम व अकबरपुर थानाधिकारी झील का निरीक्षण कर चुके हैं. किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए मिटटी के कट्टे भरवाकर रखे गए हैं और अन्य साधन भी जुटाए गए हैं.
आसपास के गांवों में किया अलर्ट : उपरा चलने के कारण सिलीसेढ़ झील का पानी आसपास के गांवों में बहकर निकलता है. तेज बारिश होने पर झील से पानी बहकर आसपास के खेतों में पहुंचकर फसल और मिट्टी का कटाव कर सकता है. पानी के तेज बहाव में जन हानि नहीं हो, इसके लिए प्रशासन ने आसपास के गांवों में अलर्ट जारी किया गया है. साथ ही सिविल डिफेंस की टीम को तैनात किया गया है.