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आगरा में एकजुट हुए 26 प्रांतों के जूता कोराबारी ; व्यापारियों ने रद्द कराए 1085 पंजीकरण, GST दर 12 से 5 प्रतिशत करने की मांग - Shoe Industry Of Agra - SHOE INDUSTRY OF AGRA

सोमवार को (2 सितंबर) को द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन, (Shoe Industry Of Agra) अखिल भारतीय संयुक्त जूता संघ, सोल, कम्पोनेंट व फोम एसोसिएशन की ओर से महासभा हुई. इसमें GST की दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग की गई.

आगरा में एकजुट हुए 26 प्रांतों के जूता कोराबारी
आगरा में एकजुट हुए 26 प्रांतों के जूता कोराबारी (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 2, 2024, 5:50 PM IST

जानकारी देते द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा (Video credit: ETV Bharat)

आगरा : केंद्र सरकार ने जूते के कारोबार पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत लागू कर दिया. जिससे देश में जूते के कारोबार से मिलने वाला राजस्व बढ़ने के बजाय कम हुआ है. हालात ऐसे हैं कि, 6401 से 6405 तक की पांचों क्लासीफिकेशन में 1085 व्यापारियों ने अपना पंजीकरण रद कर दिया है. शूज कारोबारी दोबारा से 5 प्रतिशत जीएसटी करने की मांग कर रहे हैं. आगरा में सोमवार को शूज कारोबारी एकजुट हुए. द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन, अखिल भारतीय संयुक्त जूता संघ, सोल, कम्पोनेंट व फोम एसोसिएशन की ओर से महासभा हुई. जिसमें आगरा समेत 26 प्रांतों के हजारों जूता व्यापारी जुटे. सभी ने एक मंच पर आकर सरकार से अपनी पीड़ा व्यक्त की है.

द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा का कहना है कि, सोमवार को शूज कारोबार से जुडे़ लोग एकजुट हुए हैं. हमारी एक ही मांग है कि सरकार दोबारा से जूते के कारोबार पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करे. हमारे साथ धोखा हुआ है. सरकार ने जूते पर जीएसटी लगाते वक्त आश्वासन दिया था कि जो जीएसटी कपड़े पर लगेगी वही जूते के कारोबार पर लगाई जाएगी. भारत में घरेलू जूते की लगभग 65 प्रतिशत आपूर्ति आगरा करता था जो अब घटकर 50 प्रतिशत से भी कम हो गई है. गरीबों के पैर से सस्ता जूता और जूता कारीगरों से रोजगार छिन रहा है. कोई गरीब ब्रांडेड जूता नहीं पहनता है. जूता बुनाई संघ की महिलाएं घर-घर चौका बर्तन कर रही हैं. युवाओं का पलायन हो रहा है. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक चैन से नहीं बैठेंगे.

कार्यक्रम संयोजक अनिल महाजन ने कहा कि, जूता उद्योग पर जीएसटी 12 प्रतिशत करके हमारे व्यापार पर चोट पहुंची है. इन सभी बाधा को हम एकजुट होकर पार करेंगे. कानपुर एसोसिएशन के गुरमीत सिंह ने कहा कि, सरकार को हमारा सहयोग करना चाहिए. अन्यथा समस्याएं और बढ़ती जाएंगी. 10 व्यापारी एक हजार के बराबर हैं. आगरा में कच्चे का काम है कि बात कहकर बड़ी कम्पनियां आगरा के जूता उद्योग को बदनाम कर रही हैं.


नेशनल चैम्बर के अध्यक्ष अतुल गुप्ता ने कहा कि, उद्यमियों की ओर से सहयोग करने का आश्वासन दिया. इसके साथ ही दिल्ली एसोसिएशन के अंकित अरोड़ा ने कहा कि 12 प्रतिशत जीएसटी के जरिए सरकार हमें दबाने का प्रयास कर रही है. मदुरई से जय कुमार ने जीएसटी कम करने की मांग रखी. धर्मेन्द्र सोनी ने छोटी हो बड़ी, सभी ईकाइयों को इस आंदोलन में एक साथ मंच पर आने का आह्वान किया था. जयपुर एसोसिएशन के राजकुमार आसवानी ने कहा कि हमारी मांग न मानी तो आंदोलन सड़कों पर होगा. सुनील रूपानी व मन्नू रस्तोगी ने कहा कि पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी, फिर कोराना और अब 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत जीएसटी से लगातार जूता उद्योग में गिरावट आ रही है.


हाथों में तख्तियां लेकर पहुंचे कारीगर : शूज पर 12 प्रतिशत जीएसटी के विरोध में लिखी तख्तियां लेकर जूता कारीगर महासभा में पहुंचे. सभी कारीगर व व्यापारी जूता मंडी पर एकत्र हुए और पंचकुईंया से पैदल मार्च किया. इसकी वजह से आगरा के सभी जूता प्रतिष्ठान व फैक्ट्रियां बंद रहीं. महासभा में दिल्ली शू एसोसिएशन, लातूर शू एसोसिएशन, कानपुर शू एसोसिएशन, लखनऊ शू एसोसिएशन, जयपुर शू एसोसिएशन, भोपाल शू एसोसिएशन, महाराष्ट्र शू एसोसिएशन, गुजरात, पंजाब, उप्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, आगरा, हरियाणा, आंध्रप्रदेश शू एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भाग लिया. सभी पदाधिकारियों ने अपने समर्थन पत्र फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा को सौंपे. महासभा में महासभा में द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन, सोल एसोसिएशन, कुटीर उद्योग, ट्रेडर्स, नेशनल चैम्बर, सभी दस्तकार, जाटव महापंचायतों से सभी पदाधिकारी मिले.


फिल्म थिएटर क्रिएशन की ओर से 'रहम करो, रहम करो' नाटक का मंचन किया गया. नाटक में 12 प्रतिशत जीएसटी बढ़ने के बाद कारीगरों की पीड़ा की झलक दिखी. कारीगरों के बच्चों की पढ़ाई और दवाई के लिए भी मोहताज बना दिया है. 12 प्रतिशत जीएसटी के बाद गरीब को जो जूता 200 रुपए में मिल जाता था, अब 300 रुपए में मिल रहा है.


यह भी पढ़ें : GST और BIS के विरोध में सड़क पर उतरे शूज कारोबारी, पीएम से मिलने के लिए दिल्ली पैदल मार्च का ऐलान

यह भी पढ़ें : इंटरनेशनल शूज फेयर का समापन, भारत के शूज कारोबार को लगेगा 20 हजार करोड़ का बूस्टर

जानकारी देते द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा (Video credit: ETV Bharat)

आगरा : केंद्र सरकार ने जूते के कारोबार पर जीएसटी 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत लागू कर दिया. जिससे देश में जूते के कारोबार से मिलने वाला राजस्व बढ़ने के बजाय कम हुआ है. हालात ऐसे हैं कि, 6401 से 6405 तक की पांचों क्लासीफिकेशन में 1085 व्यापारियों ने अपना पंजीकरण रद कर दिया है. शूज कारोबारी दोबारा से 5 प्रतिशत जीएसटी करने की मांग कर रहे हैं. आगरा में सोमवार को शूज कारोबारी एकजुट हुए. द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन, अखिल भारतीय संयुक्त जूता संघ, सोल, कम्पोनेंट व फोम एसोसिएशन की ओर से महासभा हुई. जिसमें आगरा समेत 26 प्रांतों के हजारों जूता व्यापारी जुटे. सभी ने एक मंच पर आकर सरकार से अपनी पीड़ा व्यक्त की है.

द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा का कहना है कि, सोमवार को शूज कारोबार से जुडे़ लोग एकजुट हुए हैं. हमारी एक ही मांग है कि सरकार दोबारा से जूते के कारोबार पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करे. हमारे साथ धोखा हुआ है. सरकार ने जूते पर जीएसटी लगाते वक्त आश्वासन दिया था कि जो जीएसटी कपड़े पर लगेगी वही जूते के कारोबार पर लगाई जाएगी. भारत में घरेलू जूते की लगभग 65 प्रतिशत आपूर्ति आगरा करता था जो अब घटकर 50 प्रतिशत से भी कम हो गई है. गरीबों के पैर से सस्ता जूता और जूता कारीगरों से रोजगार छिन रहा है. कोई गरीब ब्रांडेड जूता नहीं पहनता है. जूता बुनाई संघ की महिलाएं घर-घर चौका बर्तन कर रही हैं. युवाओं का पलायन हो रहा है. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक चैन से नहीं बैठेंगे.

कार्यक्रम संयोजक अनिल महाजन ने कहा कि, जूता उद्योग पर जीएसटी 12 प्रतिशत करके हमारे व्यापार पर चोट पहुंची है. इन सभी बाधा को हम एकजुट होकर पार करेंगे. कानपुर एसोसिएशन के गुरमीत सिंह ने कहा कि, सरकार को हमारा सहयोग करना चाहिए. अन्यथा समस्याएं और बढ़ती जाएंगी. 10 व्यापारी एक हजार के बराबर हैं. आगरा में कच्चे का काम है कि बात कहकर बड़ी कम्पनियां आगरा के जूता उद्योग को बदनाम कर रही हैं.


नेशनल चैम्बर के अध्यक्ष अतुल गुप्ता ने कहा कि, उद्यमियों की ओर से सहयोग करने का आश्वासन दिया. इसके साथ ही दिल्ली एसोसिएशन के अंकित अरोड़ा ने कहा कि 12 प्रतिशत जीएसटी के जरिए सरकार हमें दबाने का प्रयास कर रही है. मदुरई से जय कुमार ने जीएसटी कम करने की मांग रखी. धर्मेन्द्र सोनी ने छोटी हो बड़ी, सभी ईकाइयों को इस आंदोलन में एक साथ मंच पर आने का आह्वान किया था. जयपुर एसोसिएशन के राजकुमार आसवानी ने कहा कि हमारी मांग न मानी तो आंदोलन सड़कों पर होगा. सुनील रूपानी व मन्नू रस्तोगी ने कहा कि पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी, फिर कोराना और अब 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत जीएसटी से लगातार जूता उद्योग में गिरावट आ रही है.


हाथों में तख्तियां लेकर पहुंचे कारीगर : शूज पर 12 प्रतिशत जीएसटी के विरोध में लिखी तख्तियां लेकर जूता कारीगर महासभा में पहुंचे. सभी कारीगर व व्यापारी जूता मंडी पर एकत्र हुए और पंचकुईंया से पैदल मार्च किया. इसकी वजह से आगरा के सभी जूता प्रतिष्ठान व फैक्ट्रियां बंद रहीं. महासभा में दिल्ली शू एसोसिएशन, लातूर शू एसोसिएशन, कानपुर शू एसोसिएशन, लखनऊ शू एसोसिएशन, जयपुर शू एसोसिएशन, भोपाल शू एसोसिएशन, महाराष्ट्र शू एसोसिएशन, गुजरात, पंजाब, उप्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, आगरा, हरियाणा, आंध्रप्रदेश शू एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने भाग लिया. सभी पदाधिकारियों ने अपने समर्थन पत्र फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा को सौंपे. महासभा में महासभा में द आगरा शू फैक्टर्स फेडरेशन, सोल एसोसिएशन, कुटीर उद्योग, ट्रेडर्स, नेशनल चैम्बर, सभी दस्तकार, जाटव महापंचायतों से सभी पदाधिकारी मिले.


फिल्म थिएटर क्रिएशन की ओर से 'रहम करो, रहम करो' नाटक का मंचन किया गया. नाटक में 12 प्रतिशत जीएसटी बढ़ने के बाद कारीगरों की पीड़ा की झलक दिखी. कारीगरों के बच्चों की पढ़ाई और दवाई के लिए भी मोहताज बना दिया है. 12 प्रतिशत जीएसटी के बाद गरीब को जो जूता 200 रुपए में मिल जाता था, अब 300 रुपए में मिल रहा है.


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