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पहले ही बताना था कि LG ने पेड़ काटने का आदेश दिया..., सरकार से लेकर DDA पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, जानें सब - SC on tree felling in ridge - SC ON TREE FELLING IN RIDGE

Case of cutting trees in ridge: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की कटाई करने के मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि अधिकारियों को यह पहले ही दिन बताना चाहिए था कि पेड़ काटने का आदेश एलजी ने दिया. यह स्थिति बहुत खेदजनक है. कोर्ट ने कहा कि मामले में दिल्ली सरकार भी समान रूप से दोषी है. पढ़ें पूरी खबर..

supreme court
supreme court (File Photo)
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By PTI

Published : Jul 12, 2024, 10:32 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी में रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में एलजी वीके सक्सेना की भूमिका पर अधिकारियों द्वारा लगातार लीपापोती करने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई. उन्होंने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को यह बताने का निर्देश दिया कि क्या पेड़ों को काटने का आदेश एलजी के आदेश के आधार पर पारित किया गया था या एजेंसी ने स्वतंत्र रूप से यह निर्णय लिया?

दरअसल, अदालत सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए रिज जंगल में 1,100 पेड़ों की कटाई पर डीडीए के उपाध्यक्ष के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना ​​की कार्यवाही पर सुनवाई कर रही थी. जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि पहले दिन ही सूचित किया जाना चाहिए था कि एलजी पहले ने पेड़ काटने के निर्देश जारी कर दिए थे. पीठ ने कहा कि हमें परेशानी इस बात की है कि हर किसी ने गलती की है. पहले दिन सभी को कोर्ट में आकर कहना चाहिए था कि हमसे गलती हुई है. लेकिन लीपापोती चलती रही. चार-पांच आदेशों के बाद डीडीए अधिकारी के हलफनामे से सच्चाई सामने आ जाती है. उपराज्यपाल समेत सभी ने गलती की है और यह स्थिति खेदजनक है.

अदालत ने कहा कि उन्हें इस मामले में एलजी की भूमिका के बारे में तब एहसास हुआ, जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी खुद पेश हुए और कहा, ''यह पर्याप्त संकेत था.'' शीर्ष अदालत ने कहा कि रिज क्षेत्र में पेड़ों को काटने में दिल्ली सरकार भी समान रूप से दोषी है और उसे अवैध रूप से 422 पेड़ों को काटने की अनुमति देने का दोष लेना चाहिए. कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से एक तंत्र बनाने को कहा कि वह पेड़ों की इस अवैध कटाई की भरपाई कैसे करेगी. डीडीए के उपाध्यक्ष द्वारा दायर दो हलफनामों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमें लगता है कि 3 फरवरी, 2024 को एलजी की साइट की यात्रा के दौरान वास्तव में क्या हुआ, इसे रिकॉर्ड पर लाने के लिए सभी संबंधित पक्षों की ओर से अनिच्छा जताई गई, जब पेड़ काटने का मौखिक आदेश दिया गया था.

सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उस वक्त राज्य सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, लेकिन उनमें से किसी ने भी रिज क्षेत्र में पेड़ काटने के लिए अदालत की अनुमति लेने और अन्य क्षेत्रों में पेड़ काटने के लिए वृक्ष अधिकारी की अनुमति लेने की आवश्यकता के बारे में नहीं बताया. इसलिए ठेकेदार को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है कि किसके निर्देश पर पेड़ों की कटाई की गई.

यह भी पढ़ें- DDA ने अमीरों के फॉर्म हाउस को बचाने के लिए बिना परमिशन काट दिए पेड़, मंत्री सौरभ भारद्वाज का बड़ा आरोप

शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया, जिसमें बताया गया कि लकड़ियों को जब्त करने का आदेश किसके आधार पर पारित किया गया है और ठेकेदार से काटे गए पेड़ों का स्थान बताने को भी कहा गया. अधिकारियों को निरंतर निगरानी रखने की योजना के साथ आना चाहिए ताकि अवैध पेड़ों की कटाई की घटनाओं को तुरंत ध्यान में लाया जा सके. इससे पहले अदालत ने सड़क बनाने के लिए दक्षिणी रिज के सतबारी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए डीडीए उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​​​का नोटिस जारी किया था. उधर दिल्ली सरकार ने कहा है कि वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण को किसी भी पेड़ को काटने की अनुमति नहीं दी गई.

यह भी पढ़ें- रिज एरिया में 1100 पेड़ काटने के मामले में AAP ने बीजेपी को घेरा, LG पर लगाए गंभीर, चार सवालों का मांगा जवाब

नई दिल्ली: राजधानी में रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में एलजी वीके सक्सेना की भूमिका पर अधिकारियों द्वारा लगातार लीपापोती करने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई. उन्होंने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को यह बताने का निर्देश दिया कि क्या पेड़ों को काटने का आदेश एलजी के आदेश के आधार पर पारित किया गया था या एजेंसी ने स्वतंत्र रूप से यह निर्णय लिया?

दरअसल, अदालत सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए रिज जंगल में 1,100 पेड़ों की कटाई पर डीडीए के उपाध्यक्ष के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना ​​की कार्यवाही पर सुनवाई कर रही थी. जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि पहले दिन ही सूचित किया जाना चाहिए था कि एलजी पहले ने पेड़ काटने के निर्देश जारी कर दिए थे. पीठ ने कहा कि हमें परेशानी इस बात की है कि हर किसी ने गलती की है. पहले दिन सभी को कोर्ट में आकर कहना चाहिए था कि हमसे गलती हुई है. लेकिन लीपापोती चलती रही. चार-पांच आदेशों के बाद डीडीए अधिकारी के हलफनामे से सच्चाई सामने आ जाती है. उपराज्यपाल समेत सभी ने गलती की है और यह स्थिति खेदजनक है.

अदालत ने कहा कि उन्हें इस मामले में एलजी की भूमिका के बारे में तब एहसास हुआ, जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी खुद पेश हुए और कहा, ''यह पर्याप्त संकेत था.'' शीर्ष अदालत ने कहा कि रिज क्षेत्र में पेड़ों को काटने में दिल्ली सरकार भी समान रूप से दोषी है और उसे अवैध रूप से 422 पेड़ों को काटने की अनुमति देने का दोष लेना चाहिए. कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से एक तंत्र बनाने को कहा कि वह पेड़ों की इस अवैध कटाई की भरपाई कैसे करेगी. डीडीए के उपाध्यक्ष द्वारा दायर दो हलफनामों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमें लगता है कि 3 फरवरी, 2024 को एलजी की साइट की यात्रा के दौरान वास्तव में क्या हुआ, इसे रिकॉर्ड पर लाने के लिए सभी संबंधित पक्षों की ओर से अनिच्छा जताई गई, जब पेड़ काटने का मौखिक आदेश दिया गया था.

सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उस वक्त राज्य सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, लेकिन उनमें से किसी ने भी रिज क्षेत्र में पेड़ काटने के लिए अदालत की अनुमति लेने और अन्य क्षेत्रों में पेड़ काटने के लिए वृक्ष अधिकारी की अनुमति लेने की आवश्यकता के बारे में नहीं बताया. इसलिए ठेकेदार को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है कि किसके निर्देश पर पेड़ों की कटाई की गई.

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शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया, जिसमें बताया गया कि लकड़ियों को जब्त करने का आदेश किसके आधार पर पारित किया गया है और ठेकेदार से काटे गए पेड़ों का स्थान बताने को भी कहा गया. अधिकारियों को निरंतर निगरानी रखने की योजना के साथ आना चाहिए ताकि अवैध पेड़ों की कटाई की घटनाओं को तुरंत ध्यान में लाया जा सके. इससे पहले अदालत ने सड़क बनाने के लिए दक्षिणी रिज के सतबारी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए डीडीए उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​​​का नोटिस जारी किया था. उधर दिल्ली सरकार ने कहा है कि वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण को किसी भी पेड़ को काटने की अनुमति नहीं दी गई.

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