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सपा पर भारी न पड़ जाए मैनपुरी से शिवपाल की दूरी, भाजपा बढ़ा रही टेंशन - lok sabha election 2024

मैनपुरी लोकसभा सीट से उपचुनाव की तरह इस बार शिवपाल यादव सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. शिवपाल का पूरा ध्यान बदायूं सीट पर अपने पुत्र आदित्य यादव के चुनाव पर है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 28, 2024, 3:20 PM IST

लखनऊ: मैनपुरी लोकसभा सीट से उपचुनाव की तरह इस बार शिवपाल यादव सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. शिवपाल का पूरा ध्यान बदायूं सीट पर अपने पुत्र आदित्य यादव के चुनाव पर है. ऐसे में मैनपुरी समाजवादी पार्टी के लिए आशंकित करने वाली हो गई है. हाल ही में मुख्यमंत्री ने यहां बड़ी जनसभा की थी. इसके बाद समाजवादी खेमे में चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आ रही हैं.

जसवंत विधानसभा सीट पर शिवपाल का बहुत अधिक प्रभाव है. वह इस क्षेत्र से साल 2022 में विधायक चुने गए थे. मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद हुए उप चुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने चुनाव प्रबंधन का पूरा मोर्चा संभाल लिया था. जिसकी वजह से डिंपल यादव को तीन लाख से अधिक वोटों से जीत प्राप्त हुई थी. 2022 में हुए उप चुनाव में डिंपल यादव को 618120 वोट प्राप्त हुए थे. डिपंल को कुल पड़े मतों के 64.08 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि बीजेपी में रघुराज सिंह शाक्य ने 329659 को मिले थे. उनको 34.18 प्रतिशत वोट मिले थे. डिपंल की जीत करीब तीन लाख वोटों के अंतर से हुई थी.

मैनपुरी में माना जाता है कि डिंपल की उप चुनाव की जीत के पीछे बहुत बड़ी वजह मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद पैदा हुई सहानभूति भी थी. इस धारणा को बल मिलता है 2019 के चुनाव परिणाम से. तब खुद मुलायम सिंह यादव मैदान में थे. वे बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को केवल 84 हजार वोट से हरा पाए थे. मुलायम सिंह को करीब 54 प्रतिशत और बीजेपी के शाक्य को लगभग 44 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव का अंतर कम होने के पीछे सबसे बड़ी वजह शिवपाल सिंह यादव की नाराजगी बताई गई थी. शिवपाल यादव उस समय प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना चुके थे. खुद को मुलायम सिंह यादव के प्रचार से दूर कर चुके थे. इसलिए मुलायम सिंह यादव अपेक्षाकृत नजदीकी अंतर से हारे थे.

हाल ही में ईटीवी संवाददाता ने मैनपुरी का दौरा किया तो खास अखिलेश यादव के विधानसभा क्षेत्र करहल में माहौल उतना अनुकूल नजर नहीं आया. छतों पर झंडों का अभाव दिखा. सपा के झंडों से अधिक राम पताकाएं लहराती हुईं नजर आईं. मैनपुरी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के प्रत्याशी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दावा किया कि अखिलेश के कई खास रिश्तेदारों सहित कई बड़े समाजवादी हमारे साथ हैं. बताया कि धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हमारे साथ हैं. जिसका स्पष्ट असर चुनाव पर नजर आ रहा है.

दूसरी ओर जसवंत नगर में हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभा खासी सफल बताई गई. भाजपा अब कन्नौज और मैनपुरी की सीमा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बड़ी रैली कराने की तैयारी कर रही है. शिवपाल यादव जसवंत नगर में सबसे बड़े क्षत्रप हैं. मगर वे नदारद हैं. उनके बेटे आदित्य यादव का पहला चुनाव है, शिवपाल और उनकी टीम बदायूं में व्यस्त है. अखिलेश यादव कन्नौज के चुनाव में व्यस्त हो चुके हैं और डिपंल बेटी अंजली के साथ मैनपुरी को संभाल रही हैं.

मैनपुरी सीट को लेकर सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का कहना है कि समाजवादियों ने मैनपुरी में जितना अधिक विकास करवाया है, उतना किसी ने भी नहीं करवाया. यहां की जनता हमेशा समाजवादी पार्टी के साथ थी, है और रहेगी. दूसरी ओर, बीजेपी के राकेश त्रिपाठी का कहना है कि जनता का स्पष्ट है संदेश, हारी थीं डिपंल यादव, हारेंगी फिर से.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव 2024: मैनपुरी संसदीय सीट पर 28 साल से कायम है समाजवादी पार्टी, भाजपा के लिए चुनौती - Lok Sabha Elections 2024

यह भी पढ़ें : दूसरे चरण की वोटिंग के बाद डॉ. संजय निषाद का दावा, NDA जीतेगा 450 सीटें, मैनपुरी और कन्नौज की सीट भी आएगी खाते में - Lok Sabha Election 2024

लखनऊ: मैनपुरी लोकसभा सीट से उपचुनाव की तरह इस बार शिवपाल यादव सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. शिवपाल का पूरा ध्यान बदायूं सीट पर अपने पुत्र आदित्य यादव के चुनाव पर है. ऐसे में मैनपुरी समाजवादी पार्टी के लिए आशंकित करने वाली हो गई है. हाल ही में मुख्यमंत्री ने यहां बड़ी जनसभा की थी. इसके बाद समाजवादी खेमे में चिंता की लकीरें स्पष्ट नजर आ रही हैं.

जसवंत विधानसभा सीट पर शिवपाल का बहुत अधिक प्रभाव है. वह इस क्षेत्र से साल 2022 में विधायक चुने गए थे. मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद हुए उप चुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने चुनाव प्रबंधन का पूरा मोर्चा संभाल लिया था. जिसकी वजह से डिंपल यादव को तीन लाख से अधिक वोटों से जीत प्राप्त हुई थी. 2022 में हुए उप चुनाव में डिंपल यादव को 618120 वोट प्राप्त हुए थे. डिपंल को कुल पड़े मतों के 64.08 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि बीजेपी में रघुराज सिंह शाक्य ने 329659 को मिले थे. उनको 34.18 प्रतिशत वोट मिले थे. डिपंल की जीत करीब तीन लाख वोटों के अंतर से हुई थी.

मैनपुरी में माना जाता है कि डिंपल की उप चुनाव की जीत के पीछे बहुत बड़ी वजह मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद पैदा हुई सहानभूति भी थी. इस धारणा को बल मिलता है 2019 के चुनाव परिणाम से. तब खुद मुलायम सिंह यादव मैदान में थे. वे बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को केवल 84 हजार वोट से हरा पाए थे. मुलायम सिंह को करीब 54 प्रतिशत और बीजेपी के शाक्य को लगभग 44 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव का अंतर कम होने के पीछे सबसे बड़ी वजह शिवपाल सिंह यादव की नाराजगी बताई गई थी. शिवपाल यादव उस समय प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना चुके थे. खुद को मुलायम सिंह यादव के प्रचार से दूर कर चुके थे. इसलिए मुलायम सिंह यादव अपेक्षाकृत नजदीकी अंतर से हारे थे.

हाल ही में ईटीवी संवाददाता ने मैनपुरी का दौरा किया तो खास अखिलेश यादव के विधानसभा क्षेत्र करहल में माहौल उतना अनुकूल नजर नहीं आया. छतों पर झंडों का अभाव दिखा. सपा के झंडों से अधिक राम पताकाएं लहराती हुईं नजर आईं. मैनपुरी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के प्रत्याशी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दावा किया कि अखिलेश के कई खास रिश्तेदारों सहित कई बड़े समाजवादी हमारे साथ हैं. बताया कि धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हमारे साथ हैं. जिसका स्पष्ट असर चुनाव पर नजर आ रहा है.

दूसरी ओर जसवंत नगर में हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसभा खासी सफल बताई गई. भाजपा अब कन्नौज और मैनपुरी की सीमा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बड़ी रैली कराने की तैयारी कर रही है. शिवपाल यादव जसवंत नगर में सबसे बड़े क्षत्रप हैं. मगर वे नदारद हैं. उनके बेटे आदित्य यादव का पहला चुनाव है, शिवपाल और उनकी टीम बदायूं में व्यस्त है. अखिलेश यादव कन्नौज के चुनाव में व्यस्त हो चुके हैं और डिपंल बेटी अंजली के साथ मैनपुरी को संभाल रही हैं.

मैनपुरी सीट को लेकर सपा के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का कहना है कि समाजवादियों ने मैनपुरी में जितना अधिक विकास करवाया है, उतना किसी ने भी नहीं करवाया. यहां की जनता हमेशा समाजवादी पार्टी के साथ थी, है और रहेगी. दूसरी ओर, बीजेपी के राकेश त्रिपाठी का कहना है कि जनता का स्पष्ट है संदेश, हारी थीं डिपंल यादव, हारेंगी फिर से.

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