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मस्जिद विवाद के बीच 'शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी' का सद्भावना मार्च, जनता से की शांति की अपील - Sadbhavna March in Shimla

Shimla for Peace and Harmony Sadbhavna March: शुक्रवार को 'शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी' ने सद्भावना मार्च निकाला. ये सद्भावना मार्च शिमला के डीसी ऑफिस से होता हुआ पहले नाज चौक पहुंचा. इसके बाद सद्भावना मार्च पर स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा तक ले जाया गया. यहां लोगों ने मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द की शपथ ली.

सद्भावना मार्च में शामिल लोग
सद्भावना मार्च में शामिल लोग (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 27, 2024, 4:11 PM IST

शिमला: राजधानी में शुक्रवार को 'शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी' ने सद्भावना मार्च निकाला. इस मार्च के जरिए शहर के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की गई. इसके साथ आपसी सद्भाव और भाईचारे का संदेश दिया गया. सद्भावना मार्च में शहर के लोगों के साथ रिटायर्ड जज और रिटायर्ड आईएएस भी शामिल हुए. इस मार्च में पूर्व आईएएस दीपक शानन, अजय शर्मा, IIAS के पूर्व निदेशक चेतन सिंह, शिमला के पूर्व मेयर संजय चौहान भी शामिल रहे.

ये सद्भावना मार्च शिमला के डीसी ऑफिस से होता हुआ पहले नाज चौक पहुंचा. इसके बाद सद्भावना मार्च पर स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा तक ले जाया गया. यहां लोगों ने मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द की शपथ ली.

शिमला में शांति बनाए रखने की अपील

शिमला नगर निगम के पूर्व मेयर संजय चौहान ने कहा कि 'शिमला शहर में हमेशा से ही शांति बनी रही है. कुछ लोगों के बीच आपसी लड़ाई हुई और फिर धीरे-धीरे इस पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया. उन्होंने सभी लोगों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें. नगर निगम शिमला का 175 साल पुराना इतिहास है और इसके इतने लंबे इतिहास में कभी इस तरह की घटना नहीं हुई. भविष्य में भी शिमला में आपसी सद्भाव बना रहे, इसके लिए सभी लोगों को आगे आने की जरूरत है.'

शिमला के रहने वाले मोहम्मद इस्लाम में भी सद्भावना मार्च में हिस्सा लिया. मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि, 'वो लगभग 35 सालों से यहां पर रह रहे हैं. शिमला में हमेशा से ही शांति का माहौल रहा है. अब भी शिमला में उन्हें किसी तरह का कोई डर महसूस नहीं होता. उन्होंने सभी लोगों से सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की है. बीते कुछ दिनों से बड़े तनाव के चलते सब कारोबार और पर्यटन कारोबार भी प्रभावित हुआ है. अगर मस्जिद का कोई हिस्सा अवैध है, तो कानून अपनी कार्रवाई कर सकता है. सभी कानून सम्मत कार्रवाई के पक्ष में हैं.'

देवभूमि संघर्ष समिति ने उठाए सवाल

वाम दलों के शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी के शांति व सद्भावना मार्च पर देवभूमि संघर्ष समिति ने सवाल उठाए हैं. संघर्ष समिति ने कहा है कि जब ऊना में नाबालिग प्रार्ची राणा का गला रेत कर उसकी हत्या की गई थी, तब ये सद्भावना कहां थी? साथ ही समिति ने मनोहर हत्याकांड, राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड व दलित स्कूली छात्र की चाकू मार कर हत्या कर देने वाले मामले को उठाकर पूछा है कि उस समय सद्भावना रैली क्यों नहीं की गई? वहीं, देवभूमि संघर्ष समिति भी शनिवार को प्रवासियों के पंजीकरण व अवैध मस्जिदों के निर्माण का मुद्दा उठाते हुए विरोध प्रदर्शन करेगी. उधर, संजौली की मस्जिद में शोएब जमई के आने और वीडियो बनाने के मामले के बाद उपजे तनाव के बीच शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा में मस्जिद में नमाज होगी. नमाज में प्रवेश आधार कार्ड देखकर दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: संजौली मस्जिद विवाद: वाम दल और सहयोगियों का सद्भावना मार्च आज, देवभूमि संघर्ष समिति का सवाल, प्राची राणा का गला रेता, तब कहां थी सद्भावना?

शिमला: राजधानी में शुक्रवार को 'शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी' ने सद्भावना मार्च निकाला. इस मार्च के जरिए शहर के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की गई. इसके साथ आपसी सद्भाव और भाईचारे का संदेश दिया गया. सद्भावना मार्च में शहर के लोगों के साथ रिटायर्ड जज और रिटायर्ड आईएएस भी शामिल हुए. इस मार्च में पूर्व आईएएस दीपक शानन, अजय शर्मा, IIAS के पूर्व निदेशक चेतन सिंह, शिमला के पूर्व मेयर संजय चौहान भी शामिल रहे.

ये सद्भावना मार्च शिमला के डीसी ऑफिस से होता हुआ पहले नाज चौक पहुंचा. इसके बाद सद्भावना मार्च पर स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा तक ले जाया गया. यहां लोगों ने मिलकर सांप्रदायिक सौहार्द की शपथ ली.

शिमला में शांति बनाए रखने की अपील

शिमला नगर निगम के पूर्व मेयर संजय चौहान ने कहा कि 'शिमला शहर में हमेशा से ही शांति बनी रही है. कुछ लोगों के बीच आपसी लड़ाई हुई और फिर धीरे-धीरे इस पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया. उन्होंने सभी लोगों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें. नगर निगम शिमला का 175 साल पुराना इतिहास है और इसके इतने लंबे इतिहास में कभी इस तरह की घटना नहीं हुई. भविष्य में भी शिमला में आपसी सद्भाव बना रहे, इसके लिए सभी लोगों को आगे आने की जरूरत है.'

शिमला के रहने वाले मोहम्मद इस्लाम में भी सद्भावना मार्च में हिस्सा लिया. मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि, 'वो लगभग 35 सालों से यहां पर रह रहे हैं. शिमला में हमेशा से ही शांति का माहौल रहा है. अब भी शिमला में उन्हें किसी तरह का कोई डर महसूस नहीं होता. उन्होंने सभी लोगों से सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की है. बीते कुछ दिनों से बड़े तनाव के चलते सब कारोबार और पर्यटन कारोबार भी प्रभावित हुआ है. अगर मस्जिद का कोई हिस्सा अवैध है, तो कानून अपनी कार्रवाई कर सकता है. सभी कानून सम्मत कार्रवाई के पक्ष में हैं.'

देवभूमि संघर्ष समिति ने उठाए सवाल

वाम दलों के शिमला फॉर पीस एंड हार्मनी के शांति व सद्भावना मार्च पर देवभूमि संघर्ष समिति ने सवाल उठाए हैं. संघर्ष समिति ने कहा है कि जब ऊना में नाबालिग प्रार्ची राणा का गला रेत कर उसकी हत्या की गई थी, तब ये सद्भावना कहां थी? साथ ही समिति ने मनोहर हत्याकांड, राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल हत्याकांड व दलित स्कूली छात्र की चाकू मार कर हत्या कर देने वाले मामले को उठाकर पूछा है कि उस समय सद्भावना रैली क्यों नहीं की गई? वहीं, देवभूमि संघर्ष समिति भी शनिवार को प्रवासियों के पंजीकरण व अवैध मस्जिदों के निर्माण का मुद्दा उठाते हुए विरोध प्रदर्शन करेगी. उधर, संजौली की मस्जिद में शोएब जमई के आने और वीडियो बनाने के मामले के बाद उपजे तनाव के बीच शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा में मस्जिद में नमाज होगी. नमाज में प्रवेश आधार कार्ड देखकर दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: संजौली मस्जिद विवाद: वाम दल और सहयोगियों का सद्भावना मार्च आज, देवभूमि संघर्ष समिति का सवाल, प्राची राणा का गला रेता, तब कहां थी सद्भावना?

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