भोपाल: मध्य प्रदेश की बुधनी सीट पर क्या शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान ने सियासी कुर्बानी दी है. केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पद पर रहने से कार्तिकेय की मजबूत दावेदारी भी कमजोर पड़ गई. हालांकि अपने पिता शिवराज सिंह चौहान की तरह कार्तिकेय सिंह चौहान पार्टी का फैसला सिर माथे मानकर चुनाव प्रचार में जुट गए हैं, लेकिन बुधनी में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए जो कहा क्या उसमें उनकी पीड़ा भी छिपी थी. आखिरी वक्त पर कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम बुधनी विधानसभा की सूची से कट जाने के पीछे की क्या यही वजह है.
कार्तिकेय ने जो कहा-वो पीड़ा थी या कुछ और
केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की तैयार की गई सियासी पिच पर उनके अपने बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान नहीं उतर पाए. हालांकि दावेदारों में कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम सबसे मजबूत था. शिवराज के करीबी कहे जाने वाले पूर्व मंत्री रामपाल सिंह ने तो यहां तक कहा था कि कार्तिकेय सिंह चौहान का अकेला ऐसा नाम है, जिस पर पूरी बुधनी सीट पर हर नेता की सहमति है. हालांकि बुधनी उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रमाकांत भार्गव के समर्थन में जनसभा लेने पहुंचे कार्तिकेय सिंह चौहान ने बुधनी की जनता से मन की बात साफ साफ कह दी.
कार्तिकेय ने कहा कि मैं खुद एक पॉलीटिकल फैमिली से हूं. लंबे समय से आपके ही बीच में हूं. उन्होंने कहा कि मैं ये जानता हूं कि चूंकि मेरे पिता पद पर हैं, लिहाजा ये शोभा नहीं देता कि मैं चुनाव लड़ूं. कार्तिकेय ने खुद कहा कि मुझे टिकट मिलना इस लिहाज से उचित नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि टिकट के लिए वे बीजेपी में काम भी नहीं करते.
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बुधनी में सबसे मजबूत दावेदार थे कार्तिकेय सिंह चौहान
बुधनी विधानसभा सीट पर कार्तिकेय सिंह चौहान की तैयारी लंबे समय से चल रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में उनके पिता शिवराज सिंह चौहान को नामांकन भरने के अलावा क्षेत्र में जाने की जरुरत ही नहीं पड़ी. पूरा चुनाव कार्तिकेय सिंह चौहान ने अपनी मां साधना सिंह चौहान के साथ प्रचार करके जिता कर निकाला. लिहाजा उनके लिए ये मजबूत सीट थी. बुधनी में उनके नाम पर बाकी बीजेपी के दावेदारों में सहमति भी. अब कार्तिकेय सिंह चौहान वैसा ही जोर बीजेपी उम्मीदवार रमाकांत भार्गव के लिए लगा रहे हैं. रमाकांत भार्गव भी शिवराज के बेहद करीबी हैं. उनका फिलहाल क्षेत्र में विरोध भी बहुत है.