भोपाल। शिवराज सिंह चौहान के उस बयान के सच होने का वक्त आ गया है क्या. याद कीजिए एमपी में विधानसभा चुनाव के पहले दिया गया शिवराज का वो बयान, जिसमें उन्होंने अपनी तुलना फीनिक्स पक्षी से की थी और कहा था कि मैं फीनिक्स की तरह राख से फिर उठ खड़ा हो जाऊंगा. 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद से हाशिए पर चल रहे शिवराज का विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ना, क्यों उनकी राजनीति में एक नई ताजा तरीन पारी की शुरुआत कहा जा सकता है. क्या आम चुनाव के नतीजे एमपी में किसी बड़े बदलाव का इशारा लिए आएंगे और क्या शिवराज वाकई इन नतीजों के बाद फीनिक्स की तरह फिर खड़े हुए दिखाई देंगे. शिवराज के बदले अंदाज और बयान किस तरफ इशारा कर रहे हैं.
क्यों बदले शिवराज के अंदाज और बयान
बीते तीन महीने में शिवराज के तेवर तीसरी बार बदले हुए दिखाई दे रहे हैं. चुनाव के नतीजे आने तक आत्मविश्वास से भरे हुए शिवराज को जब ये कहते भी सुना गया कि कई बार राजतिलक होते-होते भी वनवास हो जाता है. नतीजे आने के एन बाद शिवराज का बयान कि दिल्ली मांगने तो नहीं जाऊंगा और फिर लगातार उनका हाशिए पर होते जाना. अब देखिए तो शिवराज के बयान बदल गए हैं. खुद को दरकिनार दिखाने के बयानों से आगे आत्मविश्वास से भरे शिवराज प्रदेश की राजनीति से उठकर राष्ट्रीय राजनीति में कदम बढ़ाते दिखाई दे रहे हैं. उनके बयानों में अब हमले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर हैं.
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं 'यूं देखिए तो एमपी में जितनी लंबी पारी शिवराज सिंह चौहान की रही है, उससे यूं भी उनकी इमेज एक राष्ट्रीय स्तर के नेता की तो पहले ही है, लेकिन अब उन्होंने अपना दायरा बढ़ा लिया है. भटनागर कहते हैं शिवराज की खासियत है उनका जुझारु अंदाज और हर हाल में पार्टी लाईन के भीतर रहना. शिवराज की बीजेपी में अब तक की पारी पार्टी नेतृत्व के यस मैन की तरह रही है. जहां जो जिम्मेदारी दी गई, उन्होंने बखूबी निभाई है. यही बात उन्हें अब राष्ट्रीय राजनीति में एक मजबूत चेहरे की तरह ले जाएगी.
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तो क्या फीनिक्स का रिटर्न होगा
सियासी गलियारों में अब भी ये अटकलें हैं, क्या लोकसभा चुनाव बाद एमपी में फेरबदल हो सकता है. लोकसभा बाद शिवराज किस भूमिका में होंगे. इसे लेकर भी कयास हैं. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं, शिवराज सिंह की काबिलियत यही है कि किसी मैदान में हों वो जमीन से खड़े दोबारा तिबारा खड़े होना जानते हैं. विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव को शिवराज के लिए यू टर्न की तरह ना देखा जाए. मुमकिन है कि शिवराज विदिशा लोकसभा एक नई राजनीतिक पारी की प्रस्तावना लिख रहे हों.