चमोली: पहाड़ों में बारिश की वजह से सड़कें और पैदल मार्ग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं. जिसके चलते ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे ही कुछ तस्वीरें चमोली जिले के एरठा गांव से सामने आई है. जहां गांव को मुख्य बाजार से जोड़ने वाला पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त न होने से ग्रामीणों ने बीमार महिला को डंडी कंडी के सहारे पथरीले चट्टान से होकर अस्पताल पहुंचाया. ऐसे में यदि किसी का पैर फिसलता तो बड़ी अनहोनी भी हो सकती थी.
महिला को डंडी कंडी से खतरनाक रास्तों से होकर पहुंचाया अस्पताल: जानकारी के मुताबिक, चमोली जिले के देवाल क्षेत्र के ऐरठा गांव की एक महिला की तबीयत खराब हो गई थी, लेकिन रास्ते के क्षतिग्रस्त हो जाने से महिला को अस्पताल पहुंचाने की चुनौती खड़ी हो गई. ऐसे में ग्रामीणों ने डंडी कंडी के सहारे महिला को अस्पताल पहुंचाने का निर्णय लिया. जिसके बाद वे महिला को डंडी कंडी पर लादकर पैदल ही खतरनाक रास्तों से होकर अस्पताल की तरफ निकले.
इस दौरान कई जगहों पर खतरनाक जोन भी मिले. जहां महिला को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को नीचे उफनती पिंडर नदी तो ऊपर पहाड़ और खतरनाक चट्टान भरे रास्तों से जूझते हुए गुजरना पड़ा. ग्रामीणों ने बताया कि लगातार बरसात की वजह से पैदल रास्ता जगह-जगह भूस्खलन की चपेट आकर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है. उनके नौनिहालों को चार किलोमीटर दूर स्कूल भी इसी रास्ते से होकर जाना होता है. जिनकी हर समय उन्हें चिंता सताती रहती है. बरसात में तो बच्चे कई दिनों तक स्कूल भी नहीं जा पाते हैं.
वन विभाग के अधीन आता है रास्ता: देवाल ब्लॉक मुख्यालय से एरठा गांव की दूरी करीब चार किलोमीटर है. यह रास्ता वन विभाग के अधीन आता है. मामले में बदरीनाथ वन प्रभाग के क्षेत्राधिकारी हरीश थपलियाल ने फोन पर बताया कि बीते दिनों हुई बारिश से यह मार्ग भूस्खलन की चपेट में आ गया था. इस बीच कई बार इस रास्ते को वैकल्पिक तौर पर ठीक किया जा चुका है, लेकिन बारिश होने पर फिर से रास्ता क्षतिग्रस्त हो जाता है.
उन्होंने बताया कि फिलहाल तो खतरनाक पहाड़ी और बारिश होने के कारण वहां पर स्थायी रूप से काम करना संभव नहीं है, लेकिन उच्चाधिकारियों से रास्ते को स्थायी रूप से ठीक करने के लिए धनराशि अवमुक्त कराने को लेकर पत्राचार किया जा रहा है. बरसात के बाद ही रास्ता बनाया जा सकता है. उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि बारिश के दौरान सावधानीपूर्वक आवाजाही करें. स्कूल के बच्चों को अभिभावकों की देखरेख में खराब स्थानों से आवागमन कराएं.
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