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सीधी सीट पर त्रिकोणीय होगा मुकाबला, कमलेश्वर पटेल कांग्रेस को दिलाएंगे जीत, या BJP करेगी खेल - Sidhi Lok Sabha Election 2024

एमपी की सीधी लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला बहुत दिलचस्प होने वाला है. इसकी वजह है, पार्टियों द्वारा प्रत्याशियों का चयन. जी हां बीजेपी ने जहां इस सीट से नए प्रत्याशी डॉक्टर राजेश मिश्रा पर दांव लगाया है, तो वहीं कांग्रेस ने अपने पुराने और मजबूत नेता कमलेश्वर पटेल को मैदान में उतारा है. खास बात यह है कि इस सीट पर भाजपा के एक दिग्गज नेता ने बगावत करके चुनाव को त्रिकोणीय और मजेदार बना दिया है. देखना होगा कि यहां किसकी जीत होती...

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 18, 2024, 4:59 PM IST

Sidhi Lok Sabha Election 2024
सीधी सीट पर त्रिकोणीय होगा मुकाबला, कमलेश्वर पटेल कांग्रेस को दिलाएंगे जीत, या BJP करेगी खेल

सीधी। विंध्य की चार लोकसभा सीटों में से दो लोकसभा सीट ऐसी हैं. जिसमें पहले चरण में ही मतदान होने हैं, मतलब 19 अप्रैल को इन दोनों सीटों पर सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होना है. ऐसे में इन दोनों ही सीटों पर चुनावी हलचल भी तेज हो गई है. हम बात कर रहे हैं, शहडोल लोकसभा और सीधी लोकसभा सीट की. वैसे देखा जाए तो इस बार के चुनाव में सीधी लोकसभा सीट पर विंध्य ही नहीं, एमपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर है, क्योंकि पिछले दो बार से जीत रही सांसद की जगह भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने नए प्रत्याशी को चुनावी मैदान पर उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े दिग्गज नेता को चुनावी मैदान में उतार दिया है. सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा के ही एक दिग्गज नेता ने बगावत करके गोंगपा से चुनावी मैदान पर उतरकर इस सीट के मुकाबले को और रोचक बना दिया है.

सीधी लोकसभा सीट का क्षेत्र

विंध्य क्षेत्र की सीधी लोकसभा सीट 3 जिलों के अलग-अलग विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है. इसमें पूरा का पूरा सीधी और सिंगरौली जिला तो आता ही है, जबकि शहडोल जिले की भी एक विधानसभा सीट को इसमें शामिल किया गया है. इस लोकसभा सीट में टोटल 8 विधानसभा सीट हैं. जिसमें से सीधी जिले की चार विधानसभा सीट चुरहट, सीधी, धौहनी और सिहावल शामिल है, तो वहीं सिंगरौली जिले की तीन विधानसभा सीट चितरंगी, सिंगरौली और देवसर शामिल है. इसके अलावा शहडोल जिले की एक विधानसभा सीट ब्यौहारी विधानसभा सीट को इस सीधी लोकसभा सीट के अंतर्गत ही शामिल किया गया है.

Sidhi Lok Sabha Election 2024
सीधी लोकसभा सीट के मद्दे और जानकारी

चुनावी मैदान में कौन-कौन ?

सीधी लोकसभा सीट इस बार के लोकसभा चुनाव में सुर्खियों में है. ये सीट विंध्य ही नहीं, मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर में है. देश के दिग्गज नेताओं की नजर इस लोकसभा सीट पर टिकी हुई है, क्योंकि इस लोकसभा सीट का मुकाबला अब दिलचस्प हो चुका है. सीधी लोकसभा सीट से बीजेपी ने दो बार से जीत रही अपनी सांसद रीति पाठक को टिकट नहीं दिया है, क्योंकि रीति पाठक को पहले ही विधानसभा चुनावी में मैदान पर उतार दिया था, और वह जीतकर भी आई हैं. अब विधायक हैं. अब इस बार सीधी लोकसभा सीट से डॉक्टर राजेश मिश्रा को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने भी अपने सबसे बड़े मजबूत नेता कमलेश्वर पटेल को सीधी लोकसभा सीट के चुनाव के लिए टिकट दिया है. इन सब के बीच बीजेपी से नाराज विंध्य के दिग्गज नेता पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह बीजेपी को छोड़कर अब गोंडवाना से चुनावी मैदान में कूद गए हैं, इस तरह से देखा जाए तो इस बार सीधी लोकसभा सीट का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.

विधानसभा चुनाव में कौन आगे ?

अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, जब पूरे मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए हैं. अब लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव के आंकड़े भी जानना जरूरी है, क्योंकि सीधी लोकसभा सीट को आठ विधानसभाओं को मिलाकर बनाया गया है. विंध्य के इन आठ विधानसभा सीटों की बात करें, तो अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में, आठ में से सात विधानसभा सीटों में बीजेपी ने जीत हासिल की है. जबकि एक विधानसभा सीट में कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस के अजय सिंह ने चुरहट विधानसभा से जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में सीधी लोकसभा सीट से मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल चुनाव हार गए थे.

2018 के विधानसभा चुनाव में भी 8 विधानसभा सीटों में से एक सीट ही कांग्रेस जीत पाई थी. बाकी 7 बीजेपी ने जीते थे. 2018 में कमलेश्वर पटेल जीते थे, अजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव का रुझान ही नजर आता है. 2019, 2014 और 2009 में भी भाजपा के पास आठ में से 7 विधानसभा सीट थी और लोकसभा में भाजपा को जीत मिली है. इस कारण भाजपा का कॉन्फिडेंस और बढ़ा हुआ है.

सीधी लोकसभा सीट में अब तक कितने चुनाव

इतिहास पर नजर डालें तो सीधी लोकसभा सीट में अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. जिसमें सात बार कांग्रेस को तो छह बार भाजपा को जीत मिली है. जनता पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी और निर्दलीय को भी एक-एक बार इस लोकसभा सीट से जीत मिली है.

परिसीमन के बाद से ही बीजेपी का कब्जा

देखा जाए तो सीधी लोकसभा सीट पर पिछले कुछ लोकसभा चुनाव से भारतीय जनता पार्टी के रिकॉर्ड तो बहुत ही अच्छे हैं. 2008 के परिसीमन के बाद से ही सीधी लोकसभा सीट अनारक्षित हुई है. तब से इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा बना हुआ है. 2009 का पहला चुनाव जब परिसीमन के बाद हुआ तो इसमें गोविंद मिश्रा जीते थे, इसके बाद 2014 और 2019 के दो चुनाव हुए, जिसमें भाजपा की रीति पाठक भारी मतों से जीत कर आईं. जब 2008 से पहले यह सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी, तब कभी कांग्रेस और कभी बीजेपी को जीत मिलती थी.

क्या कहता है चुनावी समीकरण ?

सीधी लोकसभा सीट पर इस बार मोदी चेहरा और उनके मैजिक के भरोसे भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर राजेश मिश्रा हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलेश्वर पटेल सामने हैं. भाजपा से ही बगावत करके चुनावी मैदान पर कूदे पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह भी गोंगपा से चुनावी मैदान पर कूद कर इस सीट की लड़ाई को और रोचक बना दिया है. देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी बनाए गए डॉक्टर राजेश मिश्रा को कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे, कमलेश्वर पटेल उन्हें कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. वजह दो है पहला क्षेत्र में पटेल सहित पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की अच्छी खासी तादात है. दूसरी वजह भाजपा के अजय प्रताप सिंह का पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में कूदना.

देखा जाए तो सीधी में भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशी बदलने की वजह से इस लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण भी बदला है. जैसे अब तक भाजपा को सिंगरौली क्षेत्र में एक तरफा वोट मिल रहा था, लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि ऐसा नहीं होगा, वजह है कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल का इस क्षेत्र में असर है. उनके परिवार के लोग रिश्तेदार यहां ज्यादा रहते हैं. कमलेश्वर यहां काफी सक्रिय भी रहते हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अगर समर्थन किया, तो क्षत्रिय और उनके प्रभाव वाला वोट भी कांग्रेस के पाले में आ सकता है. बचा हुआ जो वोट रहेगा वह अजय प्रताप सिंह ले जाएंगे. इसके अलावा सीधी क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है. कमलेश्वर इस अंचल में पिछड़ों के नेता के तौर पर हैं, कमलेश्वर के पिता स्वर्गीय इंद्रजीत कुमार का क्षेत्र भी है और हर कोई यहां उनका सम्मान करता है.

वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर राजेश मिश्रा एक साफ सुथरी छवि के हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता मोदी मैजिक उनकी बड़ी ताकत है. मोदी के चेहरे के नाम पर ही वो क्षेत्र में वोट भी मांग रहे हैं. सीधी लोकसभा सीट में क्षेत्र में भाजपा का स्थाई वोट बैंक भी है. हालांकि इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि डॉक्टर राजेश मिश्रा एक बार चुनाव हार चुके हैं. जब उन्होंने बसपा से विधानसभा का एक चुनाव लड़ा था, वो बाद में भाजपा में आए अब मुकाबला दिलचस्प और रोचक होने की उम्मीद जताई जा रही है.

Sidhi Lok Sabha Election 2024
सीधी लोकसभा सीट 2019 के परिणाम

क्या कहता है जातिगत समीकरण ?

जातिगत समीकरण की बात करें तो परिसीमन से पहले सीधी लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की भी संख्या अच्छी खासी है. इस लोकसभा सीट में आठ विधानसभा आती हैं, जिनमें से तीन विधानसभा सीट तो इस वर्ग के लिए आरक्षित भी है. अनुसूचित जाति वर्ग को मिलाकर उनकी ताकत और बढ़ जाती है. इस वर्ग के लिए भी एक विधानसभा सीट आरक्षित है और दोनों वर्ग के मतदाताओं की तादाद अगर देखे संख्या देखें तो 4 लाख के आसपास बताई जा रही है. इसके बाद ब्राह्मण और पिछड़े वर्ग के लगभग बराबर तीन-तीन लाख मतदाता हैं. पिछड़ों में पटेल के अलावा काछी और यादव वोटर्स की भी बड़ी तादाद इस क्षेत्र में बताई जा रही है.

यहां पढ़ें...

2019 में डगमगाया था कमलनाथ का किला, क्या नकुलनाथ काबिज रख पाएंगे पिता की विरासत

बालाघाट-सिवनी सीट पर बीजेपी का राज, 8 बार की विजयी कांग्रेस को जीत की आस

माना जा रहा है कि ब्राह्मण वोटर्स भाजपा के पाले में जा सकते हैं. पटेलों के साथ कुछ अन्य पिछड़ी जातियां कांग्रेस के साथ जा सकती हैं. भाजपा के बागी नेता गोंगपा प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह ठाकुर और आदिवासियों के कुछ वोट ले जा सकते हैं. देखा जाए तो कांग्रेस, ओबीसी मुस्लिम के साथ-साथ ठाकुर वोटर्स को अपने पक्ष में मान रही है. हालांकि कांग्रेस के एक बड़े नेता का ये भी कहना है कि सीधे जिले की चार सीटों पर कांग्रेस मजबूत है. विधानसभा चुनाव में इन चार सीटों पर भाजपा से कांग्रेस कुछ हजार वोटों से ही पीछे रही है. हालांकि वो यह भी मानते हैं की गोंगपा से खड़े अजय प्रताप सिंह को कुछ हद तक ठाकुर वोट जाएंगे, जो भाजपा का नुकसान करेंगे.

वहीं छोटी पार्टियां आप, सपा आदि कांग्रेस के साथ है. सिंगरौली में जिसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा, इसके अलावा इस बार कांग्रेस के लिए अच्छी बात ये भी है कि कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल को इस बार पार्टी के एकमात्र विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का भरपूर साथ भी मिल रहा है. हालांकि दोनों के पिता एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते थे. बीजेपी में हुई ताजा बगावत से कांग्रेस थोड़ी उत्साहित भी है. जिसमें भाजपा के पूर्व सांसद अजय प्रताप सिंह गोंगपा से चुनावी मैदान पर कूद गए हैं. अब देखना दिलचस्प होगा की सीधी लोकसभा सीट की लड़ाई क्या गुल खिलाती है. क्या भारतीय जनता पार्टी इस लोकसभा सीट पर एक बार फिर से जीत दर्ज कर्ज इतिहास बनाती है, या फिर कांग्रेस लंबे समय बाद एक बार फिर से अपने सबसे बड़े दिग्गज नेता के दम पर वापसी कर जाती है. देखना दिलचस्प होगा.

सीधी। विंध्य की चार लोकसभा सीटों में से दो लोकसभा सीट ऐसी हैं. जिसमें पहले चरण में ही मतदान होने हैं, मतलब 19 अप्रैल को इन दोनों सीटों पर सभी पार्टियों के प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होना है. ऐसे में इन दोनों ही सीटों पर चुनावी हलचल भी तेज हो गई है. हम बात कर रहे हैं, शहडोल लोकसभा और सीधी लोकसभा सीट की. वैसे देखा जाए तो इस बार के चुनाव में सीधी लोकसभा सीट पर विंध्य ही नहीं, एमपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर है, क्योंकि पिछले दो बार से जीत रही सांसद की जगह भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने नए प्रत्याशी को चुनावी मैदान पर उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े दिग्गज नेता को चुनावी मैदान में उतार दिया है. सबसे बड़ी बात ये है कि भाजपा के ही एक दिग्गज नेता ने बगावत करके गोंगपा से चुनावी मैदान पर उतरकर इस सीट के मुकाबले को और रोचक बना दिया है.

सीधी लोकसभा सीट का क्षेत्र

विंध्य क्षेत्र की सीधी लोकसभा सीट 3 जिलों के अलग-अलग विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है. इसमें पूरा का पूरा सीधी और सिंगरौली जिला तो आता ही है, जबकि शहडोल जिले की भी एक विधानसभा सीट को इसमें शामिल किया गया है. इस लोकसभा सीट में टोटल 8 विधानसभा सीट हैं. जिसमें से सीधी जिले की चार विधानसभा सीट चुरहट, सीधी, धौहनी और सिहावल शामिल है, तो वहीं सिंगरौली जिले की तीन विधानसभा सीट चितरंगी, सिंगरौली और देवसर शामिल है. इसके अलावा शहडोल जिले की एक विधानसभा सीट ब्यौहारी विधानसभा सीट को इस सीधी लोकसभा सीट के अंतर्गत ही शामिल किया गया है.

Sidhi Lok Sabha Election 2024
सीधी लोकसभा सीट के मद्दे और जानकारी

चुनावी मैदान में कौन-कौन ?

सीधी लोकसभा सीट इस बार के लोकसभा चुनाव में सुर्खियों में है. ये सीट विंध्य ही नहीं, मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर में है. देश के दिग्गज नेताओं की नजर इस लोकसभा सीट पर टिकी हुई है, क्योंकि इस लोकसभा सीट का मुकाबला अब दिलचस्प हो चुका है. सीधी लोकसभा सीट से बीजेपी ने दो बार से जीत रही अपनी सांसद रीति पाठक को टिकट नहीं दिया है, क्योंकि रीति पाठक को पहले ही विधानसभा चुनावी में मैदान पर उतार दिया था, और वह जीतकर भी आई हैं. अब विधायक हैं. अब इस बार सीधी लोकसभा सीट से डॉक्टर राजेश मिश्रा को बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने भी अपने सबसे बड़े मजबूत नेता कमलेश्वर पटेल को सीधी लोकसभा सीट के चुनाव के लिए टिकट दिया है. इन सब के बीच बीजेपी से नाराज विंध्य के दिग्गज नेता पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह बीजेपी को छोड़कर अब गोंडवाना से चुनावी मैदान में कूद गए हैं, इस तरह से देखा जाए तो इस बार सीधी लोकसभा सीट का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.

विधानसभा चुनाव में कौन आगे ?

अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, जब पूरे मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए हैं. अब लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव के आंकड़े भी जानना जरूरी है, क्योंकि सीधी लोकसभा सीट को आठ विधानसभाओं को मिलाकर बनाया गया है. विंध्य के इन आठ विधानसभा सीटों की बात करें, तो अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में, आठ में से सात विधानसभा सीटों में बीजेपी ने जीत हासिल की है. जबकि एक विधानसभा सीट में कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस के अजय सिंह ने चुरहट विधानसभा से जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में सीधी लोकसभा सीट से मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल चुनाव हार गए थे.

2018 के विधानसभा चुनाव में भी 8 विधानसभा सीटों में से एक सीट ही कांग्रेस जीत पाई थी. बाकी 7 बीजेपी ने जीते थे. 2018 में कमलेश्वर पटेल जीते थे, अजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव का रुझान ही नजर आता है. 2019, 2014 और 2009 में भी भाजपा के पास आठ में से 7 विधानसभा सीट थी और लोकसभा में भाजपा को जीत मिली है. इस कारण भाजपा का कॉन्फिडेंस और बढ़ा हुआ है.

सीधी लोकसभा सीट में अब तक कितने चुनाव

इतिहास पर नजर डालें तो सीधी लोकसभा सीट में अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. जिसमें सात बार कांग्रेस को तो छह बार भाजपा को जीत मिली है. जनता पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी और निर्दलीय को भी एक-एक बार इस लोकसभा सीट से जीत मिली है.

परिसीमन के बाद से ही बीजेपी का कब्जा

देखा जाए तो सीधी लोकसभा सीट पर पिछले कुछ लोकसभा चुनाव से भारतीय जनता पार्टी के रिकॉर्ड तो बहुत ही अच्छे हैं. 2008 के परिसीमन के बाद से ही सीधी लोकसभा सीट अनारक्षित हुई है. तब से इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा बना हुआ है. 2009 का पहला चुनाव जब परिसीमन के बाद हुआ तो इसमें गोविंद मिश्रा जीते थे, इसके बाद 2014 और 2019 के दो चुनाव हुए, जिसमें भाजपा की रीति पाठक भारी मतों से जीत कर आईं. जब 2008 से पहले यह सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी, तब कभी कांग्रेस और कभी बीजेपी को जीत मिलती थी.

क्या कहता है चुनावी समीकरण ?

सीधी लोकसभा सीट पर इस बार मोदी चेहरा और उनके मैजिक के भरोसे भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर राजेश मिश्रा हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलेश्वर पटेल सामने हैं. भाजपा से ही बगावत करके चुनावी मैदान पर कूदे पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह भी गोंगपा से चुनावी मैदान पर कूद कर इस सीट की लड़ाई को और रोचक बना दिया है. देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी बनाए गए डॉक्टर राजेश मिश्रा को कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे, कमलेश्वर पटेल उन्हें कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. वजह दो है पहला क्षेत्र में पटेल सहित पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की अच्छी खासी तादात है. दूसरी वजह भाजपा के अजय प्रताप सिंह का पार्टी से बगावत कर चुनावी मैदान में कूदना.

देखा जाए तो सीधी में भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशी बदलने की वजह से इस लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण भी बदला है. जैसे अब तक भाजपा को सिंगरौली क्षेत्र में एक तरफा वोट मिल रहा था, लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि ऐसा नहीं होगा, वजह है कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल का इस क्षेत्र में असर है. उनके परिवार के लोग रिश्तेदार यहां ज्यादा रहते हैं. कमलेश्वर यहां काफी सक्रिय भी रहते हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अगर समर्थन किया, तो क्षत्रिय और उनके प्रभाव वाला वोट भी कांग्रेस के पाले में आ सकता है. बचा हुआ जो वोट रहेगा वह अजय प्रताप सिंह ले जाएंगे. इसके अलावा सीधी क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है. कमलेश्वर इस अंचल में पिछड़ों के नेता के तौर पर हैं, कमलेश्वर के पिता स्वर्गीय इंद्रजीत कुमार का क्षेत्र भी है और हर कोई यहां उनका सम्मान करता है.

वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर राजेश मिश्रा एक साफ सुथरी छवि के हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता मोदी मैजिक उनकी बड़ी ताकत है. मोदी के चेहरे के नाम पर ही वो क्षेत्र में वोट भी मांग रहे हैं. सीधी लोकसभा सीट में क्षेत्र में भाजपा का स्थाई वोट बैंक भी है. हालांकि इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि डॉक्टर राजेश मिश्रा एक बार चुनाव हार चुके हैं. जब उन्होंने बसपा से विधानसभा का एक चुनाव लड़ा था, वो बाद में भाजपा में आए अब मुकाबला दिलचस्प और रोचक होने की उम्मीद जताई जा रही है.

Sidhi Lok Sabha Election 2024
सीधी लोकसभा सीट 2019 के परिणाम

क्या कहता है जातिगत समीकरण ?

जातिगत समीकरण की बात करें तो परिसीमन से पहले सीधी लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र में आदिवासी मतदाताओं की भी संख्या अच्छी खासी है. इस लोकसभा सीट में आठ विधानसभा आती हैं, जिनमें से तीन विधानसभा सीट तो इस वर्ग के लिए आरक्षित भी है. अनुसूचित जाति वर्ग को मिलाकर उनकी ताकत और बढ़ जाती है. इस वर्ग के लिए भी एक विधानसभा सीट आरक्षित है और दोनों वर्ग के मतदाताओं की तादाद अगर देखे संख्या देखें तो 4 लाख के आसपास बताई जा रही है. इसके बाद ब्राह्मण और पिछड़े वर्ग के लगभग बराबर तीन-तीन लाख मतदाता हैं. पिछड़ों में पटेल के अलावा काछी और यादव वोटर्स की भी बड़ी तादाद इस क्षेत्र में बताई जा रही है.

यहां पढ़ें...

2019 में डगमगाया था कमलनाथ का किला, क्या नकुलनाथ काबिज रख पाएंगे पिता की विरासत

बालाघाट-सिवनी सीट पर बीजेपी का राज, 8 बार की विजयी कांग्रेस को जीत की आस

माना जा रहा है कि ब्राह्मण वोटर्स भाजपा के पाले में जा सकते हैं. पटेलों के साथ कुछ अन्य पिछड़ी जातियां कांग्रेस के साथ जा सकती हैं. भाजपा के बागी नेता गोंगपा प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह ठाकुर और आदिवासियों के कुछ वोट ले जा सकते हैं. देखा जाए तो कांग्रेस, ओबीसी मुस्लिम के साथ-साथ ठाकुर वोटर्स को अपने पक्ष में मान रही है. हालांकि कांग्रेस के एक बड़े नेता का ये भी कहना है कि सीधे जिले की चार सीटों पर कांग्रेस मजबूत है. विधानसभा चुनाव में इन चार सीटों पर भाजपा से कांग्रेस कुछ हजार वोटों से ही पीछे रही है. हालांकि वो यह भी मानते हैं की गोंगपा से खड़े अजय प्रताप सिंह को कुछ हद तक ठाकुर वोट जाएंगे, जो भाजपा का नुकसान करेंगे.

वहीं छोटी पार्टियां आप, सपा आदि कांग्रेस के साथ है. सिंगरौली में जिसका लाभ कांग्रेस को मिलेगा, इसके अलावा इस बार कांग्रेस के लिए अच्छी बात ये भी है कि कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल को इस बार पार्टी के एकमात्र विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का भरपूर साथ भी मिल रहा है. हालांकि दोनों के पिता एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते थे. बीजेपी में हुई ताजा बगावत से कांग्रेस थोड़ी उत्साहित भी है. जिसमें भाजपा के पूर्व सांसद अजय प्रताप सिंह गोंगपा से चुनावी मैदान पर कूद गए हैं. अब देखना दिलचस्प होगा की सीधी लोकसभा सीट की लड़ाई क्या गुल खिलाती है. क्या भारतीय जनता पार्टी इस लोकसभा सीट पर एक बार फिर से जीत दर्ज कर्ज इतिहास बनाती है, या फिर कांग्रेस लंबे समय बाद एक बार फिर से अपने सबसे बड़े दिग्गज नेता के दम पर वापसी कर जाती है. देखना दिलचस्प होगा.

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