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समेज में परिजनों ने छोड़ी जिंदगी की उम्मीद, बोले- "अब देह ही मिल जाए तो अंतिम संस्कार कर दें" - Samej Flood Disaster

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 5:12 PM IST

Updated : Aug 7, 2024, 6:49 PM IST

Samej Victims on Missing People after Flood: रामपुर के समेज में त्रासदी को आए 6 दिन बीत गए हैं. 7वें दिन भी यहां पर रेस्क्यू एंड सर्च ऑपरेशन जारी है. 36 लापता लोगों में से 3 के शव सुन्नी डैम से बरामद किए गए हैं. वहीं, अब लापता लोगों के परिजनों ने भी उनके अपनों के लौटने की उम्मीद भी छोड़ दी है.

Samej Flood Disaster
समेज आपदा (ETV Bharat)

रामपुर: हिमाचल प्रदेश में रामपुर के समेज गांव में 31 जुलाई की रात को आई त्रासदी ने पूरे गांव का नामोनिशान मिटा दिया है. एक हफ्ते बाद भी राहत और बचाव कार्य चल रहा है. 36 लोगों में कुछ लाशें मिल चुकी हैं लेकिन अब हर बीतते पल के साथ अपनों को मिलने की उम्मीद धुंधली होती जा रही है. चंद दिन पहले तक जहां एक खुशहाल गांव था वहां अब हर तरफ मलबा ही मलबा है. जिन लोगों ने इस त्रासदी में अपनों को खो दिया वो रोजाना यहां पहुंचते हैं. उम्मीद भरी निगाहों के साथ राहत बचाव कार्य को देखते हैं लेकिन खाल हाथ लौटते हैं. परिवारवाले अब अपनों के मिलने की उम्मीद खो चुके हैं लेकिन आस सिर्फ इतनी है कि अगर शव भी मिल जाए तो विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार कर सकें.

समेज में परिजनों ने छोड़ी अपनों के वापस आने की आस (ETV Bharat)

"जिंदगी की उम्मीद नहीं"

प्रभात नेगी 1 अगस्त से रोज सुबह 6 बजे यहां पहुंचते हैं और ऑपरेशन चलने तक यहां रुककर खाली हाथ लौट जाते हैं. 31 जुलाई की रात को जो सैलाब आया वो उनकी मां को आशियाने के साथ ही बहा ले गया. हर रोज ढलते सूरज के साथ उनकी भी उम्मीद ढल रह है. प्रभात नेगी ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि "इस आपदा में हमने सब कुछ खो दिया है. समेज में सब उजड़ गया है, कुछ नहीं बचा है. उस दिन मेरी मां घर में अकेली थी और हम शहर गए हुए थे. रात में बाढ़ आई और पूरा घर बह गया. तबसे रोज सुबह 6 बजे आता हूं और शाम को 6 बजे तक यहां रुकता हूं. अब तो उम्मीद टूट गई है लेकिन सिर्फ ये उम्मीद करता हूं कि मां कि पार्थिव देह ही मिल जाए ताकि विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार कर पाएं"

प्रभात नेगी जैसे कई लोग हैं जिन्होंने इस आपदा में अपनों को खोया है. कुछ के पूरे परिवार तो कुछ की पीढ़ियां इस सैलाब की भेंट चढ़ गई हैं. गोपाल की पत्नी और बेटी लापता हैं वो भी रोज सुबह की उम्मीद का दामन पकड़कर आते हैं और समेज की हर शाम उन्हें नाउम्मीदी दे रही है. गोपाल कहते हैं कि "मेरी पत्नी और बेटी इस सैलाब में बह गए, मैंने सबकुछ खो दिया है. इंतजार अब मुश्किल है लेकिन उम्मीद और इंतजार के अलावा कुछ नहीं कर सकता"

बादल फटने के बाद सैलाब में बह गया समेज गांव
बादल फटने के बाद सैलाब में बह गया समेज गांव (ETV Bharat)

राहत और बचाव कार्य जारी

1 अगस्त से ही समेज में राहत और बचाव कार्य जारी है. एनडीआरएफ से लेकर एसडीआरएफ और सेना से लेकर पुलिस और होमगार्ड के जवान मलबे के ढेर में उम्मीद तलाश रहे हैं. मशीनों से लेकर स्निफर डॉग्स तक का इस्तेमाल हो रहा है. सरकार और प्रशासन की कोशिशों को लोग सराह रहे हैं गांव के प्रधान मोहन लाल कपाटिया के मुताबिक "प्रशासन अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन अभी तक शव नहीं मिल पा रहे हैं. सरकार की ओर से राहत राशि से लेकर राशन, सिलेंडर और अन्य जरूरी सामान मुहैया करवाया गया है. खाने और रहने की व्यवस्था की गई है. जिनके घर बह गए हैं उन्हें सरकार की ओर से किराया भी दिया जा रहा है."

प्रभात नेगी और गोपाल
प्रभात नेगी और गोपाल (ETV Bharat)

उस रात 36 लोगों के साथ एक गांव गुम गया

31 जुलाी की रात रामपुर में बादल फटने से समेज गांव के साथ लगते नाले में बाढ़ आ गई. जिसकी चपेट में पूरा गांव आ गया और 36 लोग बाढ़ में बहकर लापता हो गए. अब तक लापता लोगों में से 6 शव बरामद किए गए हैं, इनमें से 3 सुन्नी डैम से बरामद हुए. अब तक सिर्फ 3 शवों की पहचान हो पाई है, जो समेज में बादल फटने के बाद आए सैलाब में बह गए थे. वहीं तीन शवों की पहचान बाकी है. प्रशासन की ओर से परिजनों के डीएनए सैंपल लिये गए हैं क्योंकि करीब एक हफ्ते बाद जिंदगी की उम्मीद ना के बराबर है. शवों की शिनाख्त हो सकते इसके लिए डीएनए सैंपल लिए गए हैं. तीनों शव सुन्नी डैम में मिले हैं. समेज में अभी भी करीब 30 लोगों की तलाश जारी है, अब तक 3 शवों की पहचान नहीं हुई है. अगर वो समेज हादसे का शिकार नहीं हुए और कहीं अन्य जगह से बहकर आए हैं तो फिर 33 लोगों की तलाश बाकी है. प्रशासन द्वारा समेज में 1 अगस्त से लगातार युद्ध स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है, लेकिन मलबे में लोगों को ढूंढना रेस्क्यू टीम के लिए भी टेड़ी खीर साबित हो रहा है.

Samej Flood Disaster
समेज में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें: समेज से लापता 3 लोगों के सुन्नी डैम में मिले शव, DNA रिपोर्ट से हुई पहचान

ये भी पढ़ें: समेज गांव में बिना कुछ खाए-पीए पांच दिन खूंटे से बंधी रही गाय, 5 दिन बाद किया रेस्क्यू

ये भी पढ़ें: आपदा पीड़ितों का दर्द सुनकर कंगना रनौत की आंखों में आ गए आंसू, प्रभावितों को गले से लगाकर ढांढस बंधाया

रामपुर: हिमाचल प्रदेश में रामपुर के समेज गांव में 31 जुलाई की रात को आई त्रासदी ने पूरे गांव का नामोनिशान मिटा दिया है. एक हफ्ते बाद भी राहत और बचाव कार्य चल रहा है. 36 लोगों में कुछ लाशें मिल चुकी हैं लेकिन अब हर बीतते पल के साथ अपनों को मिलने की उम्मीद धुंधली होती जा रही है. चंद दिन पहले तक जहां एक खुशहाल गांव था वहां अब हर तरफ मलबा ही मलबा है. जिन लोगों ने इस त्रासदी में अपनों को खो दिया वो रोजाना यहां पहुंचते हैं. उम्मीद भरी निगाहों के साथ राहत बचाव कार्य को देखते हैं लेकिन खाल हाथ लौटते हैं. परिवारवाले अब अपनों के मिलने की उम्मीद खो चुके हैं लेकिन आस सिर्फ इतनी है कि अगर शव भी मिल जाए तो विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार कर सकें.

समेज में परिजनों ने छोड़ी अपनों के वापस आने की आस (ETV Bharat)

"जिंदगी की उम्मीद नहीं"

प्रभात नेगी 1 अगस्त से रोज सुबह 6 बजे यहां पहुंचते हैं और ऑपरेशन चलने तक यहां रुककर खाली हाथ लौट जाते हैं. 31 जुलाई की रात को जो सैलाब आया वो उनकी मां को आशियाने के साथ ही बहा ले गया. हर रोज ढलते सूरज के साथ उनकी भी उम्मीद ढल रह है. प्रभात नेगी ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि "इस आपदा में हमने सब कुछ खो दिया है. समेज में सब उजड़ गया है, कुछ नहीं बचा है. उस दिन मेरी मां घर में अकेली थी और हम शहर गए हुए थे. रात में बाढ़ आई और पूरा घर बह गया. तबसे रोज सुबह 6 बजे आता हूं और शाम को 6 बजे तक यहां रुकता हूं. अब तो उम्मीद टूट गई है लेकिन सिर्फ ये उम्मीद करता हूं कि मां कि पार्थिव देह ही मिल जाए ताकि विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार कर पाएं"

प्रभात नेगी जैसे कई लोग हैं जिन्होंने इस आपदा में अपनों को खोया है. कुछ के पूरे परिवार तो कुछ की पीढ़ियां इस सैलाब की भेंट चढ़ गई हैं. गोपाल की पत्नी और बेटी लापता हैं वो भी रोज सुबह की उम्मीद का दामन पकड़कर आते हैं और समेज की हर शाम उन्हें नाउम्मीदी दे रही है. गोपाल कहते हैं कि "मेरी पत्नी और बेटी इस सैलाब में बह गए, मैंने सबकुछ खो दिया है. इंतजार अब मुश्किल है लेकिन उम्मीद और इंतजार के अलावा कुछ नहीं कर सकता"

बादल फटने के बाद सैलाब में बह गया समेज गांव
बादल फटने के बाद सैलाब में बह गया समेज गांव (ETV Bharat)

राहत और बचाव कार्य जारी

1 अगस्त से ही समेज में राहत और बचाव कार्य जारी है. एनडीआरएफ से लेकर एसडीआरएफ और सेना से लेकर पुलिस और होमगार्ड के जवान मलबे के ढेर में उम्मीद तलाश रहे हैं. मशीनों से लेकर स्निफर डॉग्स तक का इस्तेमाल हो रहा है. सरकार और प्रशासन की कोशिशों को लोग सराह रहे हैं गांव के प्रधान मोहन लाल कपाटिया के मुताबिक "प्रशासन अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन अभी तक शव नहीं मिल पा रहे हैं. सरकार की ओर से राहत राशि से लेकर राशन, सिलेंडर और अन्य जरूरी सामान मुहैया करवाया गया है. खाने और रहने की व्यवस्था की गई है. जिनके घर बह गए हैं उन्हें सरकार की ओर से किराया भी दिया जा रहा है."

प्रभात नेगी और गोपाल
प्रभात नेगी और गोपाल (ETV Bharat)

उस रात 36 लोगों के साथ एक गांव गुम गया

31 जुलाी की रात रामपुर में बादल फटने से समेज गांव के साथ लगते नाले में बाढ़ आ गई. जिसकी चपेट में पूरा गांव आ गया और 36 लोग बाढ़ में बहकर लापता हो गए. अब तक लापता लोगों में से 6 शव बरामद किए गए हैं, इनमें से 3 सुन्नी डैम से बरामद हुए. अब तक सिर्फ 3 शवों की पहचान हो पाई है, जो समेज में बादल फटने के बाद आए सैलाब में बह गए थे. वहीं तीन शवों की पहचान बाकी है. प्रशासन की ओर से परिजनों के डीएनए सैंपल लिये गए हैं क्योंकि करीब एक हफ्ते बाद जिंदगी की उम्मीद ना के बराबर है. शवों की शिनाख्त हो सकते इसके लिए डीएनए सैंपल लिए गए हैं. तीनों शव सुन्नी डैम में मिले हैं. समेज में अभी भी करीब 30 लोगों की तलाश जारी है, अब तक 3 शवों की पहचान नहीं हुई है. अगर वो समेज हादसे का शिकार नहीं हुए और कहीं अन्य जगह से बहकर आए हैं तो फिर 33 लोगों की तलाश बाकी है. प्रशासन द्वारा समेज में 1 अगस्त से लगातार युद्ध स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है, लेकिन मलबे में लोगों को ढूंढना रेस्क्यू टीम के लिए भी टेड़ी खीर साबित हो रहा है.

Samej Flood Disaster
समेज में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी (ETV Bharat)

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Last Updated : Aug 7, 2024, 6:49 PM IST
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