नई दिल्ली: ऑपरेशन ब्लूस्टार जून 1984 में पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में भारतीय सेना द्वारा किया गया एक अभियान था, जिसका उद्देश्य उन उग्रवादियों को खदेड़ना था. उग्रवादियों का नेतृत्व जरनैल सिंह भिंडरावाले कर रहा था, जो कभी सिख मदरसा दमदमी टकसाल का नेता था और उस समय बढ़ते अलगाववादी खालिस्तान आंदोलन का एक प्रमुख व्यक्ति था. लेकिन सेना के इस अभियान ने सिख समुदाय के कुछ सदस्यों में रोष पैदा कर दिया, जिन्होंने अपने धर्मस्थल में की गई इस कार्रवाई को अपनी आस्था पर हमला माना. 40 वर्ष बाद भी, यह भारतीय इतिहास का एक विवादास्पद प्रकरण बना हुआ है.
इसी कड़ी में आज गुरुवार को संतगढ के श्रीगुरु सिंहसभा गुरुद्वारे में गुरमत कैंप का भी आयोजन किया गया. जिसमें काफी संख्या में बच्चों को बुलाया गया और उन्हें सिख कॉम के इतिहास के बारे में जानकारी दी गई. इस कार्रक्रम में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सदस्य बीबी रणजीत कौर ने भी शिरकत की. रणजीत कौर ने कहा कि जिस तरह से 40 साल पहले अकाल तख्त साहिब पर हमले करवाए गए थे उस दिन को कोई भी सिख भूल नहीं सकता. हम हर साल इस दिन को रोष दिवस के रूप में मनाते हैं. इस बार हम काली चुन्नी काली पगड़ी पहनकर विरोध जता रहे हैं.
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बता दें कि, ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार द्वारा जेएस भिंडरावाले द्वारा दिए गए आनंदपुर प्रस्ताव को खारिज करने के बाद हुआ था, जो चाहता था कि सरकार इसे पारित करे और इस तरह सिखों के लिए भारत में खालिस्तान राज्य के गठन के लिए सहमत हो.
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